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उत्तर प्रदेश में कई सामाजिक संगठनों की बैठक में शामिल सामाजिक कार्यकर्तों द्वारा पुलवामा की घटना पर दुख प्रकट किया. वही पुलवामा की घटना में मारे गए जवानों के परिवारों के साथ खड़ा होने का आश्वासन व्यक्त किया. इस घटना के लिए चरमपंथियों को तो ज़िम्मेदार ठहराया। पुलवामा की घटना सुरक्षा और खुफिया एजेंसियो की नाकामी कही. लेकिन इसके लिए सभी कश्मीरियों को ज़िम्मेदार मान लेना और उन्हें हमले का निशाना बनाना भी उतना ही खतरनाक बताया.
इस बैठक में कश्मीरी-मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा की घटनाओं पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए कहा गया कि देश में दुख की इस घड़ी में उन्माद और अफवाह फैला रहे तत्वों पर नजर रखें और उनके मंसूबों पर पानी फेरने का काम करें.
बैठक में मुहम्मद शुऐब ने कहा कि जिन कश्मीरियों पर हमले किए जा रहे हैं वे इस देश को अपना समझकर उसके अलग-अलग हिस्सों में शिक्षा, चिकित्सा और कारोबार के लिए रह रहे हैं. यह उनके मुख्य धारा से जुड़े रहने का साधन है. हम अपील करते हैं कि कश्मीर वासियों को देश की मुख्यधारा से जोड़े रखने के उद्देश्य से उन पर जारी हमले बंद हों.
वही इस बैठक में नागरिक समाज ने कहा कि पुलवामा की घटना में मारे गए जवानों के परिवारों के साथ खड़ा है. लेकिन शिक्षा, चिकित्सा और रोज़गार के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में रह रहे कश्मीरियों पर हो रहे हमले ठीक वैसा ही है जैसे रोज़गार के लिए महाराष्ट्र-गुजरात गए यूपी-बिहार के लोगों पर क्षेत्रीय आधार पर हमले किए जाते हैं. यह उन्मादी प्रवृत्ति देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा है.
नागरिक परिषद के संयोजक राम कृष्ण ने इस बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि विघटनकारी ताकतें अलग-अलग बहानों से भारत की सांप्रदायिक व जातीय विविधता को निशाना बनाकर धार्मिक, जातीय और क्षेत्रीय मुद्दे उभारकर देश की एकता व अखंडता को चोट पहुंचाती रही हैं. एक विवाद के शांत होते ही नया सामाजिक भेदभाव का विवाद खड़ा करती हैं.
उन्होंने सभी मीडिया से भी अपील करते हुए कहा कि इस घड़ी में उकसावे और बयानबाजी से बचें. ताकि राष्ट्र विरोधी साजिशों से सुरक्षित रहे. व्यापक राजनीतिक सामाजिक एकता बना कर और संकीर्ण राजनीतिक दलीय स्वार्थों को त्याग कर ही आज की कठिन चुनौती का सामना किये जाने को कहा.
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले से सामाजिक न्याय आंदोलन के बलवंत यादव ने कहा कि पुलवामा की घटना अंतराष्ट्रीय साज़िश का हिस्सा हो सकती है. क्योंकि दुनिया की सैन्य ताकतें मध्य-एशिया, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में फंसी हुई है. अमेरिका, रूस और चीन भारत में अपना दबदबा बढ़ाने और बाज़ार पर नियंत्रण करने के लिए बेचैन हैं. चीन की वन-बेल्ट-वन रोड योजना और अमेरिका की अफगानिस्तान में भारतीय फ़ौज तैनात करने की पुरानी योजना से भारत बचता रहा है.
इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग जगत का अंतराष्ट्रीय व्यापर घाटा और अंतराष्ट्रीय कर्जे लगातार बढ़ते चले गए हैं. ऐसे में भारत की राष्ट्रीय एकता और अखंडता को भंग करने के लिए दुनिया की सैनिक ताकतें भारत को युद्ध क्षेत्र बनाने के लिए और भारतीय उपमहाद्वीप में अपना सैनिक दखल बढ़ाने के लिए कट्टरपंथियों और अलगाववादियों का इस्तेमाल कर सकती हैं. क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा करने के लिए सैनिक साजिशें कर सकती हैं.
शकील कुरैशी ने मांग कि की सैनिकों के परिजनों को क्लास वन की सरकारी नौकरी दी जाए.