Home Dalit दलितों विरोधी मनुवादी एजेंडा लागू नही होने देंगे: चंद्रशेखर आज़ाद

दलितों विरोधी मनुवादी एजेंडा लागू नही होने देंगे: चंद्रशेखर आज़ाद

आसमोहम्मद कैफ़।Twocircles.net

नियुक्तियों और प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर दलितों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। दलित इसके लिए रणनीति तैयार करने में जुट गए हैं। दलितों के जानकारों के मुताबिक़ सरकार दलितों के आरक्षण को ख़त्म करने की दिशा में बढ़ रही है। भीम आर्मी के संयोजक चंद्रशेखर आज़ाद ने इस मुद्दे पर आंदोलन करने की बात कही है।

यह हालत सुप्रीम कोर्ट से एक निर्णय के बाद बने है जिसमे नियुक्तियों में प्रमोशन को मौलिक अधिकार मानने से इंकार किया गया है। इस मुद्दे को लेकर देशभर में राजनीति गर्म हो गई है। इसका असर संसद में बहस के दौरान को मिला। बहस के दौरान कांग्रेस ने वॉकआउट कर दिया और कहा कि इस फ़ैसले से दलित आदिवासी बहुत निराश होंगे।

बहुजन लोगों से मिलते हुए आज़ाद

बिजनौर में आज पहुंचे भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने इस बार बेहद कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चंद्रशेखर ने कहा है कि वो इस मुद्दे पर आंदोलन के लिए योजना बना रहे हैं और दलितों को अब सड़क पर संघर्ष करना होगा

दलित आरक्षण के प्रमोशन और एसटी/एससी उत्पीड़न कानून में सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद दलितों के बीच से विरोध की और भी आवाजें आई है। बिजनौर में सीएए के विरोध के दौरान घायल हुए लोगोंं से मिलने पहुंचे भीम आर्मी के संरक्षक चंद्रशेखर आज़ाद ने लड़ाई लड़ने की बात कही है।

चंद्रशेखर आज़ाद कहते हैं,  ‘हमने हमेशा लड़कर अपने अधिकारों की रक्षा की है और लड़कर एससीएसटी हितों को बचाया है। अब हमनें तय किया है कि हम इसके लिए भी लड़ेंगे। हमने भीम आर्मी को इसके लिए तैयारी करने के लिए कह दिया है। यह दलितों के आत्मसम्मान का प्रश्न है हम किसी प्रकार का मनुवादी एजेंडा लागू नही होने देंगे।’

PC: PTI

मुजफ्फरनगर के अंबेडकर जागरूक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ने भी भविष्य के लिए दलितों को मानसिक रूप से मजबूत रहने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि सरकार अपना एजेंडा लागू करने के लिए अदालत का सहारा ले रही है जबकि सभी जानते हैं कि 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान व्यापक प्रदर्शन इसी मुद्दे को लेकर था। यह बात पूरी सच है की देश मे अदालती फैसलों पर उंगली उठाने की एक पुख़्ता वजह है और मनुवाद का एजेंडा लागू करने के लिए सभी संभव तरीक़े अपनाए जा रहे हैं। मगर दलित इन फैसलों को आसानी से नहींं मानने वाले हैं। निश्चित तौर पर इसका विरोध सामने आएगा। यह दलितों के अस्तित्व का प्रश्न है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री दीपक कुमार के मुताबिक केंद्र सरकार हिंदुत्ववादी एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। यह फ़ैसला अगर एक सप्ताह पहले आ जाता तो दिल्ली चुनाव में बीजीपी और भी बुरी गत हो जाती।दलितों की इन्हें ज़रूरत सिर्फ मुसलमानों के ख़िलाफ़ धुर्वीकरण में पड़ती है। सच यह है इनके अंदर दलितों के प्रति बड़ी दुर्भावना भरी हुई है। जो समय-समय पर बाहर आती रहती है। मनुवाद के इनके एजेंडे की तरफ़ नज़र दौड़ाने पर पता चलता है कि सरकार उसी दिशा में काम रही है।एससीएसटी ने देश को अपने खून से सींचा है और अत्यधिक भेदभाव और उत्पीड़न का सामना किया है। अब आरक्षण और सख़्त क़ानून से उसके उत्पीड़न में कुछ कमी आई थी। उसकी स्थिति कुछ बेहतर हुई थी मगर अब ऐसा लगता है कि एक बार फिर से दलितों से हाशिये पर धकेलने का षड्यंत्र हो रहा है।