आसमोहम्मद कैफ़।Twocircles.net
दिल्ली में हुए दंगे की दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
बुद्धिजीवी इसे नया प्रयोग बता रहे हैं। देश का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय इस दंगे के बाद से बुरी तरह भयभीत है। इससे लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।
जान माल का नुकसान तो दोनों तरफ़ हुआ है। मगर दो दिन पुलिस की चुप्पी हैरान करती है। ऐसा लगता है कि लोगोंं को उनका ग़ुस्सा निकालने का मौक़ा दिया गया। दंगे में भी अपल्पसंख्यकों में अपल्पसंख्यक तबाह हो गए। ख़ासकर ये वो इलाक़े है जहाँ मुसलमान बहुसंख्यक आबादी के साथ मिलकर रहते थे। ऐसे ही एक इलाक़े करावलनगर में हमनें यह तस्वीरें ली है। कपिल मिश्रा का इलाक़ा कहा जाने वाले करावलनगर की हिंसा में योजना का क्रियान्वयन साफ़ दिखता है।
करावलनगर का अमन शोरूम
करावलनगर का यह अमन शोरुम गली नंबर पांच के एकदम किनारे पर है। इस शोरुम को जलाकर ख़ाक कर दिया। ‘ख़ान साहब’ को करोड़ों का नुक़सान है। जली हुई गाड़ियों के मलबे को कई ट्रक में भरकर ले जाना पड़ा।
जन्नती का ख़ाक हुआ घर
किसी भी गली का पहला मकान अच्छा समझा जाता है, क्योंकि वो मुख्य मार्ग के नज़दीक होता है।जन्नती का भी था। अब ख़ाक हो चुका है।किचन, बाथरूम, बेडरूम, स्टडी रूम और ड्राइंग रूम सब का सब।
यह चूड़ियांं नहींं, सपने हैंं
ख़ाक हुए घर मे ये चूड़ियां ‘नाज़िया’ ने अपनी सगाई में पहनी थी। 18 मार्च को उसकी बारात आनी थी।
दहेज़ का सामान तो फिर भी ख़रीदा जा सकता है मगर ‘चूड़ी नहींं है मेरा दिल है” जैसे जज़्बात का क्या होगा।
अफ़साना का उजड़ गया आशियाना
अफ़साना के दर्द का अंदाज़ा उसकी आँखों के बहते हुए पानी से लग जाता है। घर पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। दिल भी आबाद नहींं है अब। इस तक़लीफ़ के बाद मौहल्ले की हिम्मतवाली औरतेंं उसे हर बार गले से लगा लेती है।
मजीद की हेयरड्रेसर सैलून ..भी थी
मजीद ने हमसे खुद कहा ‘सर मेरा फ़ोटो खींच लीजिये’ क़र्ज़ लेकर कई साल के संघर्ष से अपना सैलून बनाया था। एक घण्टे में बर्बाद हो गए। सैलून भी और मैं भी।
ताहिर हुसैन का मकान
यह ‘हेडक्वार्टर’ यहां के पार्षद ताहिर हुसैन का चर्चित चार मंज़िला घर है। हमारे साथ में चल रहे वसीम ने हमें बताया है कि कपिल मिश्रा ने विधायक रहते समय इसी जगह को अपना कार्यालय बनाया था। कपिल मिश्रा का चुनाव भी यहीं से लड़ा गया था। कपिल मिश्रा और ताहिर हुसैन में गहरी दोस्ती थी। बीजीपी में जाने के बाद बाद से दोनों के रास्ते अलग-अलग हो गए। अब जो बिल्डिंग कल तक कपिल मिश्रा का ‘हेडक्वार्टर’ कही जाती थी उसे ताहिर हुसैन का दंगा हेडक्वार्टर कहा जा रहा है।
जानवर भी सोचता होगा बड़ा ‘जानवर’कौन है!
अल्पसंख्यक आयोग की टीम ज़ब लोगो का दर्द सुनने पहुंची तो कई जगह आरोप प्रत्यारोप का दौर चल गया। न पीड़ित अपना दर्द सुना पाए और न आयोग की टीम सुन पाई। एक ऐसी तक़लीफ़ जिसमे मज़लूम अपनी बात भी नही कह सकता उसकी कोई इंतिहा नही है। कई बार तो जानवर भी यह सोचता होगा कि मुझसे बड़ा जानवर कौन है!
बाप का सहारा बेटी
मलाइका फ़रहत अपने अब्बा यूसुफ़ के साथ उनकी जल चुकी दुकान देखने आई है। कभी-कभी बेटियां भी बाप का सहारा होती है। मलाइका अपने अब्बा से कहती है, “कोई बात नहीं पापा, उसी ने दिया था वो फिर देगा।”
बुलेट पर किसी का नाम नही है!
बात बुलेट बाइक की है। जिसके लिए कहा जाता है कि ‘जब बुलेट चले तो दुनिया रास्ता दे वैसे बुलेट अपना रास्ता खुद बना लेती है।मोटरसाइकिल युवाओं की बेस्ट फ्रेंड होती है। सब ख़ाक हो गईंं हैंं। सब की सब।
करावलनगर की सम्राट गली
सम्राट के एक तरफ वाला शोरूम जल गया और दूसरी तरफ वाला घर जल गया। मगर सम्राट में युवाओं को रोजगार को ट्रेनिंग देने वाला बोर्ड तक सलामत है। हिंसा करने अगर बाहर के लोगोंं को गाइड करने के लिए कोई न होता तो यह अंतर कैसे होता! पुलिस के सामने ही इस गली से पत्थर चल गया! मगर मजाल है जो पुलिस कुछ कर ले!
भजनपुरा का मज़ार
यहां मज़ार भी जिंदा है और उम्मीद भी!
जिस्म और रूह में बहुत बड़ा फर्क होता है बाबू!
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