Home Lead Story पिछड़े समाज को कानूनी-प्रशासनिक व्यवस्था से जोड़ने में लगे काशिफ यूनुस

पिछड़े समाज को कानूनी-प्रशासनिक व्यवस्था से जोड़ने में लगे काशिफ यूनुस

फ़हमीना हुसैन, TwoCircles.net

“मौजूदा राजनीतिक, प्रशासनिक और पुलिसिया व्यवस्था में  हर गरीब, कमज़ोर और आम आदमी का सम्मान दाव पर लगा है।” ये शब्द मुस्लिम दलित एक्टिविस्ट काशिफ यूनुस की है।

पटना के रहने वाले काशिफ यूनुस ‘समाज बचाओ आंदोलन’ के प्रमुख हैं। दरअसल समाज से भौतिकवाद, राजनैतिक भ्रष्टाचार, कारपोरेट राजनीतिक गठजोड़ और सामाजिक-आर्थिक असमानता को दूर करने जैसे मुद्दों पर समाज के लिए अपने संस्था के माध्यम ने कई मुहीम को चला रहे हैं।

अपने उदेश्यों को लेकर 19 अक्टूबर 2014 को पटना में समाज बचाओ आंदोलन का गठन किया। उनका मानना है कि इस आंदोलन के तहत समाज में जो भी पिछड़ा तबका है उन्हें कानूनी-प्रशासनिक तौर पर सजक करने की बहुत ज़रूरत है ताकि वो मुख्यधारा के माध्यम से अपने अधिकारों को जान सकें। ऐसे में उनके अधिकारों का किसी भी राजनेता या आधिकारिक-प्रशासनिक व्यवस्था द्वारा हनन नहीं किया जा सकेगा।

काशिफ यूनुस ने अपनी शुरूआती पढाई पटना से की है। वही उन्होंने अपने आगे की  तालीम वकालत में हांसिल की।

उन्होंने बताया कि आज़ादी से पहले 1935 में चुनाव हुए उस समय भारत में 11 राज्य थें। चुनाव के बाद सबसे पहले बिहार में ही मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में पहले निर्वाचन सरकार बनी। जिसमे उनके दादा साहब बैरिस्टर मोहम्मद यूनुस को बिहार का ही नहीं बल्कि 1935 के एक्ट के तहत भारत के पहले प्रधानमत्री का दर्ज़ा मिला है।

काशिफ साहब ने TwoCircles से बातचीत में बताया कि उन्होंने बचपन से ही अपने परिवार को सामाजिक कार्यों में जुड़े देखा है। इसलिए होश सँभालते ही समाज के साथ उनका भी लगाओ बढ़ता गया।

स्वर्ण आरक्षण, दलित उत्पीड़न, जन-जागरूकता जैसे कई सामाजिक मुद्दों पर अपने कार्य और अनुभव को TwoCircles के द्वारा साझा किया।