इस दौरान रिहाई मंच के प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों राजीव यादव, आशू चौधरी, रविश आलम, ज़ाकिर अली त्यागी और अबुज़र चौधरी ने मुज़फ्फरनगर में रासुका के तहत निरूद्ध किये गए लोगों से जेल में भी मुलाकात की.
प्रेस वार्ता के दौरान राजीव यादव ने कहा कि मुज़फ्फरनगर में रासुका और एनकाउंटर के नाम पर दलित और मुस्लिम को लगातार निशाना बनाया जा रहा। 2013 की साम्प्रदायिक हिंसा जिसके आरोपी भाजपा विधायक और सांसद के मामलों को वापस लिया जा रहा है वहीं छोटे-छोटे मामलों को तूल देकर वंचित समाज पर फर्जी मुकदमे लादे जा रहे हैं.
देवबंद से हुई गिरफ्तारियों पर कहा कि सरकार मुस्लिम बाहुल्य इलाकों को बदनाम कर साम्प्रदायिक धुर्वीकरण की राजनीति कर रही है. इसी राजनीति के तहत देवबंद से कश्मीर, आज़मगढ़, जौनपुर, उड़ीसा के छात्रों को उठाया गया और सवाल उठने के बाद दो कश्मीरी युवकों पर मुकदमा लाद शेष को छोड़ दिया गया. ठीक इसी तरह से एएमयू के छात्रों पर देशद्रोह का झूठा मुकदमा दर्ज किया.
वही भारत बंद के दौरान शहीद हुए अमरेश के पिता सुरेश कुमार ने कहा कि मेरा बेटा पुलिस की गोली का शिकार हुआ था पर उसका मुकदमा अज्ञात में लिखा गया. इस मामले को लेकर हाईकोर्ट गए. लेकिन दोषियों को पुलिस ने बचाया, यहाँ तक कि मेरे ऊपर दबाव बनाया गया कि मैं किसी मुसलमान का नाम ले लूं तो मुझे मुआवजा मिल जाएगा लेकिन मैंने ठुकरा दिया क्योंकि मुझे इंसाफ चाहिए.
रासुका में निरूद्ध विकास मेडियन के पिता डॉ राकेश भी पत्रकारवार्ता मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि जब मेरे बेटे को छह केसों में जमानत मिल गयी तो पुलिस ने उस पर रासुका लगा दिया. पुलिस ने रासुका को हथियार बनाया जिसका शिकार मेरा बेटा और परिवार हुए.
वही प्रतिनिधि मंडल के रविश आलम और आशू चौधरी ने बताया कि 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान रासुका में निरूद्ध उपकार जिनको पिछले दिनों जेल में ब्रेन स्ट्रोक आया था उनके पिता अतर सिंह और माता रूपेश देवी से मुलाकात की.
इंजीनियर उस्मान ने कहा कि ह्यूमन राइट्स वाच जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने मोदी राज में गाय के नाम पर 44 अल्पसंख्यको की हत्या पर चिंता जाहिर की है वंही कुछ ही दिनों पहले यूएन ने योगी राज में मुज़फ्फरनगर के 16 पुलिसिया एनकाउंटर समेत यूपी में हुए एनकाउंटर पर भी सवाल उठाया है.
उन्होंने कहा कि रिहाई मंच ने मुज़फ्फरनगर में दलितों और मुसलमानों के उत्पीडन की जो भयावह तस्वीर पेश की है वह चिंताजनक ही नहीं मानवता को भी शर्मसार करने वाली है.
पुरबालियान में खेल-खेल में बच्चों के बीच हुए विवाद के बाद रासुका में निरुद्ध आफ़ताब के चचेरे भाई नूर मोहम्मद और ताऊ मेहरबान समेत शमशेर, परिजनों ने बताया कि पुलिस ने एक तरफा कार्रवाई करते हुए बच्चों और महिलाओं तक को उत्पीड़ित किया.
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य ज़ाकिर अली त्यागी और अबूजर चौधरी ने कहा कि कैराना पलायन मामले को लेकर फुरकान को मुठभेड़ में पुलिस ने पैर में गोली मारकर पकड़ने का दावा किया था. कल जेल में उसने बोला था कि कल उसकी रिहाई है और पुलिस उसे उठाने की फिराक में है और आज सूचना आ रही है कि सुबह छूटने के बाद उसे कैराना पुलिस उठा ले गई है.
यूएस कमेटी आन इंटरनेशनल रिलिजन फ्रीडम ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जबसे मोदी सरकार सत्ता में आयी है अल्पसंख्यको का जीवन असुरक्षित हुआ है वंही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मुज़फ्फरनगर और सहारनपुर के पीड़ितों को अभी तक इंसाफ नही मिला है. दौरे में शामिल संगठनों और रासुका कारवाही में बंद दलित-मुसलमानों के परिवारों ने मांग की है कि उपकार बावरा जिनकी जेल में हालात काफी खराब है समेत रासुका में निरूद्ध सभी को तत्काल रिहा किया जाए.