जस्टिस मुरलीधर के तबादले पर सियासी बवाल, मोदी सरकार की नीयत पर उठे सवाल

यूसुफ़ अंसारी, twocircles.net

दिल्ली हिंसा के मामले में भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश देने वाले हाई कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के तबादले को लेकर सियासी बवाल खड़ा हो गया है। इस लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर ज़ोरदार हमला बोल दिया है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और उनकी बहन पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने जहाँ ट्विटर से निशाना साधा, पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके मोदी सरकार की नीयत पर कई सवाल खड़े किए। उन्होंने बीजेपी पर न्याय का गला घोंटने का आरोप लगाया।


Support TwoCircles

जस्टिस एस मुरलीधर के तबादले पर चौतरफ़ा घिरी मोदी सरकार की तरफ से कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सफाई दी है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने चीफ़ जस्टिस की अध्यक्षता में 12 फरवरी को ही उनके तबादले की सिफारिश कर दी थी। किसी भी जज के ट्रांसफर पर उनकी भी सहमति ली जाती है और इस प्रक्रिया का भी पालन किया गया है। इस मुद्दे का का राजनीतिकरण के करके कांग्रेस ने एक बार फिर न्यायपालिका के प्रति अपनी दुर्भावना को दिखाया है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि भारत की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है। इसके बाद अब वह सभी संस्थानों पर लगातार हमले कर उनको नष्ट करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि जस्टिस लोया का केस की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस पर सवाल उठाकर कुछ लोग न्यायपालिका का अपमान कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर व्यापक बहस हुई थी। क्या राहुल गांधी खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझते हैं?

आपको बता दें कि 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने सिर्फ़ जस्टिस मुरलीधर के तबादले की ही सिफ़ारिश नहीं की थी। बल्कि की जजों के तबादले की भी सिफारिश की गई थी। कॉलेजियम ने बोम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस रंजीत मोरे का तबादला मेघालय हाई कोर्ट में और जस्टिस रवि विजयकुमार मलिमथ का तबादला कर्नाटक हाई कोर्ट से उत्तराखंड हाई कोर्ट किया गया है। लेकिन बीती रात सिर्फ़ जस्टिस मुरलीधर के तबादल का ही नेटिफिकेशन केंद्र सरकार की तरफ से जारी हुआ। अगर मोदी सरकरा ने 12 फरवरी की सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम का सिफारिश के आधार पर जस्टिस मुरलीधर का तबादला किया है तो फिर इस सिफ़ारिश में शामिल बाक़ी जजों के तबादले क्यों नहीं किए गए। इसे लेकर ही मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।

दरअसल बुद्धवार को जस्टिस मुरलीधर ने दिल्ली में लगातार तीन दिन चले हिंसा के नंगे नाच पर दिल्ली पुलिस की जमकर खिंचाई की थी। उन्होंने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि उनके रहते अदालत दिल्ली में 1984 जैसे हालात नहीं बनने देगी। उन्होंने भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज नहीं किए जाने पर दिल्ली पुलिस की जमकर खिचाईं की थी। उन्होंने भरी अदालत में बीजेपी के चार नेताओं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सासंद प्रवेश वर्मा विधायक अभय शर्मा और कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयानों की वीडियो क्लिप देखने के बाद सख़्त टिप्पणी करते हुए दिल्ली पुलिस चीफ़ अमूल्य पटनायक तक यह संदेश पहुंचाने को कहा था कि इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई के लिए अदालत के आदेश की ज़रूरत नहीं है। माना जा रहा है कि इसी टिप्पणी से नाराज़ होकर आनन फान में उनका तबादला किया गया है।

जस्टिस मुरलीधर की इस टिप्पणी से दिल्ली पुलिस की फजीहत हुई। उस पर हिंसा रोकने का दबाव बढ़ा। पीएम मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल को हिंसा ग्रस्त इलाके का दौरा करने भेजा। इस बीच देर रात को  यह ख़बर आ गई कि जस्टिस एस मुरलीधर को उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफ़र कर दिया गया है। केद्र की तरफ़ से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि संविधान के आर्टिकल 222 के तहत, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अनुशंसा पर राष्ट्रपति जस्टिस मुरलीधर का दिल्ली हाईकोर्ट के जज से पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज के तौर पर तबादला करते हैं। जस्टिस मुरलीधर अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में जज का कार्यभार संभालेंगे। बता दे कि दिल्ली हाईकोर्ट की बार असोसिएशन ने पिछले हफ्ते तबादले की निंदा की थी और सुप्रीम कोर्ट से फैसला वापिस लेने की अपील भी की थी।

गुरुवार की सुबह बुलाई गई कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेस में पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने जस्टिस मुरलीधर के अचानक तबादले पर मोदी सरकार को घेरा। सुरजेवाला ने कहा, ‘रातोंरात आनन-फानन में बीजेपी नेताओं को बचाने के लिए क़ानून मंत्रालय ने जज का ट्रांसफ़र कर दिया। पूरा देश अचंभित है। हमारे देश की न्यायपालिका ने देश के संविधान की रक्षा की है, पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई सरकार सत्ता के नशे में इस क़दर चूर है कि वह संविधान और न्यायपालिका को कमज़ोर कर रही है।’

सुरजेवाला ने कहा कि देश मोदी और अमित शाह से तीन सवाल पूछता है-

  • क्या सरकार को डर था कि बीजेपी नेताओं की स्वतंत्र जाँच हो जाएगी तो दिल्ली के आतंक, हिंसा और षडयंत्र का पर्दाफाश हो जाएगा?
  • न्याय को रोकने के लिए आप और कितने जज का ट्रांसफर करेंगे?
  • आपके पास अपने नेताओं के बचाव का कोई और तरीका नहीं था जिसकी वजह से आपने जज का ट्रांसफर कर दिया?

जस्टिस मुरलीधर के तबादले को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ने भी निशाना साधा। हालाँकि उन्होंने न तो जस्टिस मुरलीधर का नाम लिया और न ही दिल्ली हिंसा में सुनवाई और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं का ज़िक्र किया। उन्होंने सिर्फ़ इतना ही कहा, ‘बहादुर जज लोया याद आ रहे हैं जिनका तबादला नहीं किया गया था।’

इधर, प्रियंका गाँधी ने ट्वीट कर जस्टिस मुरलीधर के तबादले को शर्मनाक बताया। प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘मौजूदा विवाद को देखते हुए जस्टिस मुरलीधर का आधी रात को तबादला चौंकाने वाला नहीं है, लेकिन यह निश्चित तौर पर दुखद और शर्मनाक है। लाखों भारतीयों को एक न्यायप्रिय और ईमानदार न्यायपालिका में विश्वास है, न्याय को विफल करने और उनके विश्वास को तोड़ने के सरकार के प्रयास दुस्साहसी हैं।’

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE