स्टाफ़ रिपोर्टर ।Twocircles.net
कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हिंदू देवी-देवताओं का अपमान करने और एक विशेष समुदाय की भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार हुए हास्य कलाकार मुनव्वर फारूकी को 35 दिन बाद सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट में मुनव्वर फारूकी ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमे उसे जमानत पर रिहा करने से मना किया गया था। आज 5 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने सुनवाई करते हुए अंतरिम जमानत दे दी हैं।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरीमन और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए मुनव्वर फारूकी केस की सुनवाई करी। मुनव्वर फारूकी की तरफ से कोर्ट में वकील सौरभ किरपाल पेश हुए। सुप्रीम कोर्ट ने फारुकी को जमानत देने के साथ ही उनकी याचिका पर मध्य प्रदेश पुलिस को नोटिस भी जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के दौरान सही प्रक्रिया का पालन न होने के आधार पर उन्हें अंतरिम ज़मानत दी है। साथ ही इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जारी प्रोडक्शन वारंट पर भी फिलहाल रोक लगा दी है। बेंच ने कहा कि फारूकी की गिरफ्तारी में CrPC की धारा-41 के तहत बताई गई प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट में मुनव्वर फारुकी ने कुल दो याचिकाएं दायर की हैं। एक में उन्होंने खुद को जमानत पर रिहा करने की गुहार लगाई है और अपने खिलाफ दर्ज अलग-अलग राज्यों में मुकदमों को एक जगह ट्रांसफर करने की मांग की गई है। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के प्रोडक्शन वारंट पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब भी मांगा है।
इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 28 जनवरी को मुनव्वर फारूकी की जमानत याचिका खारिज़ कर दी थी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में फारूकी को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि सौहार्द्र को बढ़ावा देने उनका संवैधानिक कर्तव्य है। मुनव्वर फारूकी को पिछले 1 जनवरी को इंदौर पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
ज्ञात रहें कि बीजेपी विधायक मालिनी सिंह गौड़ के बेटे और हिंदू रक्षक संगठन के संयोजक एकलव्य सिंह गौड़ ने शिकायत दर्ज करायी थी कि फारूकी ने नववर्ष पर इंदौर में एक कैफे में कॉमेडी शो के दौरान हिंदू देवी-देवताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इंदौर पुलिस ने हास्य व्यंग्य के जरिये धार्मिक भावनाओं को आहत करने, और आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि पुलिस ने कहा था कि देवी-देवताओं के अपमान वाला उनका कोई भी वीडियो नहीं मिला हैं। पुलिस ने फारूकी और उनके साथियों एडविन एंटनी, प्रकाश व्यास, प्रीतम व्यास और निलिन यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 295-A, 298, 269, 188 और 34 के तहत मामला दर्ज किया था। सेशन कोर्ट और मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से जमानत याचिका खारिज़ होने के बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
इस मामले में इंदौर के समाजिक कार्यकर्ता ज़ैद पठान ने Twocircles.net से बात करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न्यायालय के प्रति लोगों की विश्वसनीयता को बढ़ाता हैं। जिस तरह से लोगों का न्याय के लिए न्यायलय पर से भरोसा उठ रहा था, सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने उस खोते हुए विश्वास को बढ़ाया हैं। उन्होंने बताया मुनव्वर फारूकी के खिलाफ उन मामलों में केस दर्ज किया गया था जो कि पुराने थे और उसके लिए मुनव्वर ने माफ़ी भी मांग ली थी।