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प्रधानमंत्री जी, महिला सशक्तिकरण पर ज्ञान देने से पहले दिल्ली हिंसा में मुस्लिम महिलाओं की आपबीती सुन लीजिए

  • दिल्ली हिंसा के दौरान मुस्लिम महिलाओं के साथ हुईं हैं बेहद शर्मनाक हरकतें
  • कपड़े फाड़ने से लेकर बलात्कार तक के आरोप, कई लड़कियां हैं लापता
  • महिला दिवस पर पीएम मोदी अपना सोशल मीडिया अकाउंट महिलाओं को समर्पित करेंगे
  • इससे पहले उन्हें इन पीड़ित महिलाओं की आपबीति ज़रूर सुननी चाहिए

यूसुफ़ अंसारी, twocircles.net

दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 8 मार्च को अंतरर्ष्ट्रीय महिला दिवस पर अपना सोशल मीडिया अकाउंट महिला सशक्तिकरण के नाम करने का ऐलान किया है। इस मौक़े पर वो कुछ महिला पत्रकारों को फ़ॉलो कर सकते हैं। महिला पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से मुलाक़ात कर सकते हैं। प्रधानमंत्री अक्सर ‘बेटी बचओ, बेटी पढ़ाओ’ नारे ज़ोर शोर से उठाते हैं। लेकिन दिल्ली में हाल ही में हुई हिंसा में सबसे ज़्यादा अत्याचर महिलाओं पर ही हुए है। हिंसा के दौरान दंगाइय़ों ने महिलाओं के साथ ऐसी-ऐसी शर्मनाक हरकतें की हैं कि महिलाएं शर्म की वजह से खुलकर बता भी नहीं पा रहीं। जो बता पा रहीं वो सुनी जा रहीं। महिला सशक्तिकरण पर ज्ञान बांटने से पहले पीएम मोदी को इन महिलाओं की आपबीति ज़रूर सुननी चाहिए।

www.twocircles.net की टीम ने  मुस्तफ़ाबाद की ईदगाह में बने शरणार्थी शिविर में कई घंटे बिताकर यह जानने की कोशिश की कि हिंसा के दौरान महिलाओं पर क्या गुज़री? अंदर तक झंझोड़ देने वाली कई कहानियां सामने आईं। ज़्यातर महिलाएं खुलकर बात करने से बचती नज़र आईं। कुछ ने बोलने की हिम्मत भी दिखाई। कई महिलाओं ने हमारी महिला ट्रेनी रिपोर्टर को बताया कि उस रात उनके साथ यौन अत्याचार भी हुआ। हमलावरों ने उनके दुपट्टे खींचे। उनके कपड़े तक फाड़ डाले। उनकी इज़्ज़त लूटने की कोशिश की। यह भी दावा किया गया कि कुछ महिलाओं की इज़्ज़त भी लूटी गई है। लेकिन ऐसी कोई महिला हमारे सामने नहीं आई। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की तऱफ से हिंसा पीड़ितों की मदद के लिए महिला वकीलों की टीम इनकी रिपोर्ट लिखवाने के लिए तथ्य जुटा रही है।

मुस्तफ़ाबाद की इस ईदगाह में बने शरणार्थी शिविर में क़रीब दो हज़ार लोग शरण लिए हुए हैं। यहां मर्दों के लिए अलग टेंट लगें हैं, महिलाओं और बच्चों के लिए अलग। इन महिलाओं वाले टेंट में आमतौर पर पुरुषों के जाने पर पाबंदी है। लेकिन मीडिया कर्मियों को इस शर्त पर इजाज़त मिल जाती है कि वो महिलाओं से अभद्र सवाल नहीं पूछेंगें। जो महिला बात नहीं करना चाहेगी, ज़बर्दस्ती उसका इंटरव्यू नहीं लेगें। ख़ैर हम किसी तरह महिलाओं के कैंप में गए। कुछ महिलाओं से हमने बात की। कुछ ने कैमरे पर बात करने से मना कर दिया। एक महिला ने बताया कि पहले उसने कई टीवी चैनलों पर इंटरव्यू दिया था। उसका इंटरव्यू देख कर अब पुलिस उसे परेशान कर रही है।

कैंप में अंदर बैठी शबाना ने शिव विहार में अपने साथ हुई बदसुलूक़ी के बारे बताया, “मंगल के दिन हम अपने घर में थे। अचानक बहुत सारे लोग शोर मचाते हुए घर में घुसे। उहोंने हमारे दुपट्टे खींच लिए। हमारे कपड़े कपड़े फाड़ दिए। वो हमें पकड़ कर खींच रहे थे। हमारे साथ पता नहीं क्या करते। हम किसी तरह खुद को छुड़ा कर भागे। हमारे सिर भी फट गए बहुत ख़ून निकल रहा था। मुस्तफ़ाबाद में इन लोगों ने हमें पनाह दी। हमें पहनने के लिए कपड़े भी दिए। हमने जो कपड़े पहने हुए हैं वह इन्हीं के दिए हुए हैं।”

एक दूसरी महिला नसरीन जहां ने बताया, “अचानक कई लोग जय श्री राम का नारा लगाते हुए हमारे घर में घुस गए। उन्होंने हमें पकड़ लिया। हमारे साथ बदतमीज़ी की। ज़बरदस्ती जय श्रीराम के नारे लगवाए। घर का सामान तोड़ दिया। लूटपाट के बाद उन्होंने घर में आग लगा दी। उन्होंने पास की मस्जिद को भी जला दिया था। साहब, बड़े ज़ालिम थे वो लोग। ऐसी गंदी गंदी गालियां दे रहे थे हम बता सभी नहीं सकते।  हम किसी तरह अपनी जान बचाकर भागे। हमने अपने हिंदू पड़ोसियों से से मदद मांगी। लेकिन किसी ने हमारी मदद नहीं की अपने दरवाज़े बंद कर लिए। ऐसा लग रहा था कि अगर हम पकड़े गए तो मारे जाएंगे।”

हर महिला की कहानी एक जैसी है। इनका दर्द भी एक जैसा है। एक और महिला शकीला बोली, “हम मंगलवार की रात को पहले जान बचाकर भागे थे। रविवार को मैं वहां राशन लेने गईं तो दुकानदार ने ही मेरे गले से दुपट्टा खींच लिया। मुझे पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचते हुए बोला कि आओ तुमसे अपने वारिस पैदा करेंगे। तुम्हें आ आज़ादी चाहिए ना, आओ ले लो आज़ादी।  हम देंगे तुम्हें आज़ादी। हमारे हिंदू पड़ोसियों ने हमसे कहा यहां से भाग जाओ वरना हम तुम्हें छोड़ेंगे नहीं। मैं आपको बता नहीं सकती कि मैं किस हालत में वहां से भागी हूं जान बचाकर।”

हमारी महिला ट्रेनी रिपोर्टर को एक महिला ने अपना पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि 24 फ़रवरी को जब अचानक हिंसा शुरु हुई तो दस-पंद्रह लोग उनके घर में घुस गए। पहले उन्होंने खिड़की दरवाजे तोड़ दिए। फिर घर में रखा फ्रीज़ और टीवी भी तोड़ दिया। पूरे घर में लूटपाट की। उस महिला के मुताबिक़ दंगाई काफ़ी उग्र थे। उनके हाथों में डंडे थे। गले में केसरिया गमछा था। कुछ ने चेहरा ढका हुआ था। कुछ के माथों पर तिलक था। गंदी-गंदी गालिया दे रहे थे। कह रहे थे केजरीवाल को वोट दिया है न। अब बुलाओं उसे। देखते हैं वो कैसे बचाता है तुम्हें।

आगे उस महिला ने रोते हुए बताया, “दो आदमियों ने मेरे ऊपर हमला किया। एक ने मेरा दुपट्टा खींचा और दूसरे ने मेरी मेरा कुर्ता फाड़ दिया। तभी मेरे हाथ में कोई भारी चीज़ आ गई। मैंने उसके सर पर दे मारी और किसी तरह वहां से दूसरे कमरे में घुसकर अंदर से कुंडी लगा दी। उन्होंने दरवाज़ा तोड़ने की कोशिश की। वो धमकी दे रहे थे कि आज हमें मुंह दिखाने के लायक नहीं छोड़ेंगे। अगर उनके हाथ लग जाती तो पता नहीं मेरे साथ क्या करते। तभी मुस्तफ़ाबाद के कुछ लोग फरिशता बनकर हमें बचाने पहुंच गए थे। हम बता नहीं सकते कि हम किस तरह वहां से अपनी जान बचाकर भागे हैं। इन्होंने हमारी जान बचाई, हमें अपने घर में पनाह भी दी और कपड़े भी दिए।”

शरणार्थी शिविर में मिलीं ज़्यादातर महिलाओं का कहना था कि जब उनके घऱ और परिवार पर हमला हुआ तो उनके हिंदू पड़ोसियों ने मदद से हाथ ख़ड़े कर दिए। वहीं एक महिला ने यह भी बताया कि वो आज अपने हिंदू पड़ेसी की वजह से ही ज़िंदा है। साल भार बच्चे की इस मां ने रोते हुए बताया, “जब हमारे घर पर दंगाइयों ने धावा बोला तो मैं किसी तरह अपने पड़ोसी के यहा चली गईं। दंगाई वहां पहुंच कर कहने लगे कि मुस्लिम औरत को हमारे हवाले करो। मेरे पड़ोसियों ने उनसे से कहा कि वह हम लोगों में से है। यहां कोई मुस्लिम महिला नहीं है। भीड़ के जाने के बाद पड़ोसियों ने मुझे वहां से बाहर निकाला। पहले हम इंदिरा विहार में रुके। सोमवार को यहां आ गए।”

इन आरोपों पर हमने वहां सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ़ से लगे क़ानूनी सहायता केंद्र पर एक महिला वकील सारा वर्गीज़ से बात की। उन्होंनें क़ुबूल किया कि ऐसी शिकायतें मिल रहीं हैं। लेकिन अभी पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि इनकी संख्या कितनी है। ग़ौरतलब है कि दो दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष स्वाति मालिवाल से भी कई महिलाओं ने अपने साथ हुए यौन दुर्व्यवहार की शिकायत की थी। इस पर स्वाति ने दिल्ली पुलिस से महिलाओं ख़िलाफ़ अपराधों की शिकायतों की पूरी जानकारी तलब की है। दिल्ली महिला आयोग ने दिल्ली पुलिस से 4 मार्च तक ये जानकारी मुहैया कराने को कहा था। लेकिन ख़बर लिखे जाने दिल्ली पुलिस ने जानकरी उपलब्ध नहीं कराई थी।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के मुताबिक़, ‘जो मामले हमें 181 हेल्पलाइन पर मिल रहे हैं और जो हालात हमने खुद हिंसाग्रस्त इलाकों में जाकर देखे वो डराने वाले हैं। हमने पुलिस को नोटिस जारी कर उनसे जानकारी मांगी है कि उन्हें महिलाओं की हत्या और यौन उत्पीड़न की कितनी शिकायतें मिलीं और उन पर क्या कार्रवाई की गई? हम सारी गतिविधियों पर क़रीब से नजर रखे हुए हैं और सभी पीड़िताओं की सहायता का प्रयास कर रहे हैं।”

हिंसा में बदसुलूक़ी झेल चुकीं ये महिलाएं महिला दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट को महिलाशक्ति करण को समर्पित करने को महज़ ढोंग बताती है। कई महिलाओं ने तंज़िया अंदाज़ में पूछा, “ट्रिपल तलाक़ पर मुस्लिम महिलाओं से हमदर्दी दिखाने वाले पीएम को आज हम पर हुए ज़ुल्म नहीं दिख रहा। तब तो 56 इंच की छाती ठोक कर कह रहे थे कि मुस्लिम बहनों पर ज़ुल्म नहीं होने देंगे। अब क्यों चुप हैं। कहां गई 56 इंच की छाती।” महिलाओं के शब्द कठोर हैं और तेवर तीखे। ये महिलाए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछ रहीं हैं कि क्या मुस्लिम महिलाओं की इज़्ज़त तार-तार करके ही महिला सशक्तिकरण होगा?