आकिल हुसैन।Twocircles.net
मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन तब्लीग़ी जमात पर सऊदी अरब के इस्लामी व धार्मिक मामलों के मंत्रालय द्वारा दिए गए बयान के बाद भारत में तब्लीग़ी जमात पर लगातार बात हो रही है। इस दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के पदाधिकारियों, सदस्यों और कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए कहा हैं कि तब्लीग़ी जमात के कार्यों को अपना कार्य समझें और उनका समर्थन करें। यहां तक की मौलाना महमूद मदनी ने कहा है कि तबलीग़ जमात मुस्लिमों के युवाओं को मयखानों से खींचकर मस्जिदों में लेकर आई।
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने जमीयत के कार्यकर्ताओं को पत्र लिखकर अपील की है कि तब्लीग़ी जमात के कार्यों का समर्थन करें। मौलाना महमूद मदनी ने कहा हैं कि तब्लीग़ी जमात का समर्थन करना हर उलेमा का कर्तव्य है क्योंकि तब्लीगी जमात इस समय दुनिया की सबसे बड़ी शांतिपूर्ण धार्मिक सुधार एवं निर्माण वाली जमात हैं। उन्होंने कहा कि तब्लीग़ी जमात एक अभियान हैं जिसने मुस्लिम नौजवानों को शराब खानों से निकालकर मस्जिद तक पहुंचाया है।
मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जमात का लगभग सौ वर्षों का इतिहास है। उन्होंने कहा कि जमात ने अल्लाह के बंदों को अल्लाह से मिलाने और बुराई के मार्ग से हटाकर भलाई व अच्छाई के कामों पर लगाने का काम किया है। यह जमात पूरे विश्व के लोगों के लिए भलाई और मानवता की बात करतीं हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग या सरकारें तब्लीग़ी जमात का विरोध कर रहे हैं, वह वास्तविकता से अपरिचित या तथ्यहीन प्रोपेगेंडा से प्रभावित हैं।
मौलाना महमूद मदनी ने तब्लीग़ी जमात पर उठीं चर्चाओं पर स्पष्टता से कहा हैं कि दावते हक (सत्य की ओर आमंत्रण) को बड़ी से बड़ी शक्ति न रोक सकी है और न रोक सकेगी। उन्होंने कहा कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अहले हक़ (सत्य पर चलने वालों) हर दौर में क़ुर्बानी देनी पड़ी है उनको परेशानियों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि हम स्पष्ट कह देना चाहते हैं कि हम दावत व तब्लीग़ का समर्थन करते हुए, तब्लीग़ी जमात की संरक्षा करने के लिए हरदम तैयार हैं। और इसके लिए जमीयत उलमा ए हिंद, किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटेगी।
मौलाना महमूद मदनी ने उलेमाओं, मस्जिद के इमामों से अपील करते हुए कहा है कि हर मस्जिद में हर जुमे के बयानों में तब्लीगी जमात की वास्तविकता और कार्यों से आम लोगों को परिचित कराएं क्योंकि मौजूदा समय में इसकी आवश्यकता है।
दरअसल सऊदी अरब की मिनिस्ट्री ऑफ इस्लामिक अफेयर्स ने 6 दिसंबर को एक ट्वीट किया। ट्वीट में लिखा कि मस्जिद के मौलवियों और इमाम को निर्देश दिया जाता है कि वो अफ्रीका के तबलीगी और दावाह ग्रुप जिसे अल हबाब कहा जाता है, के खिलाफ लोगों को जागरूक करें। सऊदी सरकार के मुताबिक ये संगठन समाज के लिहाज से खतरनाक है और देश में आतंकवाद के द्वार खोलने का दमखम रखता है। इसी वजह से सरकार ने तमाम मस्जिदों से भी अपील की है कि उनके द्वारा लोगों को जागरूक किया जाए, बताया जाए कि अल हबाब क्यों और कैसे समाज के लिए खतरनाक है।
सऊदी अरब में अल अहबाब की तबलीग़ पर प्रतिबंध वाली खबरों को भरतीय मीडिया ने भारतीय तब्लीग़ी जमात पर सऊदी अरब में बैन बता दिया। जिसके बाद देशभर में तब्लीग़ी जमात की चर्चा शुरू हो गई और मुसलमानों के साथ साथ टीवी डिबेट के लिए एक बहस का मुद्दा बना दिया। भारतीय मीडिया ने यह भी जानने की कोशिश नहीं करी कि सऊदी सरकार ने जिस संगठन पर बैन लगाया है, उसका संबंध साउथ अफ्रीकी संगठन अल अहबाब से है और इस संगठन का भारतीय तब्लीग़ी जमात जिसका सेंटर निजामुद्दीन मरकज हैं उससे कोई लेना-देना नहीं है।
तब्लीग़ी जमात से जुड़े फरीद अहमद TwoCircles.net से कहते हैं कि तब्लीग़ी जमात दुनिया भर में सक्रिय है।सऊदी अरब में भी मुस्लिमों को सही राह पर लाने का काम तबलीगी जमात करतीं हैं। उन्होंने कहा कि वे सऊदी अरब पर कुछ नहीं कहेंगे, हम (तब्लीग़ी जमात) समाज के लिए काम करते रहेंगे मीडिया और सरकारें चाहें जो कुछ कहें।
एक अन्य व्यक्ति मोहम्मद साबिर TwoCircles.net से कहते हैं कि सऊदी अरब ने जो बैन लगाया हैं वो सऊदी अरब का आंतरिक मसला है। यह कोई मजहबी फैसला नहीं है, यह एक राजनीतिक फैसला है। उन्होंने कहा कि जो लोग इस्लाम को जानते और समझते हैं उनको पता हैं कि इस्लाम में हिंसा और नफ़रत की कोई जगह नहीं हैं। बाकि जो लोग बिना जाने इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ते हैं उनको इस्लाम जानने और समझने की जरूरत है।
मोहम्मद तलहा बताते हैं कि तब्लीगी जमात अपनी स्थापना के पहले दिन से ही मुसलमानों को मस्जिदों से जोड़ने का काम कर रही है और इसका फैलाव लगभग पूरी दुनिया में है। तलहा बताते हैं कि तब्लीगी जमात एक सुधारवादी धार्मिक विचारों वालीं जमात हैं जो लोगों को बुराई से अच्छाई की तरफ़ आने की दावत देती है।
इमरान खान कहते हैं कि तब्लीग़ी जमात में बताया जाता है कि इस्लाम में सबसे बड़ा जिहाद अपने अंदर मौजूद बुराइयों को खत्म करना हैं। वे कहते हैं कि हमें तब्लीग़ी जमात ने सिखाया गया कि इस्लाम में नस्लीय भेद-भाव की कोई जगह नहीं है, ख़ुदा के सामने सब एक बराबर है।
तब्लीग़ी जमात की स्थापना 1926 में हरियाणा के मेवात से हुई थी। मौलाना मोहम्मद इलियास कांधलवी ने इसकी शुरुआत की थी। यह जमात इस्लाम की देवबंदी विचार धारा से प्रभावित और प्रेरित है। मौलाना मोहम्मद इलियास यूपी के मुज़फ़्फ़रनगर जिले के कांधला गांव के रहने वाले थे। तब्लीग़ी जमात का मुख्य सेंटर दिल्ली के निजामुद्दीन दरगाह के पास स्थित हैं। तब्लीग़ी जमात दुनिया भर के 190 देशों में सक्रिय हैं।