आस मोहम्मद कैफ़।Twocircles.net
कुतुबपुर-
50 साल के ताहिर 30 साल से गाय पाल पा रहे हैं। वो जंगल जाते हैं,चारा लाते हैं, इसे गाय को ख़िलाते है। गाय जो दूध देती है उसे बेच देते हैं। पिछलें 30 साल से उनकी जिंदगी ऐसे ही चल रही है।उनके परिवार की आमदनी यही एक रास्ता है। गाय पालने को लेकर उनके समुदाय में भले ही कितनी नकारात्मकता आई हो मगर उनके परिवार के लिए गाय बेहद अपनी है। गाय है तो इनकी ईद हैं। इनके परिवार में रोटी है। इनके बच्चों की स्कूल की फ़ीस है।
5 रुपये लीटर से गाय का दूध बेचने की शुरूआत करने वाले ताहिर सैफ़ी अब 30 रुपये लीटर पर आ गए हैं। उनके 8 गाय है। यह ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी हैं। उनकी हर एक उम्मीद और उनकी हर एक मुश्किल की साथी भी। वो अपनी गाय गांव में घेर (किसान का बड़ा सा घर जहां वो अपने जानवर बांधते है) में बांधता है। गांव के बाहरी किनारे पर इस घेर में गोबर का बड़ा सा ढेर लगा है। छप्पर के नीचे ताहिर की गाय बंधी हुई होती है। रविवार को ताहिर पर वज्रपात हुआ। सुबह जब वो अपनी बीवी निशा के साथ दूध निकालने पहुंचा तो चार गाय मरी हुई मिली। ताहिर बताते हैं कि इसके तुरंत बाद मेरी पत्नी गश खाकर गिर पड़ी। हमारी कुछ समझ में नही आया यह क्या हुआ! गाय हमारे लिए सिर्फ एक जानवर नही है। वो हमारा परिवार है। उनमें में बदबू आ रही थी। पेट बड़ा हो गया था। ज़ाहिर है कल शाम दूध निकालकर ले जाने के कुछ देर बाद ही इनकी मौत हो गई! हम रोने लगे, तो आसपास के लोग जमा हो गए। गांव के ज्यादातर लोग यहां आ गए। मेरी 2 गाय दुधारू थी। दो मां बनने ही वाली थी। एक 14 लीटर दूध देती थी। गांव का एक आदमी उसके 40 हज़ार रुपये लगाकर गया था मैंने नही दी थी। मैं गाय बेचता नही हूँ। पालता हूँ। दूध बेचता हूँ।
एक बार भैस लाया था एक लाख रुपये की,42 की बेच दी वो! गाय के साथ जो एहसास थे वो भैंस के साथ नही आ पाए। गांव वाले भी हैरान थे। महिलाओं ने मेरी बीवी को संभाला उसे सामान्य होने में बहुत देर लगी। तक़लीफ़ की इंतहा यह थी जो आपको यह बताता हूँ कि होश में आने के बाद मेरी बीवी गाय के तीन दिन के बछड़े को गोद मे लेकर बैठ गई जैसे वो ही अब इसकी मां हो! गांव में लोग पालतू जानवरों के जानकार होते हैं। सबने अनुमान लगाना शुरू किया इन्हें क्या हुआ होगा ! निशा बताती है कि ज्यादातर इस बात पर सहमत थे कि हमारी गाय को जहर दे दिया गया।इसकी वज़ह कुछ लोग उनके दूध वाले स्थान को नीला होना बता रहे थे।
ताहिर कहते हैं कि एक दो ने यह भी कहा कि हो सकता है कि सांप ने काट लिया हो! लेकिन गायों की संख्या ज्यादा थी इसलिए यह नही हो सकता था ! कुछ लोगो की राय थी कि इन्होंने चारे के साथ केमिकल्स खा लिए। एक विकल्प यह भी था कि इन्हें ज़हर दे दिया गया हो। इसकी दो सूरत थी पहली किसी ने ऐसा रंजिशन किया और दूसरी जहरखुरानी गिरोह ने ऐसा किया हो।
निशा बताती है हमारी किसी से कोई रंजिश नही है। हम बेहद आम और ग़रीब लोग है। गांव में सबसे दुआ सलाम करते हैं।हमें तो कोई अपने खेत मे घास काटने से मना नही करता है। गांव में कोई भी हमारे साथ ऐसा नही कर सकता है। ताहिर बताते हैं कि जहरखुरानी गिरोह वाली बात भी सही नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गांव में मुर्दा मेविशी का ठेका ही नही है। यह गिरोह जानवरों को मारकर उसके अवशेष बेच देता है मगर अब इसकी संभावना नही है।
कुतुबपुर के किसान भरत सिंह गुर्जर बताते हैं कि इन गायों की मौत में इतने पेचीदा सवाल थे कि इनका पोस्टमार्टम कर मेडिकल साइंस इसे खोल सकता था। मगर ताहिर ने पोस्टमार्टम नही कराया। ताहिर कहते हैं वो सिर्फ एक जानवर नही थी मेरे परिवार का एक हिस्सा थी। वो मर चुकी थी।मैं बर्बाद हो गया था। अब पोस्टमार्टम में उनकी चीरफाड़ होती जो मेरे लिए और भी अधिक तकलीफ़देह होती। हमारे ही पड़ोस के कुछ लोगो के लिए वो मां जैसी है। मुझे उनकी मौत से बिल्कुल ऐसा ही लगा जैसे मेरे परिवार में ही किसी इंसान की मौत हो गई हो।मुझे मुआवज़ा मिल सकता था। मगर मेरी तक़लीफ़ ज्यूँ कि त्युं रहती। इसलिए मैंने रिपोर्ट दर्ज नही कराई।
यह घटना कुतुबपुर गांव की है,मुजफ्फरनगर जिले के इस गांव का राजनीतिक दबदबा है। गांव की दो हजार की आबादी में लोग बेहद मिलजुलकर रहते हैं। इस घटना के 24 घण्टे बाद इन्ही गाय के आसपास बंधने वाली एक और गाय मर गई। अब मरने वाली गाय की तादाद 5 हो गई।
यह गाय ताहिर के बड़े भाई रहीमुद्दीन की थी। रहीमुद्दीन ने दौड़भाग कर डॉक्टर बुला लिया उसने गाय का इलाज भी किया मगर उसे बचाया नहीं जा सका।
जानवरों के बीमारियों के एक्सपर्ट डॉक्टर मोबिन हसन के अनुसार जब तक मेडिकल जांच न हो तब तक सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है लेकिन जो कुछ भी हुआ है उससे एक ग़रीब आदमी बर्बाद जरूर हो गया है। ताहिर के पास अब भी तीन गाय है मगर यह दूध नही देती है।ताहिर का परिवार अब इन गायों के साथ रह रहा है।ताहिर खाली पड़े उन पांचो गायों के खूंटे को निहारते रहते हैं और कहते हैं यही उनका घर था।
इनका पहरा दे रहा है। ताहिर कहते है” अगर यह दुर्घटना है तो मेरी गलती क्या है! अगर यह हत्या है तो फिर इन बेजुबान गायों की गलती क्या है! कुछ तो जवाब होगा “।