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जम्मू कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी संगठन द्वारा किए गए कायाराना हमले में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि व्यक्त किया है। साथ ही दरगाह दीवान अजमेर द्वारा शुक्रवार को जारी बयान में प्रमुख रूप से इस मांग को उठाया की मार्च 2019 में अजमेर में होने वाले सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के सालाना उर्स में आने वाले पाकिस्तानी जत्थे को तत्काल रोकने की भी मांग की है।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में देश की जनता सरकार और भारतीय सेना के साथ पूरे समर्थन के साथ खड़ी है। साथ ही इस हमले की कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए शहीद हुए जवानों के प्रति शोक प्रकट किया।
दरगाह दीवान ने सरकार से मांग की कि आगामी धार्मिक आयोजन में पाक जत्थे को किसी भी सूरत में इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
दरगाह दीवान ने इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुऐ इसे गैर इस्लामी करार दिया। उन्होने कहा कि बेगुनाहों को कायरतापूर्ण तरीके से हमला करके जान माल को नुकसान पहुचाना इस्लाम के मौलिक सिद्धांतों का उलंघन है।
इसके अलावा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के जवानों के लिए मोदी सरकार को सरकारी नौकरी और मुआवजा राशि के अलावा राजस्थान के शहीद हुए 4 जवानों के लिए दरगाह दीवान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से प्रत्येक परिवार को सरकारी नौकरी और 50 लाख मुआवजा देने की मांग की।