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दिल्ली पुलिस ने ‘शाहीन बाग़’ की महिलाओं को नहीं जाने दिया अमित शाह के घर, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

यूसुफ़ अंसारी, twocircles.net

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने ‘शाहीन बाग़’ की हज़ारों महिला प्रदर्शनकारियों गृह मंत्री अमित शाह से मिलने उनके घर नहीं जाने दिया। जैसे ही इन महिलाओं ने शाहीन बाग़ के धरना स्थल से गृहमंत्री अमित शाह के घर की तरफ़ पैदल मार्च शुरु किया, कुछ दूर ही दिल्ली पुलिस ने इन्हें रोक दिया। नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे धरना प्रदर्शनों को रोकने के लिए जामिया में काफी सख्ती बरते वाली दिल्ली पुलिस शाहीन में महिलाओं के साथ काफ़ी शालीन व्यवहार करती दिखी।

जब शाहीन बाग़ धरने की दबंग दादियां कही जाने वाली बुज़ुर्ग महिलाओं ने गृहमंत्री के घर की तरफ़ बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस अफ़सर उनके सामने हाथ जोड़कर खड़े हो गए। उन्हें समझाने बुझाने लगे कि वो गृहमंत्री से मिलने का समय लिए बग़ैर उनके घर नहीं जा सकतीं। महिलाओं का जत्था कुछ दूर तक चला। लेकिन बाद में पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। महिलाओं के हाथों में तिरंगा झंडा था। पुलिस के रोक जाने पर इन महिलाओं ने काफा देर तक नागरिकता संशोधन क़ानून, एनपाआर और एनआरसी के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की।

शाहीन बाग़ का यह धरना आगे भी जारी रहेगा या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट में  शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों की तरफ़ से दबंग दादियां पक्ष रखेंगी। ग़ौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट याचीकि दाख़िल करके प्रदर्शनकारी महिलाओं को यहां से हटाकर सड़क ख़ाली कराने की मांग की गई है। पिछले हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि वो प्रदर्शनकारी महिलाओं का पक्ष सुने बग़ैर उन्हें वहां से हटने का आदेश नहीं दे सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले मे केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को भी नोटिस जारी करके अपना पक्ष रखने को कहा था। सोमवार को सभी पक्षों की दलीलें सुनने को बाद सुप्रीम कोर्ट कोई फ़ैसला कर सकती है।

माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की फटकार से बचने के लिए ही गृहमंत्री ने नागरिकता संशोधन क़ानून पर शाहीन बाग़ समेत सभी को बातचीच का खुला न्योता दिया। गृहमंत्री अमित शाह ने जैसे मीडिया के ज़रिए बातचीत की पेशकश की वैसे ही शाहीन बाग़ की महिलाओं ने भी मीडिया के ज़रिए कह दिया कि वो रविवार दोपहर दो बजे गृहमंत्री से मिलने जा रही है। यह बात पहले से तय थी कि न महिलाओं को वहां जाने दिया जाएगा और न ही अमित शाह उनसे मिलेगें। यह तो सुप्रीम कोर्ट में कहने के लिए हो गया कि गृहमंत्री ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को बातचीत के लिए खुला निमंत्रण दे दिया है। सरकार की तरफ से इसी बहाने शाहीन बाग़ के धरने का ख़त्म करने का अनुरोध किया जाएगा।

इसी स्क्रिप्ट पर रविवार को शाहीन बाग़ का ड्रामा रचा गाया। क़रीब एक बजे शाहीन बाग़ के धरना स्थल पर हजारों महिलाएं गृहमंत्री अमित शाह से मिलने जाने के लिए इकट्ठा हुई। दो बजे इन्हें मार्च करना था। लेकिन दिल्ली पुलिस ने इन्हें पैदल मार्च करके गृहमंत्री के घर तक जाने की इजाज़त नहीं दी। शनिवार शाम को शाहीन की प्रदर्शनकारी महिलाओं की तरफ़ से दिल्ली पुलिस को बाक़ायदा चिट्ठी देकर मार्च की इजाज़त मांगी थी। रविवार दोपहर को पुलिस के कहने पर आठ लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल पुलिस अधझिकारियों से मिला। पुलिस ने इनसे कहा कि गृहमंत्री से बग़ैर समय लिए नहीं मिल सकते। पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे गृह मंत्री से मिलने का समय लेकर आएं तो वो उन्हें वहा जाने से नहीं रोकेगी।

दरअसल महिलाएं अमित शाह के घर की ओर इस उम्मीद में मार्च कर रहीं थी वो उनसे बातचीत करेंगे। बतां दें कि दो दिन पहले ही गृह मंत्री ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि जिन्हें भी नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर संदेह है वो अप्वाइंटमेंट लेकर उनसे बात कर सकते हैं। इसी आधार पर शाहीन बाग़ की प्रदर्शनकारी वाली महिलाओं ने शनिवार को ही तय कर लिया था कि वो रविवार को गृह मंत्री से मिलने के लिए मार्च कर जाएँगी। इस बात को लेकर स्थिति साफ़ नहीं है कि क्या इन महिलाओं ने गृहंमंत्री से औपचारिक रूप से मिलने का समय मांगा था या नहीं। गृहमंत्री के कार्यालय से भी बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई।

शाहीन बाग़ नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन का केंद्र बना हुआ है। यह धरना–प्रदर्शन महिलाओं के नेतृत्व में ही चल रहा है। क़रीब दो महीने से महिलाएँ शाँतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन कर रही हैं। इस प्रदर्शन की दुनिया भर में चर्चा रही है। इसकी तर्ज़ पर देश भर में कई शहरो में महिलाएं प्रदर्शन के लिए आगे आईं हैं। मोटे अनुमान के अनुसार देश भर में 200 से ज्यादा जगहों पर शाहीन बाग़ जैसे धरना-प्रदर्शन चल रहे हैं। हर शहर में इसे वहां का शाहीन बाग़ कहा जा रहा है।

रविवार दोपहर महिलाओ के मार्च से पहले ही उन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात थे। महिलाओं को आगे बढ़ने से रोक दिया गया। महिलाएँ शांतिपूर्ण तरीक़े से आगे बढ़ रही थीं। दक्षिण दिल्ली पुलिस के डीसीपी पीआर मीणा ने कहा कि गृह मंत्री के साथ बैठक के लिए उनके आवेदन को भेज देने की बात कहने पर महिलाओं ने मार्च ख़त्म कर दिया। वो वहीं धरने पर बैठ गईं। बाद में वे सभी लौट गईं। इससे पहले पुलिस ने महिलाओं के उस आवेदन को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने गृह मंत्री के आवास पर जाने के लिए मार्च की अनुमति माँगी थी।

अब शाहीन बाग़ की महिलाओं का कहना है सरकार अपने किसी प्रतिनिधि को धरनास्थल पर भेज कर इस मुद्दे पर स्थिति साफ़ करे। इस बीच जब शाहीन में यह सारा ड्रामा चल रहा थे तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी की रैली में बोल रहे थे कि नागरिकता संशोधन क़ानून और अनुच्छेद 370 पर दुनिया भर के दबाव के बावजूद उनकी सरकार अपने रुख में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगी। ऐसे में यह सवालव उठना लाज़िमी है कि जब सरकार ने ठान लिया है कि वो क़ानून वापिस नहीं लेगी तो फिर शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों से गृहमंत्री क्या बात करेंगे? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रियों के अलग-अगल बयानों की वजह से ही नागरिकता संशोधन क़ानून, एनपीआर और एनसीआर के बारे में भ्रम की स्थिति बनी हुई है।