इतिहास की बेटी राना सफ़वी के नाम हुआ साल 2020 का ‘यामिन हज़ारिका नारी शक्ति अवार्ड’

आसमोहम्मद कैफ । Twocircles.net

 

इल्मी दुनिया मे ‘इतिहास की बेटी’ के तौर पर पहचान बनाने वाली इतिहासकार, शायरा और लेखिका राना सफ़वी को इस साल का यामिन हजारिका अवार्ड 2020 मिलने जा रहा है। महिलाओं में बेहद प्रतिष्ठित यह पुरस्कार असम की पहली महिला पुलिस अफसर यामिन हजारिका की याद में दिया जाता है। यामिन हजारिका को लाखों असमीज लड़कियों का रोल मॉडल होने का गौरव प्राप्त हैं। यह पुरस्कार उन्हें मंगलवार 22 सितंबर को एक कार्यक्रम में प्रदान किया जा रहा है।


Support TwoCircles

दिल्ली में महिला अपराध संबंधी मामलों की पुलिस कमिश्नर रही यामिन हजारिका की 1999 में कैंसर से मौत हो गई थी। तब वो सिर्फ 43 साल की थी। यामिन हजारिका को खुले विचारों की एक बोल्ड अफसर के तौर पर पहचान मिली जिसने पुलिस में पुरुषों के वर्चस्व को कड़ी चुनौती दी। यामिन हजारिका 1977 बैच की डीएपीएनएस पुलिस अफसर थी। वो उत्तरी पूर्वी इलाके की पहली महिला पुलिस अफसर थी। अंडमान निकोबार, लक्षदीप ,दमन और दीप, दादरा नगर हवेली जैसी जगहों पर वो आज भी रोल मॉडल है। यह पुरस्कार उनकी याद में लीक से हटकर महिलाओं में प्रेरक काम करने वाली विशेष महिला  को हर साल प्रदान किया जाता है।

राना सफ़वी से पहले पांच अन्य प्रतिभाशाली महिलाओं को यह अवार्ड मिल चुका है। पिछले साल यह अवार्ड मेघालय की सामाजिक कार्यकर्ता हसीना खारबी को गुवाहाटी में प्रदान किया गया था। हसीना को मेघालय मॉडल के लिए जाना जाता है। इससे पहले पत्रकार इंद्राणी रैमेधी, एथलीट तयाबुन निशा अभिनेत्री मोलोया गोस्वामी और पर्यावरणविद पूर्णिमा देवी बर्मन को मिल चुका है।

राना सफ़वी को इस अवार्ड को दिए जाने की घोषणा पर असम के डीजीपी भास्कर ज्योति महंत ने भी खुशी जाहिर की है उन्होंने ट्विटर पर अवार्ड की जानकारी देते हुए राना सफ़वी को बधाई दी। भास्कर महंत इस कार्यक्रम में मेज़बान के तौर पर उपस्थिति दर्ज कराएंगे। 22 सितंबर को यह कार्यक्रम होगा यहां  एक और प्रभावी महिला पत्रकार सुहासिनी हैदर भी मौजूद होंगी। संभवत उन्ही के हाथों से राना सफ़वी को यह अवार्ड मिलेगा।

राना सफ़वी को इस अवार्ड की घोषणा के साथ ख़ासकर महिलाओं ने बेइंतहा खुशी का इज़हार किया है। महिला पत्रकारों और लेखकों में ख़ासा उत्साह है। सबसे मज़ेदार बात यह है कि राना सफ़वी के पिता खुद एक आईपीएस अफसर रहे हैं और उन्हें एक ऐसी महिला पुलिस अफ़सर की यादगार के तौर पर दिया जाने वाला अवार्ड प्रदान किया जा रहा है,जिसने उत्तरी पूर्व राज्यों में पहली बार सिविल सर्विस का एग्जाम क्रेक किया था। बता दें कि राना सफ़वी भी सिविल सर्विस का एग्जाम पास कर चुकी है मगर वो फाइनल एग्जाम में शामिल नही हुई थी। मूलतः अलीगढ़ की रहने वाली है। वो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की अदुभुत प्रतिभाओं में शुमार करती है।

जानसठ के मशहूर सय्यद घराने के अब्बास अली खान ने उनको इस अवार्ड की घोषणा पर खुश जताई है उन्होंने कहा है  “राना आपा ने हमेशा फ़ख्र करने का मौका दिया है। इस बार फिर हमारे सर ऊंचा हुआ है उन्होंने लड़कियों को इल्मी दुनिया मे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। इसमे कोई संदेह नही है कि वो खुद भी एक रोल मॉडल है। उन्हें इतिहास की बहुत अधिक जानकारी है इसलिए हम लोग उन्हें इतिहास की बेटी कहते हैं “।

63 साल की राना सफ़वी आधुनिक दुनिया के खबरी प्लेटफार्म सोशल मीडिया पर खासी लोकप्रिय है। वो चर्चित हैशटैग शेर के लिए भी जानी जाती है। सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता ,रचनात्मकता और कलात्मकता चर्चाओं के केंद्र में रहती है। उनकी गंगा जमुनी तहजीब की मुहिम और रचित किताबों में आती सुगंध उन्हें दूसरों से अलग कर विशेष बनाती है। राना सफ़वी ने दिल्ली के इतिहास पर कई अदुभुत किताबें लिखी है इनमे शाहजहानाबाद,जहां पत्थर बोलते हैं और फोरगेटन सिटीज ऑफ देहली जैसी किताबें है। इन्हें पढ़कर दिल्ली का इतिहास रूबरू बात करता है।

राना सफ़वी के बारे में उनके करीबी दावा करते हैं कि  कि उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा (प्री) उत्तीर्ण की थी मगर वो फ़ाइनल एग्जाम में शामिल नही हुई थी। इसके बाद उन्होंने बिहार के एक इंजीनियर ग़ज़नफर से शादी कर ली। एक जगह बातचीत में राना सफ़वी की बहन फरज़ाना ने बताया था वो अपने फैसले जिंदादिली से लेती रही है जिसमें उन्होंने कोई लेबल नही लगने दिया। वो अभी भी समाजसेवा ही कर रही है।

अब इत्तेफ़ाक यह है राना सफ़वी को एक ऐसा अवार्ड मिलने जा रहा है जो एक सिविल सर्विस में नाम कमाने वाली एक महिला के नाम पर है। यामिन हजारिका की तरह राना सफ़वी की अम्मी की भी 2004 में कैंसर से मौत हो गई थी। जाहिर है इस अवार्ड से उनके जज़्बात जुड़ गए हैं। राना सफ़वी ने भी इस अवार्ड की घोषणा पर खुशी जाहिर की है और इसे अपने लिए एक बड़ी उपलब्धि बताया है।

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE