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दरगाह आला हज़रत बरेली ने सरकार से की अलविदा जुमा और ईद के लिए मस्जिदें खोलने की मांग 

स्टाफ रिपोर्टर।Twocircles.net

सुन्नी बरेलवी मरकज़ दरगाह आला हजरत के जमात रज़ा-ए-मुस्तफ़ा की तरफ़ से सरकार से ईद उल फितर और अलविदा जुमा पर मस्जिदों नमाज़ पढ़ने की इजाज़त मांगी गई है। आला हज़रत दरगाह के लाखों चाहने वाले हैं और बरेलवी मसलक के लोगो के लिए यह केंद्र माना जाता है। यह मांग रविवार को यहां हुई एक बैठक में उठाई गई है। यहां की जमात के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां की सरपरस्ती में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया कि सरकार से ऐसी अपील की जानी चाहिए। जमात का दावा है यह मीटिंग सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुई। इसमें सिर्फ कोर कमेटी के लोग शामिल हुए।

बैठक के बाद सलमान मियां ने हुकूमत-ए-हिन्द यानि केद्र सरकार से  यह मांग रखी है की अलविदा(जुम्मा) व ईद-उल-फित्र के  लिए आम नमाज़ियो के लिए देश भर की तमाम मस्जिदें खोली जाए और उनमें नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी जाए। जिस से मुसलमान अपनी अलविदा(जुम्मा) और ईद की नमाज़ मस्जिदों में अदा कर सकें। सलमान मियां के अनुसार  अलविदा(जुम्मा) व ईद-उल-फित्र का त्योहार साल में एक बार आता है, जिसमें बच्चे हों या बूढ़े सबको अलविदा(जुम्मा) और ईद की सुबह मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की खुशी होती है।

आज के वक़्त के हालातों को देखकर और कोरोना वायरस जैसी महामारी को देखते हुए मुल्क मे चल रहे लॉकडाउन को‌ कामयाब बनाने के लिए उन्होंने ख़ुद ही अपने मुल्क की परवाह करते हुए सुन्नी बरेलवी मरकज़ दरगाह आला हज़रत से मस्जिदों में चंद लोग ही नमाज़ अदा करने का एलान किया था। बाकी लोगो को अपने-अपने घर पर ही रहकर इबादत‌ करने का ऐलान कर दिया था। मुसलमानों ने हमेशा अपने देश के लिए कुर्बानी दी है, आज फिर देखा गया की मुसलमानों ने अपना जुम्मा भी तर्क किया और माह-ए-रमज़ान में विषेश रुप से पढ़े जाने वाली नमाज़े तरावीह को भी तर्क किया, लेकिन अब हमारे मुल्क की हुकूमत से हम यह गुजारिश करते हैं की हमारी मस्जिदों को आम नमाज़ियो के लिए खोलकर उसमे नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी जाए।

जमात के प्रवक्ता समरान खान ने कहा है कि हवाले से कहा है कि  इस कोरोना वायरस जैसी जानलेवा महामारी की वजह से मुल्क भर में चल रहे लॉकडाउन के बीच में ज्यादातर थोक वालो की दुकाने खोली गई।कोटा के छात्र-छात्रों लाया गया। ट्रेनों में भर-भर के मजदूरों और यात्रियों को लाया जा सकता जा रहा है।क्वारेन्टाइन के नाम पर एक ही कमरे में पाँच सौ ज्यादा लोगो को भर दिया गया है। पुरे मुल्क में शराब के ठेकों को खोल दिया गया है। इससे सारी लॉकडाउन व सोशल डिस्टेन्सिंग के आदेश की दोनों चीज़ों की धज्जियां उठाई गईं है।

जिससे शराब ठेकों पर उमड़ी भारी भीड़ की वजह से मुल्क में कोरोना वायरस फैलने का ख़तरा ज़्यादा बढ़ गया है। जब कोरोना वायरस के ख़तरे के बावुजूद दूसरी चीजों को खोलने की अनुमति दी जा सकती है और वहां सरकार के ही बनाए नियम की धज्जियां उड़ती हुई साफ देखी जा सकती हैं,तो फिर मस्जिदों में तो मुसलमान इबादत करेगा जिसमें एक नमाज़ में 5 मिनट से ज़्यादा नहीं लगते है।

समरान खान ने बताया कि ऐसे में देश के प्रधानमन्त्री के साथ सुबे के मुख्यमन्त्री से वो गुजारिश करते है की जब शराब के ठेके के अलावा और चीज़ो को खोलने की अनुमति दी सकती है जहां सोशल डिस्टेन्सिंग की धज्जियां उढ़ाई गई हैं और इसकी वजह से कोरोना वायरस का मुल्क में फैलने का ख़तरा काफी ज़्यादा बढ़ गया तो फिर मस्जिदों को भी आम नमाज़ियो के लिए खोलने की और उनमें नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी जाए। मस्जिदे अल्लाह का घर है, अल्लाह के घर में कोई भी बड़ी से बड़ी बीमारी नही आ सकती है। और यह जो बीमारी है वो इन्सान के काबू मे नही है यह बात तो साफ दिख रही है, लेकिन यह तो सिर्फ़ और सिर्फ़ खुदा के हाथ में है, इसके लिए खुदा की इबादत करना ज़रूरी है तो इसके लिए शराब की दुकानों के साथ साथ जो और चीज़े खुल रही है तो इससे बेहतर है कि मस्जिदों को जल्द से जल्द खुलना चाहिए।  इससे अलविदा(जुम्मा) व ईद-उल-फितर की नमाज़ मे कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी के लिए खुसूसी दुआ का भी एहतिमाम किया जाएगा। इस दौरान शमीम खाँ सुल्तानी, समरान खान, डॉक्टर मेहंदी हसन, हाफ़िज़ इकराम रज़ा खाँ, शमीम अहमद, मौलाना निजाम  आदि  मौजूद रहें ।