लखनऊ से कौशल कुमार , Twocircles.net के लिए
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाथरस गैंगरेप कांड में जातीय और साम्प्रदायिक हिंसा भड़काने की साज़िश की बात कही है। उत्तर प्रदेश सरकार कह रही है कि इस कांड का राजनीतिक लाभ लेने और सरकार को बदनाम करने के लिए पीएफआई और एसडीपीआई जैसे संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने सोशल मीडिया के माध्यम सरकार के ख़िलाफ़ साजिश करते हुए माहौल बनाया। यूपी पुलिस ने इस दौरान कई मुकदमे दर्ज किए हैं इनमे कुछ राजनीतिक,समाजसेवियों और पत्रकारों के विरुद्ध भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस का यह भी दावा है कि इस मामले को तूल पकड़वाने के लिए करोड़ो रूपये की विदेशी फंडिंग हुई और इसमें यूपी के चर्चित माफियाओं का हाथ शामिल है।
यही नहीं पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और एक सहयोगी संगठन से जुड़े चार लोगों को सोमवार को मथुरा में गिरफ्तार करने का भी दावा किया है और कहा है कि वो दिल्ली से हाथरस जा रहे थे। हालांकि, उनमें से एक पत्रकार बताया जाता जा रहा है। इनके नाम मुजफ्फरनगर के अतीक-उर रहमान, मलप्पुरम के सिद्दीक , बहराइच के मसूद अहमद और रामपुर के आलम बताए जा रहे हैं।
साज़िश के इस थियोरी को तमाम विपक्षी दलों ने नकार दिया है, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी मंगलवार को राज्य में सांप्रदायिक और जातिवादी दंगों के लिए हाथरस में उत्तर प्रदेश सरकार के षड्यंत्र के दावों पर कसकर सवाल उठाया है । बसपा सुप्रीमो ने पूछा है कि क्या साजिश का सिद्धांत हाल की चुनावी चिंता से पनपा है! बेहतर होगा इसके बजाय पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने पर ध्यान दे !
मायावती ने ट्वीट के जरिए कहा है कि “हाथरस मामले में घटनाक्रम को प्रभावित करने के लिए जातिवादी और सांप्रदायिक दंगों को उकसाने की साजिश के खिलाफ यूपी सरकार का आरोप सही है या चुनावी चाल है, यह समय बताएगा, लेकिन जनता की मांग पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए है इसलिए सरकार इस पर ध्यान केंद्रित करे तो बेहतर होगा। ”
मायावती ने कहा “हाथरस की घटना में पीड़ित परिवार के साथ जिस तरह का गलत और अमानवीय व्यवहार किया गया उसके लिए देश भर में काफी हंगामा और आक्रोश था। सरकार को गलती को सुधारने और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए गंभीर होना चाहिए, अन्यथा जघन्य घटनाओं को रोकना मुश्किल होगा। ”
बता दें कि हाथरस जिले के एक गांव बुलगढ़ी 14 सितंबर को एक 19 वर्षीय महिला के साथ कथित तौर पर गेंगरेप के बाद चर्चा में रहा और उसने एक पखवाड़े बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसके बाद माता-पिता की सहमति के बिना, रात में मृतका का जल्द से जल्द दाह संस्कार कर दिया गया।अब उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबदेही के दौरान अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि अराजकतावादी तत्व राज्य में सांप्रदायिक और जातिगत हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए उन्हें ऐसा करना पड़ा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “हाथरस की घटना में भाजपा द्वारा दावा किया गया षड्यंत्र का सिद्धांत पीड़ित परिवार के साथ एक भद्दा मजाक है। सरकारी अधिकारी यह मानने को तैयार नहीं हैं कि पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ था। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण 12 दिनों के बाद किया गया था और उसके परिवार पर आरोप लगाया गया था ” ।
पीएल पुनिया ने कहा “अब जब भाजपा बैकफुट पर है, तो वे नई कहानियां बना रहे हैं और इससे उनके दलित विरोधी चेहरे का पता चलता है। भाजपा ‘मनुवादी ’ लोगों की पार्टी है वे ‘सबका साथ, सबका विकास’ का दावा करते हैं, लेकिन वे दलितों के खिलाफ काम करते हैं। आरएसएस और भाजपा के नेताओं ने भी आरक्षण खत्म करने की बात कही है। हाथरस की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया, पीड़ित का शरीर आधी रात को जला दिया गया और इससे राष्ट्र के सभी लोगों को पीड़ा हुई है। ”
भाजपा सरकार पर आगे हमला करते हुए पुनिया ने कहा “हमारे नेता पीड़ित परिवार से मिलने गए थे, लेकिन भाजपा नेताओं को परिवार से मिलने और मिलने का समय नहीं मिला। ऊंची जाति के लोग आरोपियों के पक्ष में पंचायत कर रहे हैं और भाजपा सांसद और स्थानीय अध्यक्ष इसके बजाय उनसे मिलने जाते हैं। केंद्र और राज्य दोनों में उनकी सरकारें हैं लेकिन भाजपा का कोई भी बड़ा नेता पीड़ित परिवार से मिलने नहीं गया। परिवार सुरक्षा मांग रहा है और कहा है कि वे उच्च जाति के लोगों से लगातार खतरे में हैं, लेकिन स्थायी सुरक्षा के उनके अनुरोध का मनोरंजन नहीं किया जा रहा है। ”
समाजवादी पार्टी के एमएलसी सुनील यादव साजन ने भी साजिश के इस सरकारी दावा को हवाई बताया है उन्होंने कहा कि आज ही हाथरस में एक और 6 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी हो गई। यूपी की भृष्ट और नकारा योगी सरकार बेटियों को सुरक्षा देने की बजाय आरोपियों को बचाने के लिए विदेशी एंगल की कहानी बना रही है।
भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद ने इसे संवैधानिक अधिकार छीनने वाली बात कही है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त करने की मांग के साथ राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेजा है। हाथरस में पीड़िता के परिवार से मिलने पहुंचे चंद्रशेखर के विरुद्ध भी मुक़दमा दर्ज किया गया है। चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता पीड़िता को न्याय दिलाने की होनी चाहिए मगर वो इस बच्ची के न्याय की आवाज उठाने वालों की आवाज़ दबाना चाहती है।