आस मोहम्मद कैफ।Twocircles.net
खतौली। शर्मनाक तो कुछ भी हो सकता है। मुजफ्फरनगर में भी हुआ है। एक तरफ़ जब देश संकट में है तो जनप्रतिनिधियों के निधि के पैसे वापस मांगने,खाने-पीने की वस्तुओं पर कालाबजारी होने के बाद अब एक बेहद पीड़ादायक बात सामने आई है। जनपद की खतौली तहसील में क्वारन्टीन सेंटर में भोजन घोटाला हुआ है। ख़ास बात यह है कि जिन सरकारी लोगों ने यह घोटाला किया है उन्हें ही इस महामारी से निपटने के लिए कोरोना वारियर्स की संज्ञा दी गई है।अग्रिम पंक्ति से यह ख़बर निराश करती है।
अब तक जानकारी के बाद मुजफ्फरनगर डीएम सेल्वकुमारी ने खतौली तहसीलदार को संस्पेंड कर दिया है। एसडीएम के ख़िलाफ़ जांच बैठा दी है और एडीएम को छुट्टी पर भेज दिया गया है।
यह मामला खतौली और चरथावल दो ब्लॉक पर सामने आया है। यहां मजदूरों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता बहुत अधिक ख़राब थी। जानकारी यह भी मिली है कि मजदूरों को भरपूर खाना भी नही मिल रहा था। मामले का खुलासा शासन द्वारा भेजे गए नोडल अधिकारी आरएन यादव की जांच में हुआ है। इनकी जांच में खुलासा हुआ कि जिस फर्म और फ्लोर मिल से खाधन्न सामग्री लाई जा रही थी। उसका लाइसेंस तो फ़रवरी में ही समाप्त हो गया था।
अब इस फ्लोर मिल को सील कर दिया गया है। इसके अलावा खतौली की अन्नपूर्णा फ़ूड रोलर को भी ठहरे हुए मजदूरों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए 75 रुपये प्रति म़जदूर ठेका दिया गया था। यहां जांच को पहुंचे नोडल अधिकारी आरएन यादव ने देखा कि पहले तो ढाई बजे तक खाना नही आया और मज़दूर भूखे रहे।
उसके बाद जो भी खाना आया वो बेहद ख़राब था। चावल और रोटी खाई नही जा सकती थी। दाल हल्दी का पानी जैसी लगती थी।
स्थानीय अफ़सरों ने कुछ दिन पहले ही एक दूसरी संस्था से ठेका लेकर इस संस्था को काम सौंप दिया था। यह सब जानकारी नोडल अफ़सर आरएन यादव ने ज़िलाधिकारी सेल्वाकुमारी दी तो तुरंत फर्म पर छापा मारा गया। जानकारी पर यह भी पता चला कि फ़र्म का लाइसेंस 20 फरवरी को ही निरस्त हो चुका है। इसके बाद फर्म के नमूने लेकर सील लगा दी गई। ज़िला फ़ूड अधिकारी विवेक कुमार ने इसकी पुष्टि की।
फ़िलहाल पूरे प्रकरण की जांच एडीएम वित्त आलोक कुमार कर रहे हैं, उन्होंने बताया कि एसडीएम अशोक कुमार के ख़िलाफ़ जांच बैठा दी गई है। तहसीलदार पुष्कर नाथ चौधरी को तत्काल निलबिंत कर दिया गया है। फर्म का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया है।
समाजवादी पार्टी के नेता चंदन चौहान ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की नेतृत्व वाली सरकार क्या इसी सुशासन की बात कर रही थी! जो सरकार मजदूरों को दो वक्त का सही खाना नही दे पा रही है वो इन ग़रीब मजदूरों का क्या ख्याल रख पाएगी। इस घोटाले के ख़ुलासे के बाद साफ हो गया है कि गहराई से पड़ताल करने पर सरकार के हर एक दावे की पोल खुल जाएगी। सत्य यह है कि सरकार की प्राथमिकता अमीर है। ग़रीबों के क्वारन्टीन सेंटर की हालत भी बदतरीन है। लोग भूखे प्यासे ज़बरदस्ती बिना किसी स्वास्थ परीक्षण के क्वारन्टीन किए जा रहा है। इस अनियमियता के ख़ुलासे से यह स्पष्ट होता है।
बता दें कि पिछले एक सप्ताह में इसी मार्ग से हजारों की संख्या मे मजदूर गुजर रहे हैं। खतौली और चरथावल के इसी मार्ग से पंजाब और हरियाणा और उत्तराखंड से पूर्वांचल और मध्यप्रदेश जाने के लिए गुज़रना पड़ता है। पुलिस इन्हें जहां तहां रोक लेती है। कुछ जगह क्वारन्टीन करती है ।जहां क्वारन्टीन नही करती है वहां वापस भेज देती है। ऐसे ही एक विष्णु कुमार ने बताया कि क्वारन्टीन किए गए हमारे साथी वहां की हालत बताते हैं तो डर लगता है। इसलिए हम जंगल से रास्ते पुलिस से बचकर घर जाना चाहते हैं क्योंकि हम क्वारन्टीन नहीं होना चाहते।