ग्राऊंड रिपोर्ट:
(“जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की है,यह रिपोर्ट बताती है कि दारुल उलूम देवबंद के लोग इस मुलाक़ात को किस नज़रिये से देख रहे हैं”)
आस मुहम्मद कैफ, TwoCircles.net
देवबंद-
मुजफ्फरनगर से जब आप सहारनपुर जाते हैं तो आधे रास्ते मे देवबंद आता है।यहां एक फोरलेन सड़क बनी है।इसका शिलान्यास 2016 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में उनके पिता मुलायम सिंह यादव और जमीयत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने की थी।उसी मंच से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस सड़क का नाम शेखुल हिन्द मौलाना महमूदल हसन के नाम पर रख दिया था।इसी दिन सहारनपुर मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन भी किया गया था।
पहले मौलाना अरशद मदनी के इस कार्यक्रम में आने की जानकारी स्पष्ट नही थी वो सरकार के कद्दावर मंत्री आज़म खान से नाराज़ थे मगर बाद में उन्हें एमएलसी आशु मलिक लेकर पहुंचे और इस फोरलेन हाइवे का नाम उनके अनुरोध पर शेखुल हिन्द के नाम पर कर दिया गया।इलाके में मौलाना अरशद मदनी को ‘हजरत जी’ कहा जाता है।वो यहां काफी असरदार है।
जमीयत उलेमा ए हिन्द के दो गुट है जिनमें से एक मौलाना अरशद मदनी के भतीजे मौलाना महमूद मदनी संचालित करते हैं। मगर देवबंद के आसपास के इलाके में मौलाना अरशद मदनी का खासा दबदबा है।
हाल ही में मौलाना अरशद मदनी की आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ मुलाकात देवबन्द में चर्चा का वजह बनी हुई है।स्थानीय कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने भी मौलाना अरशद मदनी की आरएसएस प्रमुख से मुलाकात की आलोचना की है।
देवबंद में लोग इस बारे में बात करने से बचते हैं और खासकर ‘हजरत’ से असहमतियों को उजागर नहीं करते, जैसे दारुल उलूम के ठीक बराबर में अंग्रेजी माध्यम का स्कूल चलाने वाले युवा साद सिद्दिकी
कहते हैं “निजी तौर पर मैं यह मानने के लिए तैयार नहीं हूँ कि आरएसएस कभी मुसलमानों की हितैषी हो सकती है, देश भर में मुसलमानों की तमाम दुशवारियाँ आरएसएस की देन है,आरएसएस की ज़मीन ही मुसलमानों के विरोध पर टिकी है फिर भी हज़रत बडे अनुभवी है उन्होंने मुलाक़ात से पहले काफी होमवर्क किया होगा और मैं उन्हें ग़लत नही कह सकता”।
हालांकि सहारनपुर के चर्चित नेता इमरान मसूद ने खुले तौर पर मौलाना अरशद मदनी की इस मुलाक़ात के लिए आलोचना की है और उन्होंने कहा है “आरएसएस भाजपा सरकार की माँ है इस समय देशभर में मुसलमानों में भय का वातावरण है,, कम से कम ऐसे समय मे आरएसएस चीफ से मुलाकात का नकारात्मक असर जाएगा, मुसलमानो को लग रहा है मौलाना का यह समर्पण उनके गिर चुके आत्मविश्वास को और अधिक कमज़ोर करेगा”।
इमरान मसूद कहते हैं कि“आरएसएस चीफ मोहन भागवत से मुलाक़ात के समय भी उन्हें अपेक्षित सम्मान नही मिला उन्हें रिसीव करने और छोड़ने कोई नहीं आया”।
दारुल उलूम के बिल्कुल क़रीब के देवबंद के पूर्व विधायक माविया अली के निवास पर काफी भीड़ जुटी है।माविया अली इसका कारण बताते हैं वो कहते हैं “बिजली विभाग की टीम के आतंक से देवबंद में कोहराम मचा हुआ है।बिजली चोरी की झूठी एफआईआर लिखी जा रही है।खुलेआम ज्यादती हो रही है।महिलाओं के साथ बदतमीजी हो रही है।घरों में सीढ़ी लगाकर सीधे अंदर घुस जाते हैं।अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में ख़ासकर दारुल उलूम के आसपास यह हो रहा है।मौलाना इतने शक्तिशाली लोगो से मिलते हैं वो इस तरह की ज्यादती के खिलाफ कुछ बोलते क्यों नहीं है!
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मोहतमिम मौलाना अरशद क़ासमी कहते हैं कि “हज़रत जी ने यह मुलाक़ात कौम की बेहतरी के लिए ही की है देश भर में अमन की निहायत जरूरत है, यह दौर नाजुक है वो किसी खास मुद्दे को लेकर मिले है और मिलने में कोई हर्ज नही है।बात करने से रास्ते निकलते हैं। हर आदमी को उनका पैंतरा समझ मे आएं यह जरूरी नहीं है”।
देवबंद में पूर्व सभासद और समाजवादी पार्टी के नेता सिकंदर अली गाड़ा के अनुसार उन्हें भी इस मुलाक़ात का मक़सद समझ नहीं आ रहा है वो कहते हैं “मौलाना अनुभवी है वो बेहतर समझते है उनका सम्मान है मगर वो यह नही समझ पा रहे हैं कि इस मुलाक़ात की जरूरत क्या थी! आरएसएस की तो बुनियाद ही मुस्लिम विरोध है”।
मौलाना अरशद मदनी की आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाक़ात का स्थानीय स्तर पर राजनीतिक असर भी देखने को मिल रहा है।गंगोह विधानसभा में उपचुनाव की घोषणा हुई है।गंगोह की सीमा देवबंद से मिली हुई है कांग्रेस नेता इमरान मसूद के जुड़वा भाई नोमान मसूद को यहां प्रत्याशी बनाया गया है।इमरान मसूद ने चूंकि मौलाना अरशद मदनी की आरएसएस चीफ से मुलाक़ात की आलोचना की है
इसलिए गंगोह में इस बयान को लेकर मुस्लिमों में दो पक्ष हो गए हैं।बसपा ने यहां पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष इरशाद चौधरी को प्रत्याशी बनाया है जिन्होंने मौलाना अरशद मदनी की मुलाक़ात का समर्थन किया है।
मौलाना अरशद मदनी के मुताबिक उन्होंने यह मुलाक़ात मुल्क में हिन्दू मुस्लिम एकता और मुल्क की तरक्की के लिए की है,इसमे मॉब लीचिंग और एनआरसी जैसे मुद्दों पर भी बात हुई।
दारुल उलूम से मौलाना जावेद क़ासमी हमें बताते है कि “मौलाना ने बिल्कुल सही समय पर एक अच्छी मुलाकात की है हमारी तवारीख में इसकी मिशाल मिलती है काफी समय से इसके प्रयास हो रहे थे, मौलाना अरशद मदनी के बहुत से आईटीआई कॉलेज है जिनमे बड़ी संख्या में गैर मुस्लिम बच्चे पढ़ते
हैं।मौलाना के बहुत से समर्थक उनसे इस मुलाक़ात के लिए दरख्वास्त कर चुके थे,इस मुलाक़ात के नतीजे अच्छे आएंगे।”
पिछले दिनों देवबंद दारुल उलूम में आरएसएस के सहयोगी संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख इंद्रेश कुमार ने भी दारुल उलूम में अपनी दस्तक दी थी।
उस समय चर्चा हुई थी प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी भी दारुल उलूम का दौरा कर सकते हैं।इसकी संभावना अभी भी है।हाल ही में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी और एसएसपी सहारनपुर दारुल उलूम में ध्वजारोहण करने पहुंचे थे।
कुछ स्थानीय लोग दबी जुबान में कहते हैं कि देवबंद बदल रहा है।शनिवार को मौलाना अरशद मदनी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की है।
देवबंद में कुछ जगह अब देववृन्द लिखा हुआ है।यहाँ के बीजीपी विधायक बृजेश सिंह देवबंद का नाम बदलवाने की मांग कर रहे हैं।