हाथरस में गेंगरेप आरोपियों के पक्ष में दबंगो की पंचायत,बढ़ रहा है जातीय तनाव

मोहम्मद आसिम Twocircles.net के लिए 

हाथरस गेंगरेप में एक बेहद चौकाने वाला घटनाक्रम चल रहा है। इस मामले को जातीय रंग दिए जाने का षड्यंत्र हो रहा है। शुक्रवार को प्रभावित गांव बुलगढ़ी की ग्राम पंचायत बघना में 12 गांव के ठाकुरों की एक पंचायत हुई है। पंचायत में हुई भाषणबाजी में काफी तल्ख़ बातें हुईं है। यहां वक्ताओं ने इस मामले को झूठा बताया है और गिरफ्तार युवकों को निर्दोष बताया है। इस पंचायत में पीड़ितों के नार्को टेस्ट की मांग उठाई गई है। इसके अलावा सीबीआई जांच की बात भी कही गई है।


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आसपास के ठाकुर बहुल गांव  खेड़ा पारसोली, चंदपा, गढ़ी पत्ती बनारसी, बुलगढ़ी, माँगरु, बारु हसनपुर, राजगढ़ ,बेरूआ ,छतारा ,चन्द्रगढ़ी,छतारा, कठेलिया ,बिसाना ,चितावर, लघुपुरा के लोग इस पंचायत में शामिल हुए हैं। आसपास के इन गांवों के निशांत चौहान , धर्मेंद्र ठाकुर ,सुनील राणा, अखिलेश राणा ,जयपाल ठाकुर ,सुनील सिसोदिया, रवि सिसोदिया जैसे लोग इस मुहिम के मुख्य कर्ताधर्ता है।

स्थानीय भाजपा विद्यायक वीरेंद्र राणा के गांव बिसाना के लोग भी इस पंचायत में शामिल हुए हैं। वीरेंद्र सिंह राणा पूरी तरह से आरोपियों के बचाने की कवायद में जुटे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उन्होंने इस संबंध में बातचीत की है। वीरेंद्र सिंह राणा के मुताबिक सीएम ने उन्हें भरोसा दिया है कि किसी निर्दोष पर कोई कार्रवाई नही की जाएगी। पूर्व विधायक यशपाल चौहान ने भी गिरफ्तार युवकों को निर्दोष बताया हैं।

लोक जनसत्ता दल के जिलाध्यक्ष खेवेंद्र सिंह चौहान ने दावा किया है कि वो इस तरह की अन्यायपूर्ण कार्रवाई का पुरजोर विरोध करेंगे। खेवेंद्र सिंह दावा करते हैं कि उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया को सब कुछ बता दिया गया है और वो गम्भीरता से अवलोकन कर रहे हैं।

चर्चाओं के मुताबिक इस इलाके में हुई ठाकुरों की इस हलचल के पीछे प्रतापगढ़ के एक चर्चित ठाकुर नेता पूर्व मंत्री और निर्दलीय विधायक भी है। हाल ही में उक्त नेता ने एक राजनीतिक दल का गठन किया है। इस जनसत्ता दल के स्थानीय अध्यक्ष इसके लिए काफी सक्रियता दिखा रहे हैं। इस दल की ठाकुरों की राजनीति को लेकर भविष्य की बड़ी योजनायें है।

हाथरस जनपद के यह इलाका सिकंदराउ विधानसभा और चंदपा कोतवाली के अंतर्गत आता है। 14 सितंबर को बुलगढ़ी गांव की वाल्मीकि समाज की लड़की के साथ गैंगरेप की वारदात के बाद अब पीड़िता की मौत हो गई है। पीड़िता की मौत के बाद उसका शव परिजनों को नही सौंपा गया और रात में ही जबरदस्ती चिता में जला दिया गया। यह मामला राजनीतिक रूप से बड़ा मुद्दा बन गया है। लोग इसकी तुलना उत्तर प्रदेश के चर्चित बाँदा और बंदायू कांड से कर रहे हैं। इस गांव में दलितों के 150 लोग रहते हैं। पुलिस ने काफी प्रयासों के बाद सभी नामजद चारों आरोपियों को जेल भेज चुकी है। इलाके में जबरदस्त तनाव है।

भीम आर्मी के नेता चन्द्रशेखर आज़ाद कहते हैं कि देश में कई जगह भाजपा के लोगों को बलात्कारियो के पक्ष में आते देखते रहते हैं यह नया नही है,मगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रुख और हाथरस प्रशासन के कार्यशीलता को देखते हुए उन्हें आंशका है कि इस बच्ची को न्याय मिल पायेगा। नार्को टेस्ट की मांग यह साबित करती है कि पीड़िता के परिवार के विरुद्ध भी कोई षड्यंत्र हो सकता है। हम देख रहे हैं कि मीडिया को भी गांव में जाने से रोका गया मगर दलितों के ख़िलाफ़ पंचायत हो रही थी और प्रशासन ने कोई रोकटोक नही की। इससे दलितों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

बता दें कि कठुआ के शर्मनाक गेंगरेप में भी आरोपियों के पक्ष में लोग लामबंद हुए थे। उनके पक्ष में यात्रा निकाली गई थी। कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री दीपक कुमार ने इसे  बेहद शर्मनाक कृत्य बताया है। उन्होंने कहा कि आरोपियों के पक्ष में की गई यह पंचायत सरकार के मुंह पर तमाचा है। सवाल है कि क्या इससे जातीय तनाव नही पनपेगा। स्थानीय दलितों में भय पैदा नही होगा ! क्या यह इस बात का संकेत है कि गरीब दलित अपने साथ हुए अत्याचार पर चुप्पी साध ले वरना उसे सबक सिखाया जाएगा।

दीपक कहते हैं कि ” क्या यह सच नहीं है कि लड़की मर चुकी है। गैंगरेप के संबंध में उसका वीडियो बयान है। आज ऐसी परिस्थितियों में भी कुछ दूषित मानसिकता के लोग आरोपियो के साथ खड़े है, यह देखकर व्यवस्था से घिन्न आती है”!

पीड़िता के भाई प्रदीप के मुताबिक पहले भी कुछ लोग पुलिस के पास जाकर कार्रवाई न करने के लिए कहते थे ! इन्ही को किसी बड़े नेता का समर्थन था। यह वही लोग है ,जो इसे जातीय रंग दे रहे हैं ,बेटी तो सबकी एक जैसी होती है। पुलिस शुरू से ही हमारी मदद नही कर रही थी। हम बहुत डरे हुए हैं। आगे कुछ भी हो सकता है !

इस घटना के बाद से इलाके में जातीय तनाव बहुत बढ़ गया है। जानकारी के मुताबिक पिछले तीन दिनों से दलित खेतों पर काम करने नही जा रहे हैं। दलित बहुल इस इलाके में ठाकुरों का दबदबा है। पंचायत में यह भी तय हुआ है कि वो गांव में किसी बाहरी को घुसने नही देंगे। मोहित वाल्मीकि  कहते हैं दलितों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया जा रहा है ताकि वो चुप हो जाएं,मगर अगर वो यहां भी चुप हो जाते हैं तो उनकी बेटियां सुरक्षित नही रह पाएंगी।

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