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सवर्ण आरक्षण के जरिए सामाजिक न्याय और संविधान पर हमले के खिलाफ सामाजिक-राजनीतिक संगठानों ने विरोध प्रदर्शन किया। सभी ने एक स्वर में कहा कि सवर्णों को आरक्षण दिए जाने का फैसला जुमला नहीं, संविधान, सामाजिक न्याय पर बड़ा हमला है।
धरने में शामिल सभी संगठनों ने नरेन्द्र मोदी की बधाई ने सामाजिक न्याय के पक्षधर राजनीतिक दलों के विश्वासघाती करार दिया।
इस धरने में मौजूद वक्ताओं ने कहा कि आरक्षण गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण और लोकतंत्र को मजबूत करने का साधन है, सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का केन्द्र सरकार का फैसला संविधान विरोधी है।
धरने में मौजूद रहे रिहाई मंच के राजीव यादव ने कहा कि भाजपा ने सत्ता में आने के बाद बाबा साहेब भीमराम अंबेडकर के सपनों के भारत के संविधान को बदलने की हर संभव कोशिश की है। सत्ता व शासन की संस्थाओं में पहले से ही सवर्णों की भागीदारी आबादी के अनुपात से कई गुणा ज्यादा है। यह शासन-सत्ता व शैक्षणिक संस्थाओं में भागीदारी व प्रतिनिधित्व के अवसरों की संवैधानिक व्यवस्था को ख़त्म करने की पूरी साज़िश है।
रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि केन्द्र सरकार का फैसला मनुवादी और बहुजन विरोधी है। यह किसी जाति का विरोध नहीं बल्कि उस वर्चस्ववादी मनुवादी माॅडल का विरोध है जो भारत को एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रुप में नहीं स्वीकारता। सदन में सामाजिक न्याय का पक्षधर होने का दावा करने वाले विपक्ष की भूमिका ऐसी थी जैसे कि आरक्षण पाने वाला समाज एक तबके का शोषण कर रहा हो।
इस धरने में शामिल रहे संगठनों के वक्ताओं ने कहा कि शोषितों-वंचितों के हक-हूकूक की लड़ाई राजनीतिक दलों की मोहताज कभी नहीं रही। मुस्लिम आरक्षण को धर्म आधारित आरक्षण और आरक्षण पचास फीसदी ज्यादा नहीं होने कि बात करने वाली भाजपा 10 प्रतिशत आरक्षण की बात कह रही है। आर्थिक अस्थिरता और विकराल होते रोजगार के संकट के दौर में सार्वजनिक उपक्रमों की मजबूती पर बात होनी चाहिए।
वही ह्यूमन राइट वाच के वक्ता ने कहा कि जनरल कैटेगरी की 50.5% सीटें सवर्णों के लिए खुली थीं, अब इनमें से 10% उनके लिए आरक्षित कर दी गई। यानी उनकी दावेदारी और मज़बूत कर दी गई। सरकार झूठ बोल रही है कि ये क़ानून बनाकर वो SC-ST-OBC का हक़ नहीं मार रही। साफ़ है कि उनकी हिस्सेदारी सवर्णों को दे दी गई।
इस धरने में शामिल सगठनो की बात करें तो रिहाई मंच, जीमयतुल कुरैशी उत्तर प्रदेश, यादव सेना, आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज, पिछड़ा समाज महासभा, उम्मीद, ह्यूमन राइट वाच, कारवां, इंसानी बिरादरी आदि शामिल रहे।
बताते चलें कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी गई। लोकसभा ने इस विधेयक को मंगलवाार को ही मंजूरी दी थी। इस विधयक को ले सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है।
वहीँ कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाये जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका भी जतायी।