Home Dalit विडम्बना : शमशान में जलाने से रोक दिया दलित महिला का शव

विडम्बना : शमशान में जलाने से रोक दिया दलित महिला का शव

स्टाफ़ रिपोर्टर । Twocircles.net

उत्तर प्रदेश के आगरा से एक बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है। यहां दलित समाज की एक नवविवाहिता का शव श्मशान में जलाने से रोक दिया गया। कहा गया कि नट जाति की इस महिला अंतिम संस्कार कराएं जाने से से यहां बुरी आत्माओं का वास हो सकता है। भारत मे नट एक ऐसी जाति के तौर पर जानी जाती है जो खेल तमाशे करके पैसा मांगती है। अक्सर सड़कों पर फिल्मी गाने की धुन पर हवा में रस्सी पर चलती हुई लड़कियां दिख जाती है वो इसी जाति से है। दलित समुदाय की जिन जातियों का बिल्कुल भी विकास नही हुआ है। नट उनमे से एक है।

मामला आज ही के दिन का है यानि सात दिन हो गए है।आगरा के अछनेरा तहसील के गांव रायभा में 25 साल की पूजा की मौत हो गई थी। उसका पति राहुल अपने परिजनों के साथ शमशान घाट पहुंचा और उसने चिता लगाई। अपनी मृत पत्नी को उस पर लिटाया और मुखग्नि देने की तैयारी करने लगा। स्थानीय अख़बारो के मुताबिक इसके तुरंत बाद ठाकुरों का एक समूह वहां पहुंचा और उन्होंने राहुल को मुखग्नि देने से रोक दिया। राहुल के परिजनों ने इस पर हाथ पैर पकड़कर मनुहार की मगर कोई नहीं माना।

इसके बाद टूटे मन से नट परिवार ने चिता से मृत महिला को उतारा और दूसरी जगह अंतिम संस्कार किया। हैरत की बात यह है कि इस दौरान विवाद के बीच अछनेरा पुलिस भी मौके पर पहुंच गई मगर दबंगो के सामने उनकी भी नही चली। दलित नट जाति के लोगों को मजबूरन कहीं अन्यंत्र अंतिम संस्कार करना ही पड़ा। यह ठीक वैसे ही हुआ जैसे मध्यप्रदेश के खंडवा में हुआ था। यह घटना 2016 में हुई थी। जब एक दलित महिला मैदाबाई की शवयात्रा को गौघाट पर जाने से रोक दिया गया था। इस बार भी दलितों को जगह बदलने पड़ी। आगरा में तो चिता

में से शव को निकाल कर नंगला लालदास गांव के शमशान में महिला का अंतिम संस्कार हुआ। घटना के सात दिन बाद बसपा सुप्रीमों मायावती ने कहा है एक दलित महिला का शव वहां कि जातिवादी मानसिकता रखने वाले उच्च वर्गों के लोगो ने इसलिए हटा दिया क्योंकि वह शमशान घाट उच्च वर्गों का था। जो यह अति-शर्मनाक व अति निंदनीय भी है। इस जातिवादी घ्रणित मामले की यूपी सरकार द्वारा उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए तथा दोषियों को सख्त से सख्त सज़ा मिलनी चाहिए,ताकि प्रदेश में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो सके।

आगरा दलित बहुल इलाका है और दलितों के लिए आरक्षित लोकसभा सीट है। आगरा के एसएसपी बबलू कुमार के मुताबिक सीओ अछनेरा को इसकी जांच सौंपी गई है।जो भी दोषी पाया जाएगा उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि पुलिस की बेबसी का आलम यह है कि शमशान घाट में मौके पर सीओ और थाना प्रभारी अछनेरा पहुंच गए थे। मगर वो दबंगों को नट जाति की महिला का शव चिता से वापस उतरवाने से रोक नही सके। पूर्व मंत्री दीपक कुमार के मुताबिक पुलिस का डंडा अब सिर्फ अल्पसंख्यको और दलितों पर चलता है दबंगो के सामने वो खुद को मित्र पुलिस के तौर पेश करती है। दूसरा पक्ष ठाकुरों को देखकर पुलिस नतमस्तक हो गई।सब कुछ उनके सामने हुआ अब जांच का नाटक हो रहा है। यह सामाजिक भेदभाव की एक और घटना है। जो विश्व भर में हमारी छवि धूमिल करती है।

आगरा से बीजीपी के दलित सांसद इस पर चुप है। यह भी हैरत में डालता है। उत्तर प्रदेश में दलितों की दशा लगातार बिगड़ती जा रही है उनपर अत्याचार हो रहे हैं, यहां खास जाति दबंग कानून अपने हाथ में लेकर घूम रहे हैं।