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जमीयत के रामदेव की पतञ्जलि को जारी किए गए ‘हलाल सर्टिफिकेट’ पर बवाल

आसमोहम्मद कैफ़।Twocircles.net
बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को जमीयत उलेमा ए हिन्द हलाल ट्रस्ट की तरफ़ से जारी किए गए हलाल सर्टिफिकेट पर बवाल मच गया है। गहरी नाराज़गी के बीच जमीयत के महासचिव मौलाना महमूद मदनी बाबा रामदेव से नज़दीकी के चलते आलोचना के घेरे में है। बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि को 6 महीने पहले जारी किया यह सर्टिफिकेट अब आम होने के बाद यह हलचल हुई है।
जमीयत उलेमा ए हिन्द हलाल ट्रस्ट के सचिव नियाज़ अहमद फारूकी ने इस प्रमाण पत्र को जारी करने की पुष्टि की है। यह अलग बात है कि मंगलवार को पत्र जारी करके उन्होंने लंबी सफाई भी दी है। नियाज़ अहमद फारूकी ने यह भी कहा है कि यह सर्टिफिकेट 6 महीने पहले जारी किया गया था इसपर आज हंगामा खड़ा करना मुनासिब नही है। हमने सभी नियमों का पालन किया है।
बेहद तल्ख़ प्रतिक्रिया के बीच मुसलमानों के एक समूह ने जमीयत की नीयत पर सवाल उठाया है। ख़ासकर जमीयत उलेमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी को यह सर्टिफिकेट जारी करने के केंद्र में बताया जा रहा है। यह सर्टिफिकेट 3 साल के लिए जारी किया गया है। सर्टिफिकेट के मुताबिक कंपनी पतंजलि आयुवेद लिमिटेड के फूड प्रोडक्ट पर अब हलाल सर्टिफाइड लिखा होगा। ख़ास बात यह है पतंजलि हलाल इंडिया से लगातार हलाल सर्टिफिकेट मांग रही थी मगर वहां से उन्हें कामयाबी नही मिली थी। हलाल इंडिया भारत में जारी तमाम फूड प्रोडक्ट को शरीयत के मुताबिक प्रमाण पत्र जारी करता है और वो ऐसे सर्टिफिकेट प्रदान करने की मुख्य संस्था है।
जमीयत उलेमा ए हिन्द हलाल ट्रस्ट ख़ासकर मलेशिया, इंडोनेशिया के अलावा मिडिल ईस्ट में प्रभाव रखता है और पतंजलि को इस देशों में निश्चित तौर पर व्यापारिक लाभ होगा। हालांकि जमीयत उलेमा ए हिन्द हलाल ट्रस्ट इस तरह के सर्टिफिकेट जारी करने की पहली पसंद वाली संस्था नही है। दुनियाभर में हलाल इंडिया को तमाम कंपनी पहली पसंद मानती है। केएफसी, मेकडोनल्ड और वेंगीस ,हल्दीराम जैसी संस्थाओं को हलाल इंडिया ने सर्टिफाइड किया है।
बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि ने पहले हलाल इंडिया में सर्टिफिकेट लेने के लिए आवेदन किया था वहां से इन्हें सर्टिफिकेट जारी नही किया गया। हलाल इंडिया से जुड़े सरफ़राज़ आलम के मुताबिक किसी भी कंपनी को हलाल सर्टिफिकेट जारी करने के लिए आवदेन पर विचार किया जाता है। इसके लिए इस्लामिक जानकार लोगो की एक टीम इसका आंकलन करती है। पूरी तरह जांच पड़ताल और प्रोडक्ट से तसल्ली के बाद ही उसे मान्यता दी जाती है। हलाल इंडिया शरीयत और क़ुरआन की रोशनी में प्रोडक्ट को खाने की ‘परमिशन'(मूलतः अरबी भाषा के शब्द हलाल का मतलब पर्मिज़िबल होता है”) देती है। तमाम जांच पड़ताल के बाद हम बताते हैं कि यह प्रोडक्ट खाने योग्य है। हमारे यहां स्पष्ट है कि अगर किसी प्रोडक्ट में किसी जानवर का पेशाब इस्तेमाल हो रहा है तो वो उसकी परमिशन नही दे सकते।
पतंजलि साफ तौर पर कहती है कि वो अपने कुछ प्रोडक्ट्स में गोमूत्र का प्रयोग करती है इसी लिए उन्हें परमिशन नही दी गई। यह सर्टिफिकेट शाकाहारी प्रोडक्ट पर जारी किए जाते हैं जैसे हल्दीराम को हलाल सर्टिफिकेट है। बाज़ार में मिलने वाले आटा और बेसन जैसे खाने के सामान पर भी अब हलाल सर्टिफाइड लिखा होता है।
बाबा रामदेव की पतञ्जलि ने जमीयत उलेमा हलाल ट्रस्ट में भी आवेदन किया जहां से उन्हें परमिशन मिल गई। बस इसलिए जमीयत के हलाल ट्रस्ट की आलोचना की जा रही है। कहा जा रहा है रामदेव के मौलाना महमूद मदनी से अच्छे रिश्ते है। इस ट्रस्ट के पास प्रोडक्ट की वैज्ञानिक जांच करने की कोई व्यवस्था नहीं है। ट्रस्ट में मौलाना महमूद मदनी की मजबूत दखल मानी है। संस्था के सचिव मौलाना नियाज़ अहमद फ़ारूक़ी है। इस सबके बाद आलोचना के घेरे में आए मौलाना नियाज़ अहमद फ़ारूक़ी ने लंबी सफाई पेश की है ।
मौलाना नियाज़ अहमद फ़ारूक़ी ने कहा है कि देश भर में कई संस्थाएं है जो हलाल सर्टिफिकेट जारी करती है। जमीयत उलेमा ए हिन्द हलाल ट्रस्ट भी यह करती है इसके लिए तमाम प्रक्रियाएं पूरी की जाती है। हमारे पास जानकार लोगो की टीम है हम पूरी तरह पड़ताल करते हैं। हमने यहां भी पूरी जांच की। सिर्फ उन्ही खाने की वस्तुओं को प्रमाण पत्र जारी किए गए जिनमे गोमूत्र प्रयोग नही होता है। पतंजलि जिन खाने के सामान में गोमूत्र प्रयोग करती है उनको हमने सर्टिफाइएड नही किया है। इनमे आटा, बेसन, तेल जैसे खाने-पीने के प्रोडक्ट हैं। हमने यह निश्चित किया है कि पतंजलि के प्रोडक्ट इस्लामी सिद्धांतो का पालन करें और वो करते हैं।
कुछ लोगों को एतराज है कि हमने एक हिन्दू की कम्पनी को हलाल सर्टिफिकेट दे दिया है। हम साफ कर देना चाहते हैं कि हम हलाल सर्टिफिकेट देते समय किसी भी तरह का जाति और धर्म का भेदभाव नही करते हैं। दुनियाभर के लोग प्रमाणपत्र मांगते हैं, हम कसौटी पर तोलते हैं। ख़रा उतरने पर ही  परमीशन देते हैं। कुछ लोग हलाल के ख़िलाफ़ हैं। हम उन्हें बताना चाहते है कि यह सबके स्वास्थ के लिए है और इसका मतलब है कि यह खाने योग्य है।
इससे पहले नवंबर 2017 में भी जमीयत उलेमा ए हिन्द हलाल ट्रस्ट ने इसी तरह का सर्टिफिकेट जारी किया था जिसका प्रयोग मिडिल ईस्ट में किया जा रहा था। इनमे क़तर में पतंजलि को प्रोडक्ट बेचने की अनुमति थी। मगर तब यह प्रमाण पत्र की अवधि सिर्फ एक साल की थी अब जारी किए गए सर्टिफीकेट की अवधि तीन साल रखी गई हैं। जमीयत के इस क़दम की दानिश्वर मुसलमानो में जमकर आलोचना हो रही है। ऑल इंडिया हलाल बोर्ड के दानिश रियाज़ ने कहा है कि वो इस मुद्दे को इसी साल मलेशिया में होने जा रही वर्ल्ड हलाल कॉन्फ्रेंस में उठाने जा रहे हैं।
उत्तराखंड के रुड़की(हरिद्वार) से संचालित होने वाले पतंजलि समूह के स्वामी बाबा रामदेव पर केंद्र सरकार का आर्शीवाद समझा जाता है। बाबा रामदेव खुले तौर पर पतंजलि के कुछ उत्पादों में गोमूत्र इस्तेमाल करने की बात कह चुके हैं। 25 हजार करोड़ कंपनी बन चुकी पतंजलि के उत्पाद की बिक्री मुसलमानों और खासकर मिडिल ईस्ट बढ़ाने के लिए उन्हें हलाल सर्टिफिकेट की जरूरत होती है।