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कैंसर अस्पताल ने दिखाई नफ़रत, मुसलमानों के अस्पताल आने पर लगा दी रोक, मुक़दमा दर्ज

आस मोहम्मद कैफ़। Twocircles.net

मुसलमानों के साथ धार्मिक भेदभाव करने के लिए बदनाम मेरठ के केंसर हॉस्पिटल वेलेन्टिस को लेकर ऐसी खबरें सामने आती रहती है जिससे समाज मे शर्मिंदगी फैलती है। अब इसके मालिक डॉक्टर अमित जैन एक बार फिर से ऐसी ही एक शर्मनाक हरकत की है। धार्मिक भेदभाव की यह तस्वीर बाक़ायदा अख़बार में विज्ञापन की शक्ल में छाप दी गई जिसे अस्पताल ख़ुद जारी किया। इस विज्ञापन में अस्पताल में मुस्लिम मरीजों के लिए एडवाइज़री लिखी गई जिसमें लिखा गया कि मुसलमान मरीज़ अपनी कोरोना निगेटिव रिपोर्ट लेकर ही आएं।

यह विज्ञापन 17 अप्रैल को कुछ स्थानीय अखबारों में दिया गया था। कमाल यह है कि इन अख़बारों ने बिना अपनी जिम्मेदारी समझे इस विज्ञापन को छाप भी दिया। मेरठ के युवा शावेज़ खान के मुताबिक़ पहले इस अस्पताल में मुस्लिमो से नफ़रत करने का साफ इशारा मिलता रहा है। मगर अख़बार में विज्ञापन देकर डंके की चोट पर यह बताना है कि हां वो एक धर्म के लोगो से नफ़रत करते हैं। पहले मरीज़ों से मानक से भी कई गुना पैसा वसूलने के नाम पर भी वेलेंटिस हॉस्पिटल कई बार सुर्ख़ियाों में रहा है।

शावेज़ बताते हैं कि केंसर जैसे दिखने वाली बीमारियों को कैंसर का नाम देकर वेलेंटिस हॉस्पिटल में पैसे ठगने का मामला भी सामने आएं है मगर यह तो उससे भी गंभीर बात है। यहां तो पूरे एक अस्पताल की मानसिकता का प्रश्न है। आजकल जाहिल शब्द को लेकर काफ़ी बात हुई है। इन्हें पढ़े लिखे जाहिल कहा जा सकता है। हालांकि बात बिगड़ने के बाद अस्पताल प्रबधंन अब माफ़ी मांग रहा है।

ख़ास बात यह है कि अस्पताल की और से जारी इस विज्ञापन में जैन धर्म के लोगों पर भी बेहद ग़लत टिप्पणी की गई है। इसके बाद मुस्लिम और जैन धर्म के लोगों ने अपनी आपत्ति पुलिस विभाग में दर्ज कराई  है। मेरठ के मवाना रोड पर स्थित इस अस्पताल के डॉक्टर अमित ने यह विज्ञापन जारी किया था। मेरठ के एसपी ग्रामीण अविनाश पांडेय के अनुसार अस्पताल के मालिक डॉक्टर अमित के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस गहराई से जांच कर रही है ऐसा विज्ञापन क्यों दिया गया?

अस्पताल के विरोध के बाद प्रबधंन इसके डेमेज कंट्रोल में जुट गया और उसने एक और विज्ञापन देकर माफी मांग ली। हालांकि उसने यह यह नहीं बताया कि नफ़रत फैलाने वाला और सीधे एक समुदाय को कोरोना फैलाने बताने वाला विज्ञापन क्यों जारी किया गया! हालांकि एसपी अविनाश पांडे के अनुसार वो यही पता कर रहे हैं। अगर इसके पीछे कोई साज़िश है तो वो उसका पर्दाफाश कर देंगे। अविनाश कहते हैं, ‘हम इसकी जांच कर रहे हैं और अस्पताल की माफ़ी से हमारी जांच प्रभावित नहीं होगी।’

अस्पताल के प्रबंधक अमित चौधरी के अनुसार वो मानते हैं कि उनसे गलती हुई है मगर वो किसी को ठेस नही पहुंचाना चाहते थे। वो भी खुद भी देख रहे हैं कि यह चूक कैसे हुई! शायद हम जो कहना चाहते थे! उसका गलत मतलब निकाल लिया गया।अस्पताल के पड़ोसी गंगानगर के निवासी कुँवर देवेंद्र सिंह के मुताबिक अस्पताल की मानसिकता से वो अचंभित है। कोई भी ऐसा कैसा कर सकता है! खासकर डॉक्टर कोई भेदभाव कर भी कैसे सकता है! समाज दूषित हो चुका है। अस्पताल के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

ग़ौरतलब है कि मेरठ में पिछले एक पखवाड़े में साम्प्रदयिक भेदभाव की कई घटनाएं हुई है।