कैथोलिक चर्च की मूक भूमिका पर उठ रहे सवाल

TCN News,

बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर रेप का आरोप लगाने वाली नन का समर्थन करने वालींं 5 ननों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के विरोध में सेव आवर सिस्‍टर्स (एसओएस) ने केरल के मुख्‍यमंत्री पी. विजयन को पत्र लिखकर मामले में हस्‍तक्षेप किए जाने की मांग की है।


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वही इस मामले में संस्‍था ने आरोप लगाया कि रेप पीड़िता और उसका साथ देने वालीं पांचों ननों का तबादला मिशनरीज ऑफ जीसस ने केरल से दूर के कॉन्‍वेंट स्‍कूलों में कर दिया है।

हालांकि इस पूरी प्रक्रिया के बाद आर.एल. फ्रांसिस ने कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा अपनाए गए इस रवैये काे बेहद घिनौना, शर्मनाक एवं तानाशाही वाला करार दिया है।

फ्रांसिस ने सीबीसीआई को लिखे अपने पत्र में दुष्कर्म के आरोपी बिशप फ्रैंको मुलक्कल की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाली चार ननों के तबादले काे राेकने की मांग की थी। मूवमेंट के अध्यक्ष आर.एल. फ्रांसिस ने बिशप कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष आर्कबिशप फिलिप नेरी फेर्राओ काे लिखे अपने पत्र में मांग की थी कि इस मामले में सुनवाई खत्म होने तक उनके स्थानांतरण के आदेश प्रभावी नहीं हों।

अपने पत्र में फ्रांसिस ने कहा था कि इस पूरे मामले में कैथोलिक चर्च की मूक भूमिका ने उसके नेतृत्व पर आम भारतीयाें के मन में कई सवाल खड़े किए हैं। वर्तमान समय में जब मामला न्यायालय में विचाराधीन है, आैर उस पर न्यायालय का फैसला आने तक इन ननाें के स्थानांतरण पर सीबीसीआई को आगे बढ़ कर खुद राेक लगानी चाहिए।

दरअसल पुअर क्रिश्चियन लिबरेशन मूवमेंट के अध्यक्ष आर.एल. फ्रांसिस ने 21 जनवरी 2019 काे कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) के अध्यक्ष आर्कबिशप फिलिप नेरी फेर्राओ काे एक पत्र स्पीड पोस्ट (ED2505739341N) के द्वारा भेजा था, जाे 22 जनवरी को उनके मुख्यालय पहुंचा, लेकिन दुखद और शर्मनाक यह कि बिशप कॉन्फ्रेंस मुख्यालय ने पत्र लेने से इंकार कर दिया, भारतीय डाक सेवा से वह पत्र 29 जनवरी को वापिस आ गया। पत्र में केरल की चार ननों के तबादले का मुद्दा उठाया गया था।

फ्रांसिस ने कहा था कि हम पहले भी ऐसे तबादलों के परिणाम देख चुके है, जिसका एकमात्र उद्देश्य पीड़ित काे दुर्बल करना, उसे अपमानित करना और उसके मनाेबल काे ताेड़ना ही हाेता है।

दरअसल पुरे मामले कि बात करें तो दुष्कर्म और अप्राकृतिक यौन संबंधों का ये मामला केरल के एक चर्च से जुड़ा है। आरोप है कि बिशप ने वर्ष 2014 से 2016 के बीच नन से कुरावियालनगड के कॉन्वेंटर में कई बार दुष्कर्म किया।

इसके बाद बीते दिनों पीड़ित नन के समर्थन में आईं पांच अन्य ननों ने इंसाफ के लिए कई दिनों तक धरना-प्रदर्शन किया था। पीड़ित नन समेत इन चार ननों की वजह से ही यह मामला सार्वजनिक हो पाया। इनके धरना प्रदर्शन के बाद केस भी दर्ज हुआ और आरोपी बिशप को जेल भी भेजा गया। लेकिन इंसाफ की यह लड़ाई अब इन ननों को भारी पड़ रही हैं।

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