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लखनऊ: उजरियां में धरने को हुआ एक महीना पूरा, घण्टाघर पर भूखहड़ताल शुरू

आसमोहम्मद कैफ़, Twocircles.net

लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में लखनऊ के उजरियाँ मे चल रहे धरना-प्रदर्शन को एक महीना पूरा हो गयाहै। दूसरी तरफ़ घण्टाघर पर हो रहे प्रदर्शन में अब महिलाओं ने अनिश्चितकालीन भूखहड़ताल का ऐलान कर दिया है।

बता दें कि लखनऊ में नागरिक संशोधन कानून को वापस लेने, एनआरसी और एनपीआर के पूर्णतया बहिष्कार को लगातार गोमतीनगर के उजरियाँ और हुसैनाबाद के हेरीटेज ज़ोन में पिछले एक महीने से महिलाओं ने डेरा डाल रखा है। रविवार को घण्टाघर वाले प्रदर्शन ने एक माह पूरा किया था। आज उजरियाँ में भी महीना पूरा हो गया है। प्रदर्शन कर रही महिलाओं के मुताबिक़ वो यह यह प्रदर्शन संविधान बचाने के लिए कर रही हैं और अब इसके  जेल भरो से लेकर, असहयोग आंदोलन तक के रास्ते अपनाएँ जाएंगे। हेरिटेज ज़ोन होने के कारण लखनऊ के घण्टाघर प्रदर्शन को अत्यधिक चर्चा मिली है। जबकि संख्याबल के हिसाब से उजरियाँ वाला प्रदर्शन भी कम नहीं है।

उजरियां धरने के एक माह पूरा होने पर उजरियां धरने पर संघर्ष कर रही महिलाओं ने आज नारा दिया है कि “महिला संघर्ष के एक माह, आओ संघर्ष के साथ चलो।” इस आह्वान पर देश-प्रदेश के कोने-कोने से उजरियांव धरने पर बैठी हुई महिलाओं के समर्थन में भारी संख्या में लोग धरने पर पहुँचें हैं।

उजरियांव धरना 19 जनवरी को शाम 6 बजे शुरू हुआ था। तब इसमें सिर्फ 50 महिलाएं थी। धरने के प्रारंभ के तुरंत बाद यहां पुलिस ने बल पूर्वक इन महिलाओं को हटाने की कोशिश की और धरने पर बैठी हुई महिलाओं को धमकाते हुए कहा कि आप लोग यंहा धरना नहीं कर सकते है। इसके बाद धरने स्थल पर लगे टेंट, कम्बल, दरी, चेयर, पोस्टर को पुलिस थाने उठा ले गई थी।19 जनवरी के ठिठुरती सर्द रात में भी उजरियांव की महिलाओं ने हार नहीं मानी। वो धरने पर बैठी रहींं। धरने के दूसरे दिन से महिलाओं की संख्या बढ़ने लगी और अब महिला संघर्ष का एक महुना पूरे हो गया।

उजरियां धरने में भी 102 साल की दादी नागरिकता संसोधन कानून के विरोध में धरने में शुरू से अब तक शामिल रही हैं।

यहां मौजूद महिला यास्मीन के मुताबिक नागरीकता संशोधन क़ानून संविधान विरोधी है। संविधान के तहत कोई भी क़ानून धर्म के आधार पर हमारी नागिरकता तय नहीं कर सकता। अगर करता है तो वह क़ानून संविधान विरोधी है। हम एनपीआर का पूर्णतया बहिष्कार करेंगे। अपना संविधान बचाने के लिए जेल भरो से लेकर, असहयोग आंदोलन तक के रास्ते अपनाएंगे और सरकार को यह असंवैधानिक क़ानून वापस लेने के लिए विवश करेंगे।

‘उजरियाँ की महिलाओं ने अब ‘महिला संघर्ष के एक माह, आओ संघर्ष के साथ चलो’ अभियान के तहत समर्थन की गुहार लगाई है। सबीहा मंसूरी के मुताबिक हम भाजपा सरकार को बता देना चाहते हैं आपातकाल और दमनकारी नीतियों को अवाम सिरे से खारिज करती है। घन्टाघर और उजरियावं में बैठी हुई महिलाओं समेत दूर-दराज से आईं महिलाएं काले क़ानून के ख़िलाफ़ जमकर हल्ला बोल रही हैं। ये महिलाएं संकल्प ले रहीं हैं कि वो भी अपने गांव, कस्बे और शहर में घंटाघर और शाहीन बाग़ बनाएंगी।

एक माह पूरे होने पर यहां जेएनयू पूर्व छात्र अध्यक्ष एन साई बालाजी, वरिष्ठ पत्रकार किरण सिंह, बाँसुरी वादक अशुकान्त सिन्हा, रणधीर सिंह सुमन, सृजन आदियोग, सुप्रिया ग्रुप, अजय सिंह, हरजीत सिंह, ओपी सिन्हा, मानवाधिकार कार्यकर्ता रविश आलम, मुजतबा छात्र अलीगढ़ विश्वविधालय, किन्नर समाज से कोमल (गुड्डन), कहानीकार फरज़ाना मेंहदी जैसे हस्तियां इनका हौसला बढ़ाने पहुंची।

दूसरी तरफ लखनऊ की घण्टाघर की महिलाएं तमाम तरह के षड्यंत और दुश्वारियों के बावूजद हिम्मत हारने के लिए तैयार नही है। यहां मौजूद महिलाएं आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई है।शबीह फ़ातिमा के अनुसार सरकार पूरी तरह से उनकी अनदेखी कर रही है। हमारी कोई सुनवाई नही हो रही है। समाज में निराशा पनप रही है। मगर लड़ाई और अधिक मुश्किल दिख रही है। अब हमने तय किया है कि हम अनिश्चितकालीन रोज़ा (उपवास) रखेंगे। हम यह पहले ही यह जानते थे कि यह सँघर्ष बहुत लंबा चलेगा और हम मानसिक रूप से दृढ़ है।