आस मोहम्मद कैफ, TwoCircles.net
किसान शामली,मोरना मुजफ्फरनगर ,धामपुर सहित कई जगहों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.किसानों का चीनी मिलों पर लगभग 9 हजार करोड़ रुपए बकाया है.किसानों की गन्ना भुगतान की समस्या पुरानी है मगर अब स्थिति गंभीर हो गई है.चीनी मिलों पर किसानों का मार्च 2018 का भी अब तक बकाया है.मिल मई माह तक चली थी.उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने गन्ने के बकाया भुगतान का 14 दिन में निस्तारण करने का वायदा किया था.यह नही हो पाया है.उत्तर प्रदेश में कुल 158 चीनी मिलें है इनमे से 121 संचालित मिले है.जिनमे से 116 चल रही हैं.94 मिले निजी है.जिनमे से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों का उत्पादन और क्वालिटी के लिहाज से खास महत्व है इनमे दौराला शुगर मिल,मवाना शुगर,धामपुर शुगर,चांदपुर शुगर मिल त्रिवेणी शुगर खतौली बजाज शुगर मिल बुढ़ाना,टिकोला सुगर मिल रामराज और दोआब शुगर शामली बड़ी नाम वाली है.दुर्भाग्य से किसानों को सबसे ज्यादा समस्या इन्ही चीनी मिलों में आ रही है.फिलहाल शामली की दोआब शुगर मिल पर किसानों ने एक सप्ताह से कब्ज़ा कर रखा है और दूसरी चीनी मिलों पर भी किसान तनाव में है.
सबसे बड़ा विरोध शामली जिले में हुआ है यहां हजारों किसान पिछले 10 दिन से दोआब शुगर मिल और कलक्ट्रेट में जुटे और प्रदर्शन करते रहे.थक हार कर फिलहाल वो भुगतान पर गन्ना मंत्री के भरोसे पर धरने से तो उठ गए हैं मगर उनके समाधान अब तक नही हो पाया है.यहां के किसान राजपाल बताते हैं कि अकेले शामली शुगर मिल पर किसानों के लगभग 200 करोड़ रुपए बकाया है।इनमे से 80 करोड़ रुपये पिछले साल का है.मिल को किसानों के पेमेंट के लिए 14 दिन तक का समय दिया जाता है जाहिर है लंबे समय तक पेमेंट न होने से किसानों के सामने विभिन्न प्रकार की परेशानी आ गई है.परेशान किसान सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए विभिन्न जतन अपना चुके हैं.किसानों ने यहां मुंडन करवाया है.सामूहिक धर्म परिवर्तन की बात कही है.नमाज पढ़ी है.कुछ किसान आत्महत्या की बात कहकर पानी की टंकी पर चढ़ गए थे.कुछ अर्धनग्न होकर धरने पर बैठे.गुस्साएं किसानों ने कलक्ट्रेट पर भी ताला जड़ दिया है.शामली के इस धरने में रालोद महासचिव जयन्त चौधरी भी पहुंचे जबकि अन्य जगहों पर अलग-अलग संगठन इसका नेतृत्व कर रहे हैं जैसे बिजनोर के चांदपुर शुगर मिल भारतीय किसान मजदूर संगठन के बैनर तले किसान संघर्ष कर रहे हैं.
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किसानों का आरोप है कि इस सबके बाद भी मगर सरकार की नींद नही टूट रही है वो गाय मंदिर मस्जिद में उलझी हुई है.किसानों के इस धरने में कैराना सांसद तब्बुसम हसन पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक समेत विपक्षी दलों के स्थानीय तमाम नेताओं का समर्थन शामिल है.वो धरने पर पहुंचते है और भाषण देकर लौट आते है.उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा भी इसी जनपद के रहने वाले हैं.
कांग्रेस के पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के अनुसार गन्ना मंत्री के गृह जनपद में गन्ना किसानों की यह दुर्दशा है तो प्रदेश भर में स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है.14 दिन में पेमेंट का दावा करने वाले मिल मालिकों के समर्थन में खड़े है.
शामली के युवा किसान शुभम मलिक धरने पर पहले दिन से मौजूद रहे वो बताते हैं कि सूबे की भाजपा सरकार ने किसानों का छलने का काम किया है मिल मालिक अपने पास किसानों का पैसा रोककर उससे ब्याज कमाते है अथवा दूसरे कारोबार में लगाते है जबकि किसान का बेटा स्कूल फीस न होने के कारण क्लास से बाहर निकाल कर खड़ा कर दिया जाता है.उसकी बेटी की शादी समय से नही हो पाती है और उसकी बीमारी पैसे के अभाव में और अधिक जाती है.यह नितांत गंभीर समस्या है मगर जिस सरकार को अडानी -अंबानी को परवाह हो उसमे किसानों का जीवन संकटमय ही हो सकता है.
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धरने पर मौजूद किसानों में आक्रोश का स्तर काफी बढ़ गया है और कई बुजुर्ग किसान आत्महत्या की बात भी कहते हैं.वो गुस्से में है.किसान जयपाल सिंह के मुताबिक वो मरने के लिए पानी की टंकी पर चढ़ गया था मगर उसके अध्यक्ष की खुशामद पर वो उतर आया अगर भुगतान न हुआ तो वो रेल के आगे आ जायेगा.
गन्ना मंत्री सुरेश राणा के मुताबिक सरकार में मिल मालिकों को गन्ना किसानों के भुगतान के मुताबिक 4 हजार करोड़ का सॉफ्ट लोन दिया था मगर शामली की दोआब मिल औपचारिकता पूरी नही कर पाया इसलिए उसे यह नही मिला.वो भुगतान कराने के प्रयास में जुटे है.
गौरतलब है शामली का दोआब मिल यूपी के सबसे बड़े चीनी मिलो में से एक है इथेनॉल भी बनाता है.इससे उसे 50 रुपए प्रति किवंटल का लाभ होता है.इससे भी मिल ने करोड़ो रूपये बनाया है मगर किसानों को सिर्फ चीनी का पैसा मिलता है.कांग्रेस के पूर्व विधायक पंकज मलिक के मुताबिक किसानों के पास सीमित विकल्प है और वो अत्यधिक तनाव में है.
शामली दोआब मिल धरने पर बैठे किसान आंकड़ो की बात करते हुए बताते हैं कि उनका अभी तक 23 मार्च 2018 तक का भुगतान किया गया है.यह अलग बात है.इस सत्र में शामली मिल ने 124 करोड़ 70 लाख 49 हजार रुपए का गन्ना खरीदा है जिसमे से कोई भुगतान अब तक नही किया गया है. इसी मिल पर 79 करोड़ 83 लाख 31 हजार किसानों का सिर्फ पिछले साल का भी बकाया है.इस सत्र में अब तक 15 हजार 609 करोड़ 54 लाख का गन्ना मिल मालिकों के पास पहुंच चुका है जिसमे 6 हजार 222 करोड़ अब तक बकाया है जबकि 2832 करोड़ 96 लाख रुपया पिछले सत्र का भी किसानों को अब तक नहीं मिला है.यानी 9 हजार 452 करोड़ रुपए अब भी किसानों के मिल मालिकों के पास है.
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सरकारी बकाया और किसानों के आंकड़ो में अक्सर अंतर आ जाता है यह अंतर सवाल खड़ा करता है.किसान जितेंद्र चौधरी कहते हैं है कि यह सरकार की आंकड़ो की बाजीगिरी है जिसमे वो 14 दिन पहले की स्थिति बताते है जबकि गन्ना की आमद लगातार जारी रहती है.आंकड़ो के खेल से भार कम दिखता है.जितेंद्र बताते हैं कि पहले हर एक मिल के भुगतान की जानकारी मिल जाती थी मगर अब ऐसा नही किया जाता जैसे पूरे मंडल के आंकड़े दे दिए जाते हैं.
सूबे में निजी मिल मालिकों की 94 मिले है जबकि शेष मिले सहकारी और निगम है.कोढ़ में खाज यह है कि सरकार ने अपनी मिलों का भी भुगतान नही किया है.गन्ना विभाग की वेबसाइट के मुताबिक इन सरकारी मिलों का भी आधा पैसा अभी बकाया है.जितेंद्र कहते हैं कि जब सरकार अपना पैसा ही अभी तक नही दे पाई है तो निजी मिल मालिक दूसरा पक्ष है.
युवा किसान नेता वाजिद अली प्रमुख बताते हैं कि भुगतान की इसी रकम में किसानों की हर एक उम्मीद है उसके बच्चो की स्कूल की फीस है और बेटी की शादी की चाहत भी है.यह पैसे मिल मालिकों को जल्द से जल्द देना चाहिए मगर वो ऐसा नही कर रहे हैं.वो याद दिलाते है कि सरकार ने भुगतान न करने वाले मिल मालिकों को जेल भेजने की बात कही थी मगर
अब वो किसानों की तहरीर पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली हैं.
मुजफ्फरनगर के गन्ना किसान चौधरी धनवीर हमें बताते हैं कि मिल मालिक इस बार मुनाफे में है.इस बार उन्हें 25 रुपए प्रति कुंतल का फायदा हुआ है.गन्ने का रिकवरी रेट में 0.8 फीसद बढ़ गया है.इसके उलट किसान की पैदावार में 15 फीसद की कमी आई है.इससे किसान लगभग 15 हजार रुपये प्रति एकड़ नुकसान में है.
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कैराना की तब्बुसम हसन ने सरकार से किसानों के बकाया भुगतान की मांग की है उनके अनुसार सरकार की किसानों के भुगतान की जिम्मेदारी है जिसे वो सही तरीके से नही निभा रही हैं.वो शौचालय बनवाने में पैसे खर्च कर रही जबकि अन्नदाता को भूखे रखना चाहती है जबकि पेट अनाज ही नही होंगे तो शौचालय किस काम आएंगे.
मिल अधिकारी अब मजबूरी का रोना रोते हैं शामली के जिलाधिकारी अखिलेश सिंह कहते हैं कि किसानों से बातचीत चल रही है जल्द ही समाधान हो जाएगा.