आस मोहम्मद कैफ़।Twocircles.net
“मैं अल्लाह पाक का शुक्र अदा करना चाहती हूँ, जो कुछ था हमारी क़िस्मत में उसने दिया माशाल्लाह। मेरे पापा ने बेहद व्यस्थित तरीके से मेरा टाइमटेबल बनाया, मेरी अम्मी ने मेरे लिए अपनी नौकरी छोड़ दी, मुझे डॉक्टर बनना है और ग़रीबों का बिना पैसे लिए इलाज करना है। अल्लाह पाक पर हमेशा भरोसा रखना ही मेरी कामयाबी की वजह है।”
ये अलीशा अंसारी के अलफ़ाज़ हैंं। वो सिर्फ़ 14 साल की है। उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ की हाईस्कूल टॉपर यह लड़की पूरे प्रदेश में 9वेंं स्थान पर आई है। इनके पिता रिज़वान एक प्राइवेट स्कूल में टीचर है। इनकी अम्मी ने इन्हें पढ़ाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी। अलीशा कभी भी सोशल मीडिया पर नही आई है। 14 साल की अलीशा की परिपक्वता आश्चर्यचकित करती है।
जैसे इनके पिता रिज़वान कहते हैं कि हमें कभी अलीशा को यह कहना नही पड़ा कि उसे पढ़ना चाहिए। बल्कि हमें यह कहना पड़ता था कि बेटा थोड़ा कम पढ़ो ! थक गई हो आराम कर लो सो जाओ। आज उसको जो कामयाबी मिली है उसमें अल्लाह का कमाल है। उसी का करम है। मेरी बच्ची ने पाबन्दगी से नमाज़ पढ़ती है। उसने रोज़े भी रखे। हमारे घर मेंं मज़हबी माहौल है। वो टीवी और मोबाइल से पूरी तरह दूर रही है।
शनिवार को उत्तर प्रदेश में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रिज़ल्ट जारी किया गया है। यह देश की सबसे बड़ी संख्या वाला जारी किया गया रिज़ल्ट् है। इसमें 22 लाख स्टूडेंटस ने शिरकत की थी और 2 करोड़ 91 लाख कॉपियां जांची गई। हाईस्कूल में बागपत की रिया जैन ने टॉप किया है। अलीशा अंसारी लखनऊ की टॉपर है।
अलीशा अंसारी की अम्मी शबाना कहती है “मैं खुश हूँ, मेरी बेटी को यह कहने की ज़रूरत ही नही पड़ती थी कि उसे पढ़ना चाहिए। अल्लाह का शुक्र है कि हमारे बच्चों में पढ़ने की लगन है सबसे ख़ास बात यह है कि वो आजकल की दूसरी लड़कियो की तरह नहींं है। उसे मोबाइल पसंद नही है वो सोशल मीडिया के बारे में कुछ नही जानती। हमें ऐसा लगता है कि इन फ़ालतू चीज़ों से दूरी ने उसका काम आसान कर दिया।”
लखनऊ के आम मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली अलीशा अंसारी को कल से लगातार बधाई मिल रही है उनके घर लगातार लोग जुट रहे हैं और रिश्तेदारों के फ़ोन आ रहे हैं। शबाना कहती है बहुत अच्छा लग रहा है। नाउम्मीदी कुफ्र है। मगर वो टॉप करेगी इसके बारे में हमने कभी सोचा नही था। अक्सर इनके अब्बू कहते थे कि यह दिन रात पढ़ती रहती है। इसे आराम करने के लिए कह दिया करो।
अलीशा बताती है कि जैसे बच्चों को गेम खेलने में मज़ा आता है। ऐसे मुझे पढ़ने में मज़ा आता है। लॉकडाउन में पढ़ाई और भी आसान हो गई। कोरोना काल के दौरान हुई परेशनियों को देखते हुए अलीशा के दिल में डॉक्टर बनने की ख़्वाहिश पैदा हुई है। वो कहती है कि “इस महामारी के दौरान ही मैने जान लिया कि डॉक्टर होना कितना बड़ा काम है। अब मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं और गरीबों को मुफ़्त इलाज़ करूंगी। इंशाल्लाह मुझे ऐसा लगता है कि मैं ऐसा कर दूंगी।
94 फ़ीसद नंबर लाने वाली अलीशा बाल निकुंज इंटर कॉलेज श्रीनगर मोहिबुल्लापुर की छात्रा है। स्कूल के टीचर उसे हार्डवर्किंग बताते हैं उसकी एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई है। वो मोहिबुल्लापुर में रहती है। अलीशा कहती है कि मुख्यतः उसे उनके मामू असद ने मेंटर किया है। जो लखनऊ में ही इंजीनियर है। अलीशा सुबह चार बजे उठकर पढ़ती थी। नियमित रूप से 8 घण्टे पढ़ाई की है। ख़ास बात यह है आलिशा के पसंदीदा विषय गणित और विज्ञान है जो उसे डॉक्टर बनने में भी मदद करेंगे।