अमरोहा की क़ातिल शबनम की दया याचिका खारिज,अब लगेगी फांसी

आकिल हुसैन। Twocircles.net

देश में आज़ादी के बाद पहली बार किसी महिला को फांसी देने की तैयारी चल रही है, और यह तैयारी चल रही है उत्तर प्रदेश के मथुरा जेल में। यह फांसी अमरोहा की रहने वाली महिला शबनम को दी जाएगी, हालांकि अभी फांसी देने की तारीख़ तय नहीं हैं। फिर भी जेल प्रशासन ने अपने स्तर से तैयारी शुरू कर दी हैं। अगर आपको महिला शबनम का ध्यान हो तो याद होगा शबनम ने  2008 में अपने  प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही 7 परिजनों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। साल 2010 में अमरोहा सेशन कोर्ट की तरफ से दोनों को मौत की सजा सुनाई गई थी। साल 2013 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था। वहीं साल 2015 में भी सुप्रीम कोर्ट ने सेशन कोर्ट और हाई कोर्ट के फैसले को सही माना था। और अब राष्‍ट्रपति की तरफ से भी शबनम की दया याचिका खारिज हो चुकी है जिससे उसकी फांसी का रास्ता साफ हो गया है।


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बता दें कि अमरोहा जिले के हसनपुर क्षेत्र के बावनखेड़ी गांव में रहने वाले शिक्षक शौकत अली के 25 साल की बेटी शबनम ने अपने ही पिता शौकत अली ,मां  हाशमी, भाई अनीस, राशिद, भाभी अंजुम, भतीजी शबनम व दस महीने का मासूम भतीजा अर्श रहते थे। शबनम अपने पिता की इकलौती लड़की थी और उसको पिता शौकत अली ने लाड़-प्यार से पाला था। शबनम को पिता ने अच्छा पढ़ाया लिखाया था। शबनम एक पोस्टग्रेजुएट महिला थी और स्कूल में शिक्षामित्र के तौर पर पढ़ाती थी। इस दौरान उसे गांव के ही सलीम से प्यार हो गया था। सलीम गांव में आरा मशीन चलाने वाले अब्दुल रऊफ का लड़का था। सलीम आठवीं पास था। और अपने पिता के साथ आरा मशीन में ही काम करता था। शबनम और सलीम दोनों शादी करना चाहते थे परंतु शबनम के घरवालों को यह मंजूर नहीं था। शबनम के परिवार को यह रिश्ता शायद इसीलिए मंजूर नहीं था क्यों की शबनम का परिवार हर तरह से संपन्न था और सलीम का परिवार उनकी हैसियत के सामने कम था।

घरवालों की नामंजूरी की वजह से शबनम का अक्सर उनसे झगड़ा होता था। परिवार के खिलाफ जाकर दोनों रात को चोरी-छिपे मिलने लगे। शबनम रात को प्रेमी सलीम को घर बुलाने लगी। इसी बीच शबनम बिना शादी ही गर्भवती हो गई थी। अब शबनम के पेट में सलीम का बच्चा पल रहा था। घरवालों के शादी के लिए न मानने पर दोनों शबनम और सलीम परेशान रहते थे।

दोनों ने प्यार को परवान ना चढ़ता देख एक खौफनाक साजिश रची जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। 14 अप्रैल  2008 की रात को शबनम ने अपने प्रेमी सलीम को घर बुलाया। इससे पहले शबनम ने अपने परिवार को खाने में नींद की गोली खिलाकर सुला दिया था। उस दिन शबनम की फुफेरी बहन राबिया भी उनके घर आई हुई थी। रात में शबनम व सलीम ने मिलकर नशे की हालत में सो रहे पिता शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस, राशिद, भाभी अंजुम, फुफेरी बहन राबिया व दस माह के भतीजे अर्श का कुल्हाड़ी से गला काट कर मौत की नींद सुला दिया था।

घटना को अंजाम देकर सलीम तो वहां से भाग गया था, लेकिन शबनम रात भर घर में ही रही। तड़के में उसने शोर मचा दिया कि बदमाश आ गए हैं। शोर सुनकर गांव के लोग मौके पर पहुंचे और वहां का नजारा देख पैरों तले जमीन खिसक गई। गांव वालों ने जाकर देखा तो मासूम समेत सभी सात लोगों के शव गले से कटे हुए पड़े थे। शौकत अली के घर का मंजर खौफनाक था। घर का हर एक शख्स मर चुका था, सिवाय एक के वो थी शबनम। शबनम के अनुसार वो बच गई क्यूंकि वो उस समय बाथरूम में थी। शबनम ने पुलिस को बताया कि घर में बदमाशों ने धावा बोलकर सबको मार डाला हैं। उसने बताया कि हमलावर लुटेरे छत के रास्ते आए थे। इस हत्याकांड की खबर प्रदेश समेत पूरे देश में फैल चुकी थी। पुलिस ने मामले की जांच करना शुरू करी। पुलिस ने शबनम के बयान को आधार पर बनाकर जांच शुरू किया।  जब शबनम के घर की छत पर जाकर देखा तो जमीन और छत के बीच करीब 14 फुट की ऊंचाई थी।जहां सीढ़ी लगाने का भी कोई नामों निशान नहीं था। जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि छत पर किसी के चढ़ने-उतरने के कोई निशान मौजूद नहीं थे। छत से नीचे आने वाले ज़ीने में भी बड़ा लोहे का दरवाजा लगा था। जिसे आसानी से खोला नहीं जा सकता था। घर का मजबूत लोहे का दरवाजा तोड़कर अंदर आना नामुमकिन सा था।

जांच के दौरान  जब मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आती हैं तो उससे पुलिस को पता चलता हैं कि  मृतकों की हत्या करने से पहले उन्हें बेहोशी की दवाई भी दी गई थी। पुलिस को इससे ज्ञात होता है कि क़त्ल करने वाला घर का ही कोई सदस्य हैं। जांच के दौरान पुलिस ने हत्याकांड वाले दिन की शबनम के फोन की कॉल डिटेल निकलवाई। पुलिस ने पाया कि शबनम ने 3 महीने में एक नंबर पर 900 से ज्यादा बार फोन किया था। पुलिस ने जांच में पाया कि घटना की रात शबनम और एक नंबर के बीच 52 बार फोन पर बातचीत हुई थी। पुलिस ने उस नंबर की जांच की तो पाया कि वो नंबर गांव के ही सलीम का था। कॉल डिटेल आने के बाद पुलिस के सामने इस सामूहिक हत्याकांड की तस्वीर साफ होने लगी थी। पुलिस ने बिना देर किए सलीम  को हिरासत में ले लिया था। फिर शबनम और सलीम से पूछताछ की गई। पहले शबनम अपनी लुटेरों वाली कहानी बताती रही लेकिन पुलिस के सख्ती के बाद सलीम और शबनम ने मुंह खोल दिया और सारी सच्चाई बयां कर दी कि कैसे उन दोनों ने मिलकर परिवार के सात सदस्यों की दर्दनाक हत्या करी।

दोनों के खिलाफ अमरोहा में मुकदमा दर्ज हुआ और अमरोहा कोर्ट में केस चला।14 जुलाई 2010 को अदालत ने दोनों को दोषी करार दिया था और अगले दिन 15 जुलाई को फांसी की सज़ा सुनाई थी। इसके बाद शबनम ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट के ‌फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई, सुप्रीम कोर्ट ने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और पुनर्विचार याचिका भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।और राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका को मंजूर नहीं किया हैं।

यह केस इतना हाईप्रोफाइल बन गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती खुद अगले दिन शबनम से मिलने आई थी जब तक यह नहीं पता चल पाया था कि शबनम ने यह सब हत्या ख़ुद की हैं। शबनम और सलीम द्वारा करे गए सामूहिक हत्याकांड के वक्त शबनम दो महीने की गर्भवती था, लेकिन अब वो बच्चा बड़ा हो गया है और उसको किसी सोशल एक्टिविस्ट गोद ले लिया हैं। वो बच्चा सात साल तक जेल में ही शबनम के साथ पला बढ़ा हुआ हैं। उसका जन्म मुरादाबाद जेल में ही हुआ था।

फिलहाल शबनम बरेली जेल में बंद हैं वहीं तो सलीम आगरा जेल में बंद है। डेथ वारंट जारी होते ही शबनम-सलीम को फांसी दे दी जाएगी। आजादी के बाद शबनम पहली महिला होगी जिसे फांसी दी जाएगी।

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