TCN News,
बिहार के मुहम्मद दिलशाद केरल में मलयालम मीडियम की 10वीं बोर्ड परीक्षा में टॉप किया है, गरीब परिवार के इस बच्चे की प्रशंसा खुद उपराष्ट्रपति वेंकेया नायडू ने की है।
बिहार के दरभंगा जिले के निवासी दिलशाद ने केरल में दसवीं कक्षा की राज्य बोर्ड परीक्षा में टॉप किया है। दिलशाद केरल के बिनानीपुरम में मलयालम-माध्यम में सरकारी हाई स्कूल का छात्र है। उसे उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने शनिवार को शीर्ष स्थान हासिल करने पर ट्वीट कर बधाई दी। उन्होंने कहा कि दिलशाद के पिता साजिद और उनके परिवार के प्रयास प्रशंसनीय हैं।
दरअसल, मुहम्मद दिलशाद के पिता साजिद बिहार के दरभंगा के रहने वाले हैं। गरीब किसान परिवार में जन्मे साजिद के पास अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पर्यात पैसे नहीं थें। यहाँ तक की गरीबी की वजह से साजिद कभी स्कूल नहीं जा पाएं लेकिन अपने बच्चे को अच्छी तालीम दिलवाने के लिए दिल्ली कमाने गए। जिसके बाद दिल्ली से प्रवासी श्रमिकों की पहली खेप के बीच 1999 में केरल चले गए।
एर्नाकुलम जिले के औद्योगिक क्षेत्र में एक छोटे से जूते के कारखाने में दिलशाद के पिता काम करते हैं जहाँ पत्नी आबिदा और पांच बच्चों के साथ वहीं रह रहे हैं।
टाइम ऑफ़ इंडिया के खबर के मुताबिक मुहम्मद दिलशाद के गणित शिक्षक सुधी टीएस ने बताया कि मैंने दिलशाद के लिए अपना ट्रांसफर रुकवा दिया। मुझे अस्थमा है और यह एक औद्योगिक क्षेत्र है। लेकिन मैं सिर्फ दिलशाद मदद करने के लिए रुक गयी। मैं उसे परीक्षाओं में अच्छा करते देखना चाहती थी क्योंकि उसके आगे भविष्य उज्ज्वल है।”
दिलशाद का स्कूल कोच्चि के किनारे एक औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है जहां अंतरराज्यीय श्रमिकों का एक बड़ा वर्ग कार्यरत है, ऐसे श्रमिकों के बच्चों के आवेदनों की संख्या सभी वर्गों में बहुत अधिक है। छात्रों के लिए पढ़ाई में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी और मलयालम होने से विशेष समस्या को हल करने के लिए एर्नाकुलम जिला प्रशासन ने दो साल पहले ’रोशनी’ परियोजना की शुरुआत की थी। एर्नाकुलम के जिला कलेक्टर मोहम्मद वाई सफिरुल्ला ने भाषा प्रवीणता कक्षा का एक अतिरिक्त घंटा शामिल भी शामिल करवाया। ताकि अंतरराज्यीय श्रमिकों के बच्चों को भाषा की परीशानी न हो।