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दिल्ली हिंसाः मुसलमानों पर दोहरी मार, अब हिंदू नहीं रखना चाहते उन्हें किराएदार

अमन शोरूम ख़ाक गाड़िया

यूसुफ़ अंसारी, twocircles.net

दिल्ली। पूर्वी दिल्ली की हिंसा में बर्बाद हुए मुसलमान अब सामाजिक तिरस्कार झेलने को मजबूर हैं। हिंसाग्रस्त इलाकों से अब ऐसी ख़बरें मिल रहीं है कि शिव विहार, भगीरथ विहार, ख़जूरी ख़ास जैसे हिंसाग्रस्त इलाकोंं में अब हिंदू मकान और दुकान मालिक मुसलमानों को किराएदार नहीं रखना चाहते। शिव विहार से जान बचाकर भागे मुसलमानों ने हालात सामान्य होने पर अपने घर लौटने की कोशिश की तो मकान मालिकों ने उन्हें साफ़ कह दिया कि अब वो उन्हें किराए पर मकान नहीं देंगे। पुलिस ऐसे मामलों की शिकायत तक लेने से इंकार कर रही है।

बता दें कि शिव विहार में 24 फरवरी की रात भयंकर हिंसा और आगज़नी हुई थी। इस हिंसा में मुसलमानों के निजी मकान और दुकानें तो लूटपाट के बाद जला दी गईं। लेकिन उन मकानों और दुकानों को सिर्फ़ लूटपाट करके छोड़ दिया गया था जिनमें मुसलमान किराएदार थे और मालिक हिंदू। योजनाबद्ध तकीक़े से किए गए इस हमले में कुछ मुसलमान मारे भी गए और बाक़ी किसी तरह जान भगाकर भागे। उन्होंने पहले मुस्तफ़ाबाद में कई जगहों पर शरण ली और अब ईदगाह में बने शरणार्थी शिविर में आ गए है। इन्होंने हिंसा का जो मंज़र देखा है उसकी दहशत इन पर अभी तक तारी है।

जिनके मकान जल चुके हैं वो मुसलमान अब अपने घर लौटना नहीं चाहते। क्योंकि उनका अपने पड़ोसियों और पुलिस पर से भरोसा पूरी तरह उठ गया है। कुछ लोगों अपने किराए के मकानों में वापिस लौटने की कोशिश की तो मकाम मालिकों ने उन्हें वहां से बैरंग लौटा दिया। बस बचा कुचा सामान ही वापिस ले जाने की इजाज़त दी। इस बारे में पुलिस से शिकायत की गई तो पुलिस ने भी किसी तरह की मदद करने से साफ़ इंकार कर दिया। ऐसे में ये लोग अपना सा मुंह लेकर शरणार्थी शिविर में लौट आए।

सामाजिक कार्यकर्ता शीबा असलम फहमी ने बताय कि एक मुस्लिम महिला ने उन्हें फोन पर संपर्क किया। महिला ने बताया कि वो लक्ष्मण एंकलेव, मदीना मस्जिद, शिव विहार फ़ेज़ 2,  की रहने वाली है। उसने बताया कि उनके और फ़ेज़ 6 जैसे इलाक़ों में रहने वाले मुसलमानों को उनके घरों में दोबारा बसने नहीं दिया जा रहा है। पुलिस ने उन्हें केवल सामान  निकालने की इजाज़त दी है, ऐसे मामलों में ज़्यादातर मकान मालिक हिंदू हैं, तभी इन मकानो में आग नहीं लगाई गयी है। जबकि मुस्लिम परिवार जिनके अपने ख़ुद के मकान हैं वो जला दिए गए हैं, अब अगर मकान मालिक वापिस अपने मकानों में जा रहे हैं तो उन्हें धमकी मिल रही हैं की अब यहाँ रहने नहीं देंगे। पुलिस की मौजूदगी में ये सब हुआ है।

शिव विहार की गली न. 12 में रहने वाले इमरान ने बताया कि मकान मालिक उन्हें मकान छोड़ने कह रहा है। इमरान के माता-पिता गला नं 6 में रहते हैं। यह उनका अपना निजी मकान है। इमरान अपने परिवार के साथ गली न. 12 रहता है। उसका छोटा भाई गली न. 10 में अपने परिवार को साथ रहता हैं। दोनों भाइय़ों ने बताया कि उनके अब्बा का मकान जला दिया गया और उनके घर लूटपाट करके छोड़ दिए गए। हालांकि दोनों अभी तक लौट कर अपने घर नहीं गए है। लेकिन दोनों के ही मकान मालिकों ने किसी के ज़रिए उन्हें अपन सामान उठाकर मकान ख़ाली करने को कहा है।

ऐसा सिर्फ़ शिव विहार में ही नहीं हो रहा। उन सभी हिंसाग्रस्त इलाकों में हो रहा है जहां मुसलमान कम संख्या में रहते हैं। जो हिंसा की वजह से पलायन कर गए है उन्हें दोबारा नहीं रहने दिया रहा और जो किसी तरह बच गए हैं उनसे मकान और दुकान ख़ाली करवाए जा रहे हैं। ऐसे ही वएक पीड़ित यामीन ने बताया कि उनकी दुकान भागीरथ विहार में है। उनका दुकान मालिक हिंदू है। हिंसा वाले दिन उनकी दुकान में लूटपाट की गई। बुद्धवार को जब वो अपनी दुकान पर पहुंचे तो मालिक ने दुकान खोलने तक नहीं दी। वो दुकान में रखा बचा हुआ सामान तक उठाने नहीं दे रहा। पुलिस में शिकायत करने गए तो पुलिस ने शिकायत लेने से ही इंकार कर दिया।

खजूरी ख़ास लालबत्ती के पास एक बड़ी सी बिंलिडिंग है। इसमें 20-25 दुकानें, दफ्तर और रहने के कमरे हैं। ग्राउंड फ्लोर पर सिर्फ एक दुकान का किराएदार सलीम अहमद मुसलमान है। उसका बैटरी का काम है। हिंसा और आगज़नी के दौरान इस बिल्डिंग में सिर्फ वही दुकान जली है। जबव हम वहा पहुंचे तो जली दुकान में बैटरियों के कुछ अवशेष दिखे। अगस-बग़ल क दुकानों को कोई नुकसान नहीं हुआ। फर्स्ट फ्लोर पर मुस्तफ़ाबाद के समथानीय नेता असग़र अंसारी का प्रोपर्टी डीलिंग का दफ्तर है। उन्होंने दफ्तर के सामने लगां अपन होर्डिंग पहले ही हटा दिया था। शायद इसी लिए उनका दफ्तर जलने से बच गया। लेकिन मालिक ने उन्हें जल्द स जल्द दफ्तर खाली करने को कह दिया है। हलांकि मालिक से उनके अच्छे निजी ताल्लुक़ात हैं। लेकिन मालिक का कहना है कि उन पर स्थानीय लोगों का काफ़ी दबाव है।

हिंसा के बाद यह सामाजिक तिरस्कार मुसलमानों पर दोहरी मार है। हिंसा में बर्बाद होने के बाद अबी तक न तो आशियाने का कुछ पता है और न हीं कारोबार का। शरणार्थी शिविर में दिल्ली सरकार मुआवज़े फार्म भरवा रही है। मुआवज़ा मिलेगा या नहीं? मिलेगा तो कितना मिलेगा और कब.? फिलहाल इन सवालों का जवाब किसी के पास नहीं है। शरणार्थी शिविर में सुबह का नाश्ते को अलावा दोपहर और रात का खाना मिल रहा है। ज़रूरी दवाइयां भी मिल रही हैं। लेकिन यह सिलसिला कब तक चलेगा…? यहां लगता हैं तंबुओं में ज़िंदगी ठहर सी गई है। लुटे पिटे लोग अब ज़िंदगी को पटरी पार लाना चाहतें है। इसी के लिए सहारा ढूंढ रहे हैं।