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सेकुलरिज्म के अलमबरदार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दमदार नेता क़ाज़ी रशीद मसूद का इंतेक़ाल

हिना महविश, Twocircles.net के लिए 

सहारनपुर से 9 बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य और केंद्रीय सवास्थ्य राज्य मंत्री रहे दिग्गज नेता रशीद मसूद इस दुनिया ए फ़ानी को अलविदा कह गए। वो एक महीने से बीमार थे, हाल ही में उन्हें कोरोना भी हुआ था मगर वो उससे उबर गए थे।

सहारनपुर की सियासत के दुर्ग रशीद मसूद  विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर उनको उपराष्ट्रपति का चुनाव भी लड़े थे। सहारनपुर के ज्यादातर नेता रशीद मसूद के ही राजनीतिक शिष्य है इनमे  जगदीश राणा,संजय गर्ग, कुंवरपाल दूधला, कुंवरपाल माजरा,धर्म सिंह मौर्य, इमरान मसूद जैसे नाम शामिल है। रशीद मसूद केंद्र सरकार में  में स्वास्थ्य राज्यमंत्री  रहे है।

एपीडा के चेयरमैन भी रहे  रशीद मसूद को पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक ऐसे नेता के तौर पर जाना जाता है जिसे हिंदू मुस्लिम वोट बराबर पड़ता रहा वो दिवंगत किसान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सबसे प्रिय साथियों में से एक रहे। 27 अगस्त को कोरोना के चलते उन्हें दिल्ली के ओपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

करीब एक महीने भर्ती रहने के बाद कोरोना को मात देकर नेगेटिव होकर सहारनपुर घर वापिस आये मगर कल सुबह अचानक तबियत खराब होने के बाद रुड़की में भतीजे कर्नल अदनान मसूद के अस्पताल में ले जाये गए और आज आख़री सांस पूरी कर इस दुनिया ए फ़ानी से कूच कर गए। सहारनपुर की तमाम हस्तियों ने उनके निधन पर उनके बेहट रोड स्थित घर पहुंच कर दुःख जताया है। रशीद मसूद कांग्रेस नेता इमरान मसूद के चाचा है और इमरान मसूद ने राजनीति का पाठ उन्ही से पढ़ा है !

रशीद मसूद के बेटे शादान मसूद सहारनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। उनके अलावा उनके एक बेटी शाजिया मसूद भी है। रशीद मसूद की मौत पर सहारनपुर में गम का माहौल है। उनका राजनीतिक जीवन काफ़ी हलचल वाला रहा है। 2007 में उन्होंने उपराष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था। क़ाज़ी रशीद मसूद 1977 में पहली बार जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए थे। वो वीपी सिंह मुलायम सिंह यादव के हमसफ़र थे। रसीद मसूद एक ऐसे नेता के तौर पर जाने जाते हैं जो लगातार पार्टिया बदलते रहे मगर उनका वोट बैंक उनसे जुदा नही हुआ। जनता पार्टी (सेक्युलर) , जनता दल,कांग्रेस ,समाजवादी पार्टी और बसपा सभी के साथ मिलकर उन्होंने राजनीति की है। 1996 में उन्होंने इंडियन एकता पार्टी बनाई और 2003 में एक बार फिर समाजवादी पार्टी में चले गए।

रशीद मसूद 1989 में वीपी सिंह की नेतृत्व वाली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे थे। उनके पुत्र शादान मसूद ने बताया कि उन्हें शाम 5 बजे सहारनपुर में ही उनके पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा। पिछले एक महीने से दिल और किडनी की समस्या से जूझ रहे थे। उन्हें शुगर की भी समस्या थी। 2012 में उन्हें कांग्रेस ने राज्यसभा में भेजा था। इसके बाद उन्हें एपीडा का भी चेयरमैन बनाया गया। खास बात यह है कि रशीद मसूद का जन्म 15 अगस्त 1947 को हुआ था।

उनके निधन के बाद सहारनपुर के सांसद हाजी फजरूरहमान ने दुःख जताते हुए कहा कि वो हम सब के क़ाबिल ए एहतराम थे। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष इरशाद चौधरी के मुताबिक उन्होंने सहारनपुर की सियासत को एक नई ऊंचाई दी। कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने कहा है कि उनके चाचा इस दुनिया मे उनके सबसे क़रीबी शख्स थे ,उन्होंने ही उन्हें चलना सिखाया। सपा नेता फिरोज आफ़ताब के मुताबिक सहारनपुर ने अपना कोहिनूर खो दिया। पूर्व मंत्री जगदीश राणा, नगर विद्यायक संजय गर्ग के अनुसार वो निश्चित तौर पर उनके राजनीतिक गुरु थे। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष और रशीद मसूद के प्रतिद्वंदी रहे दिवंगत चौधरी यशपाल के पुत्र चौधरी रुद्रसेन ने भी उन्हें शानदार नेता बताया है और कहा कि अब उनकी जगह कोई नही ले पायेगा वो सेकुलरिज्म के सिपाही थे।