टपराना में अब 200 मुस्लिम परिवार घर छोड़ने की बात कह रहे हैं, गांव के लोगोंं ने घरों पर ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लगा दिए हैंं। ख़ौफ़ में अब वहां कोई बात नही कर रहा है। एसपी शामली इसे प्रोपेगैंडा बता रहे हैं।
आस मोहम्मद कैफ ।Twocircles.net
टपराना शामली से 5 किमी की दूरी पर है, कैराना से 8 और झिंझाना से 2 किमी। पांच हजार की आबादी वाली इस गांव के बच्चे इन तीनोंं बड़ी जगहों के कॉलेज में पढ़ने जाते हैं। टपराना का रिकॉर्ड है उनके बच्चें इन तीनों स्कूलों में स्थानीय लड़कों से कभी पिट कर नही आते। टपराना के लोग यह बात छाती फुलाकर बताते हैं।
टपराना पठानों की राजधानी है। 85 फ़ीसद मुस्लिम आबादी वाले इस गांव में 90 फ़ीसद सिर्फ़ पठान हैंं। पुलिस, आसपास के लोग और स्थानीय पत्रकारों की मान ले तो टपराना सालों से एक दबंग गांव है। पिछले कुछ समय से यहां सट्टा और जुआ
26 मई को ऐसा नहींं हुआ। उत्तर प्रदेश पुलिस अपने गोकशी के विरुद्ध चलाएं जा रहे अभियान के तहत इस गांव में एक गोकशी के आरोपों से घिरे अफ़ज़ल को गिरफ्तार करने पहुंची। गोकशी को लेकर बदनाम अफ़ज़ल को शामली पुलिस ज़िला बदर कर चुकी थी। इसी गांव के पुलिस सूत्र ने उन्हें बताया कि अफ़ज़ल गांव में है। कानून के मुताबिक़ ज़िला बदर अपराधी एक साल तक अपने जनपद में नही आ सकता। ऐसा करने पर उसे गिरफ्तार किया जा सकता है।
इस गांव का एक मिज़ाज है जो पूर्व की सरकारों में ‘सेट’ हुआ है। मगर अब ‘निज़ाम’ बदल गया है। गांव में पहुंची 2 दरोगा और तीन सिपाहियों की टीम को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। पुलिसकर्मियों की गाड़ी पर पथराव हुआ। उनकी गाड़ी तोड़ दी गई। पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट हुई। उन्हें एक स्थानीय ज़िम्मेदार नागरिक ने भीड़ से बचा लिया।
गांव के बुजुर्ग अनवर अहमद बताते हैं यहां अफ़वाह फैलाई गई थी कि पुलिस दो लड़कों को उठाकर ले जा रही है और उनका एनकाउंटर करेगी। पिछले सप्ताह पास के जनपद सहारनपुर में पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक गोकश की मौत हो गई थी। इसके अलावा एक दर्ज़न से ज्यादा के पैर में गोली लगी थी। इस तथ्य ने इस अफ़वाह को मजबूती दी। इसके बाद स्थानीय कोतवाल विनोद कुमार सिंह रात में ही गांव में पहुंचे उन्होंने हिकमत-ए-अमली का इस्तेमाल करते हुए माहौल शांत किया। मुख्य आरोपी अफ़ज़ल को हिरासत में ले लिया और घायल पुलिसकर्मियों को साथ लेकर वापस लौट आएं।
पुलिस के मामलों के जानकार झिंझाना के साहिल ख़ान बताते हैं कि इंस्पेक्टर झिंझाना ने बेहद होशियारी से काम लिया। उन्होंने फंसी हुई लकड़ी निकाल ली और इसके बाद सब कुछ उच्च अधिकारियों को बता दिया। इसी रात एक बजे पुलिस फिर लौट कर आई। गांव वाले बताते हैं यह ‘युद्ध’ की तरह था। गांव को पूरी तरह घेर लिया गया। सभी रास्तों पर पुलिस खड़ी थी। ऐसा लगता था कि पूरे ज़िले की पुलिस थी। पीएसी भी थी।पुलिस ने होमवर्क किया था। घरों की बजाय मोहल्लों को चिन्हित किया था।
पुलिस गांव में सुबह 5 बजे तक रही। नफ़ासत(बदला हुआ नाम)बताते हैं कि जो भी पुलिस कर सकती थी पुलिस ने किया, बदला लिया, पूरी नफ़रत की भड़ास निकाल दी। घरों को तहस नहस कर दिया। रुपया पैसा लूट लिया। कहीं-कहीं चीजें(ज़ेवर) छीन लिए, औरतों को बुरी तरह पीटा।
जो चाहे किया ऐसा लगता था कि पुलिस कह रही हो, ‘हर वो सर कुचल दिया जाएगा जो उठने की कोशिश करेगा।’ नफ़ासत भीगी आंखों के साथ कहते हैं कि उन्होंने बदला लिया। कुछ लोगोंं की ग़लती का। पूरे गांव से।औरतों से, बच्चों से और बुजुर्गों से। 35 घरों को गहरी चोट पहुंचा दी गई। जिसकी ग़लती थी उसे सज़ा मिलती। अब 128 लोगो के विरुद्ध मुक़दमा दर्ज किया गया है। 30 लोगो को गिरफ्तार कर लिया है।
यहां घरों पर ‘मकान बिकाऊ है’ के पोस्टर लग गए हैंं। 200 से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं। घरों में ताले लटके पड़े हैं। जिन लोगों ने पुलिस पर पथराव किया था। उन पर कार्रवाई करते। निर्दोषों पर ज्यादती ही होनी चाहिए थी।
कांग्रेस के पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर पर प्रभारी शामली के पूर्व विद्यायक पंकज मलिक कहते हैं पुलिस ने बेहद बर्बरता का परिचय दिया। किसी एक पक्ष की ग़लती की सज़ा पूरे गांव बस्ती अथवा समुदाय को नही दी जा सकती। इस देश मे संविधान है। क़ानून है। पुलिस को सबकुछ क़ानून के मुताबिक़ ही करना चाहिए था।
पंकज मलिक के पिता पूर्व राज्यसभा सांसद हरेन्द्र मलिक ने टपराना गांव का दौरा किया और गांव में हुए ‘बदले की कार्रवाई’ का आंकलन किया था। पंकज मलिक कहते हैं, ‘पुलिस बदला नहींं लेती है। वो एक अनुशासित संगठन है। गांव के लोगोंं से बातचीत के बाद ऐसा लगता है कि पुलिस ने बदले की कार्रवाई की।’
शामली के एसपी विनीत जायसवाल पुलिस पर लगाए जा रहे आरोपों से इंकार करते हैं। वो कहते हैंं पुलिस ने किसी प्रकार से भी क़ानून का उल्लघन नहींं किया है। वो किसी निर्दोष को जेल नही भेजेंगे। मगर किसी दोषी और गोकशी करने वाले को शरण देने वाले को बख्शा भी नहींं जाएगा।
एसपी विनीत जायसवाल पूरे घटनाक्रम को बताते हुए कहते हैं, ‘पुलिस गोकशी करने वालों के ख़िलाफ़ अभियान चलि रही है। उन्हें जानकारी मिली थी कि दो अपराधी अफ़ज़ल और मुल्ला गांव में आएं है और गोकशी की योजना बना रहे हैं। पुलिस उन्हें पकड़ने पहुंची और पकड़ भी लिया तो छोटी मस्जिद से ऐलान कर भीड़ को इकट्ठा कर लिया गया। लोगोंं को उकसा कर इन्हें भीड़ से छुड़ाने के लिए प्रेरित किया गया।
इसके बाद समूहबद्ध तरीक़े से लाठी डंडों से पुलिस पर हमला कर दिया। फायरिंग भी की गई। हमारे दो सब इंस्पेक्टर और तीन सिपाही घायल हो गए। इसके बाद पुलिस के हमलावरों कों पकडने के लिए ऑपरेशन चलाया गया। इसके लिए हमें ताक़त लगानी पड़ी। पलायन की कहानी शामली में ट्रेंड बन चुकी है। यह दबाव बनाने की नीति है। हम इस चक्कर मेंं नहींं आ रहे हैं। हम किसी दोषी को नही छोडेंगे। स्थानीय विद्यायक मिलने के लिए आएं थे हमने उनसे भी स्पष्ट किया है कि हम बेगुनाहों को परेशान नहींं कर रहे हैं। बस दोषियों को गिरफ्तार जरूर करेंगे।
26 मई से टपराना में लगातार राजनीतिक लोगोंं का जमावड़ा लगा हुआ है। सहारनपुर के सांसद फज़रुलरहमान, कांग्रेस नेता इमरान मसूद ,पूर्व एमएलसी उमर अली खान, कैराना के विद्यायक नाहिद हसन गांव का दौरा कर चुके हैं। ये सभी निर्दोषों के ख़िलाफ़ हुई कार्रवाई से नाराज़ है और आगे किसी निर्दोष को परेशान न करने के लिए अधिकारियों से बात कर रहे हैं। मगर टपराना के लोग बुरी तरह ख़ौफ़ज़दा है। हालात यह है कि इस गांव के प्रधान नासिर ख़ान पत्रकारों का फ़ोन नही उठाते। पीड़ित अब्दुल कलाम नाम सुनते ही फ़ोन काट देते हैं। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता इस विषय मे बात नही करते हैं। कोई अगर बात करता है तो वो अनुरोध करता है कि उसका नाम पब्लिक न किया जाए।
ज़ाहिर है ख़ौफ़ बोल रहा है। एक भी राजनेता गांव वालों का भरोसा नही जीत पा रहा है। एसपी विनीत कहते हैं, ‘किसी को बेवजह डरने की ज़रूरत नहींं है मगर पुलिस पर हमला करने वालों को हम नहींं छोड़ सकते हैं। उन्हें भुगतना ही पड़ेगा।’