आसमोहम्मद कैफ़ । Twocircles.net
उत्तर प्रदेश में साढ़े तीन साल पहले बनने वाली योगी सरकार एनकाउंटर को लेकर लगातार चर्चा में रही है। फर्जी एनकाउंटर के शोर के बीच अब इन मुठभेड़ों के आंकड़े जारी हुए हैं। खास बात यह है कि यह आंकड़े जातीय आधार पर जारी हुए हैं। इसमे और भी ख़ास बात यह है कि उत्तर प्रदेश में 18 फ़ीसद वाली मुस्लिम आबादी के बीच से लगभग 40 फ़ीसद अपराधियों के साथ मुठभेड़ हुई है।
आंकड़ो के अनुसार अब तक कुल 6200 मुठभेड़ हुई है इनमे 124 अपराधी पुलिस की गोली लगने से मारे गए हैं। इनमें 47 अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। 11 ब्राह्मण और 8 यादव है,शेष 58 बदमाश अन्य जातियों से है। इनमे दलित , गुर्जर, जाट ,कुर्मी जैसे पिछड़े वर्ग की जातियों के अलावा वैश्य और ठाकुर भी है। पिछले 8 महीने में 8 ब्राह्मण अपराधी एनकाउंटर में ढेर हुए हैं और इनमे से 6 बिकरु कांड में शामिल थे। मेरठ जोन में सबसे ज्यादा एनकाउंटर हुए हैं इनमे मेरठ में 14,मुजफ्फरनगर में 11 सहारनपुर में 9 आज़मगढ़ में 7 और शामली में 5 अपराधी मुठभेड़ में मारे गए हैं। बचे हुए 6076 को पैर में गोली लगी है।
आंकड़ो की जातिवार यह लिस्ट खुद सरकारी स्तर पर तैयार हुई है बताया जा रहा है कि यूपी विधानसभा में मानसून सत्र में संभावित हंगामा के बीच एनकाउंटर को लेकर सवाल उठाये जा सकते हैं जिसे जातिवार पेश किया जाएगा। विपक्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ‘ठोक दो’नीति के तहत उनपर लगातार मुठभेड़ों में पक्षपाती होने का आरोप लगा रहा है। खासकर ब्राम्हण समुदाय में हाल फिलहाल कड़ी हलचल देखी जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश के के डीजीपी एचसी अवस्थी विशेष वर्ग के लोगो पर एनकाउंटर किए जाने के सवाल पर कहा है कि अपराधी के केवल एक जाति होती है वो है अपराध । अपराधी का कोई जाति धर्म नही होता। पुलिस जाति देखकर अपराधियो के विरुद्ध कार्रवाई नही कर रही है। पुलिस एनकाउंटर में मारे गए तमाम बदमाशों का आपराधिक इतिहास रहा है। मुस्लिमों की संख्या ज्यादा होने पर उन्होंने कहा कि इसमें जातिगत द्वेष नही है। प्रत्येक अपराधी का आपराधिक इतिहास मौजूद रहा है।
उत्तर प्रदेश में मुठभेड़ो पर जारी इन जातिवार आंकड़ो पर समाजवादी पार्टी की सरकार में कद्दावर मंत्री रहे पवन पांडे कहते हैं “यह स्थिति बेहद शर्मनाक है कि सरकार आपराधिक तौर पर जातिवार आंकड़े जारी कर रही है। एक तरफ़ वो कहते हैं कि अपराधी की कोई जाति नही होती है और दूसरी तरफ वो बता रहे हैं कि हमने इस जाति के इतने लोगो को मार दिया है। यह सरकार सबके साथ सबके विकास के नारे के साथ आई थी और अब बदले की भावना के साथ काम कर रही हैं। सत्ता में आने के बाद इन्होंने जातिवार लोगो को मरवाने का काम किया है।
जिन्होंने भी इनके सामने घुटने नही टेके है। इन्होंने उनके विरुद्ध कार्रवाई की है। इस सरकार में पिछड़े,दलित मुसलमान और ब्राह्मण सताएं जा रहे हैं।इस सूची से ही यह भी पता चलता है कि इन्होंने विशेष तौर इन्ही जातियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की है।”
उत्तर प्रदेश सरकार पर कानपुर के बिकरु कांड में विकास दुबे की गाड़ी पलटने वाले चर्चित एनकाउंटर के बाद ब्राह्मणों के विरुद्ध कार्रवाई करने और ठाकुरों पर नरमी बरतने जैसी चर्चाएं जोरो पर है। पवन पांडे बताते हैं कि 3 दिन बाद एक ब्याहता विधवा हो गई और शादी के पांचवे दिन जेल चली गई। अब तक जेल में है। कम से कम वो अपराधी नही है। मुख्यमंत्री पूरे राज्य का होता है मगर एक ख़ास जाति के अपराधियों पर कोई कार्रवाई नही की गई है।
यह आंकड़े जारी करके सरकार अपना दामन साफ दिखाना चाहती है मगर यही आंकडे बताते हैं कि उन्होंने ख़ास जातियों के विरुद्ध कार्रवाई की है।
उत्तर प्रदेश में हुए इन एनकाउंटर पर इससे पहले कई तरह के सवाल उठते रहे हैं। मानवधिकारो के लिए काम करने वाले संगठन सिटिजंस अंगेस्ट हेट पिछले साल 16 मुठभेड़ों में एक जैसे पैटर्न पर हुए एनकाउंटर को लेकर सवाल उठाये थे। इन सबमें एक ही जैसी कहानी थी। लगभग सभी मुठभेड़ों में अपराधी के पैर में गोली लग रही है और पुलिसकर्मियों के हाथ से छूकर निकल जा रही हैं। इस दौरान जांच भी हुई और अब तक 75 मामलों में पुलिस को क्लीन चिट मिल गई।
कांग्रेस के पश्चिमी उत्तर प्रदेश प्रभारी इमरान मसूद कह रहे हैं कि सरकार को अब साढ़े तीन साल की हत्याओं की जातिवार लिस्ट भी जारी करने चाहिए जिसमें एक ही जाति के सैकड़ों लोग है। भाजपा के लोग सिर्फ नफ़रत की राजनीति कर सकते हैं। वो आपस मे एक दूसरे को भिड़ाने का काम करते है। सभी जानते हैं कि अपराधी की कोई जाति नही होती है। मगर सवाल तब उठते हैं जब नीयत में खोट में हो। जवाब दिया जाना चाहिए कि एक विशेष जाति के अपराधी खुले क्यों घूम रहे हैं !