पानीपत में लिचिंग में बच गए अख़लाक़ सलमानी के परिजनों की कमज़ोर हुई इंसाफ की उम्मीद

23 अगस्त को सहारनपुर के एक क़स्बे नानौता का 28 साल का युवक अख़लाक़ सलमानी पानीपत जनपद में काम की तलाश में गया था। वहां उसके साथ मारपीट हुई और उसका हाथ चारा काटने वाले मशीन में काट दिया गया। अख़लाक़ के परिवार के लोगों का कहना था कि उसके हाथ पर 786 लिखा था। यह देखकर अख़लाक़ के साथ मारपीट करने वाले आग बबूला हो गए थे। उनका कहना है कि हरियाणा पुलिस अब तक आरोपियों को बचाने के प्रयास करती नजर आ रही है। अख़लाक़ के विरुद्ध नाबालिग़ से छेड़छाड़ का मुक़दमा दर्ज कराया जा चुका है। दोनों पक्षों के मुक़दमे दर्ज होने के बीच अख़लाक़ को इंसाफ मिलने की उम्मीद कमजोर पड़ गई है। कल अख़लाक़ का कटा हुआ हाथ भी बरामद हुआ है। इस चर्चित मामले में सच को लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है,अख़लाक़ के परिजनों से बात करने पर उनकी तक़लीफ़ जाहिर होती है –  यह रिपोर्ट पढिये 

आसमोहम्मद कैफ़ । Twocircles.Net 


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बड़े और ताक़तवर लोग हमेशा सच्चे और सही होते हैं और हम जैसे ग़रीब झूठे। अब पुलिस की कहानी राजनीतिक हो गई है। क्या यह सच नहीं है कि मेरे भाई का हाथ कट गया है !  उसके बदन पर सैकड़ो चोट के निशान है। उसके सर में ईंट मारी गई है। उसके पैर में कील चुभाई गई है। उसके घाव चीख़ रहे हैं। उसके साथ दरिन्दगी दिख रही हैं। आप ये बताएं जितनी चोट उसके है,वो जिंदा बच गया क्या यह ही ताज़्जुब है । 28 साल का जवान है, बदन में ताक़त थी, झेल गया मेरा भाई । चार दिन में होश आया उसे। मौत से अब तक लड़ रहा है, बदन में इंफेक्शन हो गया है और ख़तरा लगातार बढ़ रहा है। सरकारी अस्पतालो में जगह नही हैं। हमारे पास पैसे नही है। नेता आते हैं आश्वासन देते हैं और चले जाते हैं, पुलिस ने हमारे ख़िलाफ़ ही रिपोर्ट दर्ज कर दी है मेरे परिवार को लगता हैं कि मेरे भाई को इंसाफ नही मिलेगा। मैंने तय किया है कि आखिरी दम तक मैं जरूर लड़ूंगा “

यह इक़राम सलमानी (40) कह रहे हैं,जो पानीपत में  लिंचिंग के दौरान बच गए अख़लाक़ सलमानी के बड़े भाई है। इक़राम कहते हैं कि वो पिछले 25 दिन से रात में सो नही पाएं है। अस्पताल और थाना पुलिस रात दिन इसी के चक्कर काट रहे हैं। अख़लाक़ दर्द से कराहता रहता है।

हम यह भी नही समझ पा रहे हैं कि यह सज़ा हमें हमारी पहचान की वज़ह से मिली है या ग़रीबी की ठोकरों से,अब तक सब जान चुके हैं। पुलिस का एक दरोगा समझौते की बात कह रहा था। चाँदनीबाग़ पुलिस मीडिया में कहती है कि हम उन्हें कोपरेट नही कर रहे हैं। हम तो उनके दरवाज़े पर खड़े है।

इक़राम बताते हैं कि अब अख़लाक़ को ज़हर फेल (इंफेक्शन) रहा है। उसने बात करना बंद कर दिया है। वो इशारों में अपनी बात कहता है। सिर्फ हाथ कटने की एक वज़ह नही है। उसके बदन के हर एक हिस्से पर चोट है। उसके सर में गहरा घाव है। जांघ में कील जैसा कुछ चुभा हुआ है। उसे यातनाए दी गई है। उसका बदन भी चीख़ता है और वो भी। पुलिस ने अख़लाक़ के ख़िलाफ़ क्रॉस मुक़दमा लिखने में जल्दबाज़ी दिखाई है। हमारे मुक़दमे में भी दोषियों को बचाने का प्रयास किया है। घटनास्थल से 8 किमी दूर तक हमने अख़लाक़ का कटा हुआ हाथ तलाशा था,मगर वो नही मिला था। अब पुलिस उसे वहीं बरामद हुआ बता रही है जहां हमें वो नही मिला था। हमारा मानना है कि यह हाथ यहां लेकर फेंका गया है ताकि रेल एक्सीडेंट साबित किया जा सके।

24 अगस्त को सहारनपुर के क़स्बे नानौता अख़लाक़ सलमानी (28) काम की तलाश में पानीपत गया था। वहां उसके साथ मारपीट हुई। उसका और परिवार का दावा है कि उसका एक हाथ सिर्फ इसलिए काट दिया गया क्योंकि उस पर एक धार्मिक पहचान वाला टैटू 786 लिखा हुआ था। यह घटना हरियाणा राज्य के पानीपत के चांदनीबाग़ इलाके में हुई और एक सप्ताह तक  रेलवे पुलिस और सिविल पुलिस के बीच झूलती रही। मामला दो समुदायों से होने की वज़ह से राजनीतिक मोड़ लेने लगा। अख़लाक़ के परिवार ने दावा किया उसपर सम्प्रदायिक कारणों से हमला किया गया जबकि आरोपी रणधीर सैनी पक्ष ने बताया कि अख़लाक़ उनके बच्चें की चोरी करने का प्रयास कर रहा था।  

अख़लाक़ के भाई इक़राम उसी दिन से अपने भाई की तिमारदारी और पैरोकारी में जुटे है और इस मामले की सबसे ज्यादा जानकारी उन्ही के पास है। वो बताते हैं कि उनके मुक़दमे के लिखे जाने के बाद हरियाणा पुलिस ने मेरे भाई पर दरिंदगी करने वाले की तहरीर पर मेरे भाई के ख़िलाफ़ ही मुक़दमा दर्ज कर दिया। जो पूरी तरह झूठा है और समझौते का दबाव बनाने के लिए लिखा गया है

हमारा पूरा वक़्त अपने भाई की तिमारीदारी में गुजर रहा था। अब पानीपत की पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है। हम 6 भाई है। बाल काटने का काम करते हैं। पहले हम यह काम यही करते थे अब लॉकडाऊन की वज़ह से इधर उधर जाना पड़ रहा है। अख़लाक़ इसीलिए काम की तलाश में भटक रहा था। बेरोजगार आदमी तनाव में आ ही जाता है,वो हताश और निराश होकर पार्क में बैठा था। हमें डर है कि अब हममें में से कोई  काम की तलाश में बाहर नही जाएंगे।खासकर घर की औरतों का कहना है कि भूखे रह लेंगे मगर जान का ख़तरा नही ले सकते। 

इस घटना के बाद से ख़ासकर नानोता में सिहरन है। स्थानीय सभासद मुस्तकीम अहमद बताते हैं कि यहां के लगभग हर एक घर मे इस पर चर्चा जरूर हुई है। यह एक छोटा कस्बा है। सब एक दूसरे को जानते हैं। इस घटना से पूरे कस्बे में सदमा है। अख़लाक़ के बदन की चोट बताती है कि उसे मरा हुआ मानकर ही फेंका गया। यह तो उसकी किस्मत है कि वो बच गया। लोग यक़ीन नही कर पा रहे हैं ! कोई इतना बेरहम कैसे हो सकता है ! 

अख़लाक़ रात भर रेलवे लाइन के किनारे पड़ा रहा और उसे उसके चचेरे भाई नदीम ने अस्पताल पहुंचाया। नदीम के मुताबिक वो सुबह साढ़े सात बजे वहां पहुंचा था। (नदीम पानीपत में ही नाई की दुकान करता है)। वहां मैंने देखा कि अख़लाक़ का हाथ कटा हुआ है और उसके पूरे बदन पर चोट के निशान है। उसके बदन पर एक भी कपड़ा नही था। वहां दो पुलिसकर्मी भी थे,उनकी मदद से हम अख़लाक़ को अस्पताल लेकर गया। अख़लाक़ ने ही मुझे फ़ोन करके वहां बुलाया था। 

इसके बाद अख़लाक़ को रोहतक  पीजीआई अस्पताल में भर्ती करवाया गया,वहां वो 28 अगस्त तक रहा। पुलिस ने इस मामले में 7 सितंबर को एफआईआर दर्ज की। अख़लाक़ के भाई बताते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 

पुलिस कह रही थी कि अख़लाक़ बयान देने की स्थिति में नही था। इक़राम सलमानी कहते हैं कि बहुत अधिक प्रयास के बाद एक सब इंस्पेक्टर उनके साथ रणधीर सैनी के घर गया। वहां अभी भी चारा मशीन है। जिससे मेरे भाई का हाथ काटा गया। इक़राम कहते हैं हम जीआरपी, चांदनीबाग़ और किशनपुरा थानों के बीच मे हिंडोला(झूला)  बन गए हैं। अख़लाक़ पर अब छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। तब चार लोग एक अकेले पर बहादुरी दिखा रहे थे अब अब बच्चें को आगे कर रहे हैं। 
 

हरियाणा पुलिस ने दोनों पक्षों का मामला दर्ज किया है और जांच जारी है। इक़राम कहते हैं कि अब उन्हें इंसाफ के लिए लगातार दौड़ना पड़ रहा है। यह बहुत मुश्किल दिखता है। अख़लाक़ अब घर लौट आया है। चारपाई पर है। उसका इंफेक्शन बढ़ रहा है और उसकी जान पर ख़तरा भी ! अख़लाक़ का भाई इक़राम कहता है “अख़लाक़ का कटा हुआ हाथ तो मिल

गया है, मगर अब हम इंसाफ तलाश रहे हैं”

कुछ स्थानीय लोगों का कहना है अख़लाक़ को बच्चा चोरी की अफवाह पर पीटा गया। एक स्थानीय मीडिया समूह से बातचीत में मुख्य आरोपी रणधीर सैनी ने बताया कि उस दिन रात में उनका 7 साल का भांजा गायब हो गया था। जो अख़लाक़ के पास था। अख़लाक़ के परिवार का कहना है कि जब ऐसा था वो तुरन्त पुलिस के पास क्यों नही गए !

डॉक्टर की सलाह के मुताबिक अख़लाक़ का बयान 15 दिन बाद दर्ज हुआ और उसके बाद रणधीर सैनी अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने पहुंचे। इससे पहले से ही पुलिस इसे ट्रेन हादसा बता रही है।
 
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