नितिन राऊत
मैं अखिल भारतीय कांग्रेस समिति अनुसूचित जाति का अध्यक्ष हूँ। दलितों के खिलाफ देशभर में जहां कहीं भी उत्पीड़न की बात सामने होगी। मैं वहां जाऊंगा, अपने समाज के लोगो की पीड़ा सुनने का काम करूंगा। अपनी तरफ़ से जो भी मदद कर सकता हूँ ,करूंगा। यही मैं करने गया था। आज़मगढ़ में एक दलित प्रधान की हत्या दलितों के स्वाभिमान पर चोट है। वो प्रधान काफी साहसी और ओजस्वी था। अपनी बात डंके की चोट पर कहता था। उसके बाद पुलिस की गाड़ी से कुचलकर एक किशोर की मौत हो गई। मैं इनके घर जा रहा था,यह कोई राजनीति नही थी।
उत्तर प्रदेश में एनएसआरबी के आंकड़ो के मुताबिक दलितों के विरुद्ध 47 फ़ीसद की बढ़ोतरी हुई है। जो भी इनसे असहमति जताता है,ये उसके ख़िलाफ़ दमनकारी नीति अपना लेते हैं। यही मुसलमानों के साथ हुआ और अब दलितों के साथ हो रहा है। सत्यमेव जयते हमारा पार्टी वर्कर था। वो अंबेडकरवादी विचारधारा का एक साहसी सरपंच था। उसके गांव के आसपास भी उसकी ख्याति थी। मुझे जानकारी मिली है कि उसकी साफ़गोई स्थानीय दबंगो की आंख में चूभती थी। मैं उनके परिवार के बीच जाकर दुःख बांटना चाहता था। देश में दलितों की स्थिति यूपी में सबसे बदतर है। रोज़ यहां एक गंभीर घटना सामने आ रही है। दलित समाज के दमन करने की प्रवृत्ति को यहां दम मिला है। हम प्रयास नही छोडेंगे और उत्तर प्रदेश आते रहेंगे,भले ही सरकार हमें कितना ही रोकने की जेद्दोजहद करें। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था ही नही है ! कहीं 6 साल की बच्ची के रेप हो रहा है,कहीं दलित नाबालिग़ किशोरी को गैंगरेप के हत्या की जा रही है। कहीं पूरी बस हाईजेक हो जाती है। पुलिसकर्मियों की हत्या हो रही है।
उत्तर प्रदेश प्रशासन को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का राजनीतिक इतिहास पढ़ना चाहिए और मेरे 45 साल के राजनीतिक इतिहास को भी जानना चाहिए। क्या मेरा लोगो का भड़काने का एक भी रिकॉर्ड है। क्या मैं कोई सभा को संबोधित करने वाला था !क्या मेरी गाड़ी में किसी प्रकार का अवैध हथियार मिला ! क्या मेरी गाड़ी में कोई आपत्तिजनक सामग्री थी। योगी सरकार विरोध की आवाज़ों को ताकत से कुचलने की कोशिश कर रही है। उनके पास जवाब ही नही है। वो दिखावे के लिए मजबूत बनते हैं जबकि बहुत अधिक कमज़ोर है। मेरे अलावा भी उन्होंने किसी भी दलित नेता को उस गांव में नही जाने दिया। बेहद हैरतअंगेज यह है कि स्थानीय पुलिस इसी जातीय भेदभाव के तौर पर हुई हत्या ही नही मान रही है। यह मेरे लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन है।
मैंने बाकायदा एक पत्र जारी किया कि मैं महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री हूँ। वाराणसी एयरपोर्ट से मैं कार से निकला। मैं उत्तर प्रदेश में अतिथि था। मुझे स्थानीय पुलिस का सहयोग मिलना चाहिए था मगर उलटा पुलिस ने मुझे हिरासत में ले लिया उन्होंने मुझे कहा कि हम आपको आज़मगढ़ में वहां लेकर जा रहे हैं जहां दूसरे कांग्रेस नेतागणों को हिरासत में रखा गया है। जिनमे कोंग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया भी शामिल थे। मुझसे बड़े पुलिस अधिकारियों ने बात भी नही की और मौके पर मौजुद पुलिसकर्मियों के व्यवहार काफी गैर पेशेवर था। मेरे बहुत अधिक प्रयास के बाद भी मुझे बांसगांव नही जाने दिया गया और न ही किसी से बात कराई गई। अब यह भी मानवधिकार मूल्यों का हनन नही है तो और क्या हो सकता है !
दलितों के ख़िलाफ़ हो रहे उत्पीड़न पर हम दबेंगे नही,हम तो लड़ेंगे,यह सब हमारी लड़ाई की प्रभावित करने के लिए हो रहा है। अब हमने तय किया है कि उत्तर प्रदेश में किसी भी प्रकार के लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन पर हम दलितों की आवाज़ बनेंगे। आज़मगढ़ से लेकर सहारनपुर तक हम हर उस जगह जाएंगे जहाँ दलितों पर अत्याचार होगा। हम डर नही रहे हैं और न हमारा डरने का भविष्य में कोई इरादा है। आज़मगढ़ में हम गांव के सरपंच सत्यमेव जयते के परिवार के साथ खड़े रहेंगे।
महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति अनुसूचित जाति के अध्यक्ष डॉ नितिन राउत को कल उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में हिरासत में ले लिया गया था,वो आज़मगढ़ के एक गांव बांसगांव में एक दलित जाति के प्रधान सत्यमेव जयते उर्फ पप्पू की हत्या के बाद उसके परिजनों से मिलने जा रहे थे। उन्हें गांव में पहुंचने नही दिया गया और हिरासत में लिया गया। फ़िलहाल वो महाराष्ट्र वापिस लौट गए हैं। यह लेख उनकी Twocircles.net केे आसमोहम्मद कैफ़ से हुई हूबहू बातचीत पर आधारित है।