स्टाफ रिपोर्टर। Twocircles.net
दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के आज 15वे दिन टिकरी बार्डर पर मानवाधिकार दिवस के मौके पर जेल में बंद एंटी सीएए प्रदर्शनकारी छात्रों,युवाओ और सामाजिक कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग उठी। कृषि बिल के विरोध में बैठे किसान प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर लिए गिरफ्तार छात्रों,युवाओं को रिहा करने की मांग की गई।
दिल्ली में किसान संगठनों द्वारा नये कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के टिकरी, सिंधु, गाजीपुर बार्डर पर पिछले दो हफ्तों से आंदोलन किया जा रहा है।आज आंदोलन के 15 वे दिन मानवधिकार दिवस के दिन कथित तौर पर झूठे मुकदमों में प्रताड़ित करके कैद किये गए विभिन्न छात्रों, युवाओं और समाजिक कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की गई। दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये हुए कुछ छात्रों और समाजिक कार्यकर्ताओं पर यूएपीए की कार्यवाही भी करी गई है। गिरफ्तार किए हुए छात्र, समाजिक कार्यकर्ता पिछले कई महीनों से जेल में बंद हैं।
पिछले वर्ष हुए सीएए विरोधी आंदोलन में गिरफ्तार हुए खालिद सैफी, आसिफ इकबाल,मीरान हैदर,शरजील इमाम,शिफा उर रहमान, नताशा नारवाल,उमर खालिद आदि लोगों की किसान प्रदर्शनकारियों ने रिहाई की मांग करी। गौतम नवलखा, सुधीर धांवले ,वखरा राओ, प्रो जी एम साई आदि समाजिक कार्यकर्ताओं को भी रिहा करने की मांग उठी। ज्ञात हो यह सब लोग मुकदमों में पिछले कई महीनों से जेल में बंद हैं। आज किसान आंदोलन में मानवाधिकार दिवस के मौके पर विभिन्न मुकदमों में गिरफ्तार हुए तमाम छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को इंसाफ़ देने की मांग करी गई।
दिल्ली में फरवरी में हुए दिल्ली दंगों के आरोप में दिल्ली पुलिस द्वारा सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को आरोपी बनाया गया है। बनाए गए आरोपियों में कुछ जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र हैं तो कुछ छात्र जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के है और कुछ विभिन्न समाजिक संगठनों से जुड़े हुए हैं। इन लोगों की रिहाई और इंसाफ़ को लेकर दिल्ली में टिकरी बार्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों मानवाधिकार दिवस के मौके पर आवाज़ उठाई। हाथों में बैनर और तख्तियां लेकर प्रदर्शनकारी किसानों ने झूठे मुकदमों में गिरफ्तार हुए तमाम समाजिक कार्यकर्ताओं को रिहा करके न्याय देने की मांग उठाई।
दिल्ली में कई किसान संगठन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 15वां दिन है। किसानों और केंद्र सरकार के बीच कृषि बिल को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। किसान यूनियनों ने कहा है कि वे सरकार द्वारा प्रस्तावित किए जा रहे कृषि कानूनों में संशोधन से संतुष्ट नहीं हैं। तमाम राजनीतिक दलों और गैर राजनैतिक दलों द्वारा किसान आंदोलन का समर्थन किया जा चुका हैं।