आकिल हुसैन। Twocircles.net
सुल्ली डील्स नामक वेबसाइट पर सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की तस्वीर लगाकर उनकी बोली लगाने का मामला सामने आया हैं। सुल्ली डील्स नाम की एक एप मुस्लिम महिलाओं की सोशल मीडिया से तस्वीरें दिखाकर सौदा कर रही हैं, तस्वीरें के साथ उनकी कीमतें भी लिखीं हुईं हैं। हालांकि यह तस्वीरें किसने अपलोड करी हैं अभी इसका खुलासा नहीं हो पाया है लेकिन यह काफ़ी चौंकाने वाला है।
सुल्ली एक अपमानजनक शब्द हैं जिसका इस्तेमाल खासकर मुसलमानों के लिए करा जाता है। सुल्ली डील्स एप को गिटहब नाम के ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म पर बनाया गया है। गिटहब एक होस्टिंग प्लेटफॉर्म है, जिसमें ओपन सोर्स कोड का भंडार है। 4 जुलाई को सुल्ली डील्स पर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीर उनकी कीमत के साथ शेयर करी गई थी।
यह ऐप तब सामने आया जब लोगों ने ट्विटर पर अपना डील आफ द डे शेयर करना शुरू करा। लोगों ने इसको लेकर ट्विटर पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी दी। इसको लेकर विवाद भी खड़ा हो गया हैं। मुस्लिम महिलाओं ने ट्विटर पर गुस्से का भी इज़हार करा। कुछ महिलाओं ने तो यह मामला सामने आने के बाद ही सोशल मीडिया को छोड़ दिया हैं।
इस आनलाइन हैरेसमेंट का शिकार हुई हाना मोहसिन खान ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहती हैं कि ‘मैं चिंता में या डरी हुई नहीं हूं क्योंकि हमें यहां पहुंचने के लिए बहुत कुछ झेलना पड़ा है। कई लोगों ने मुझसे कहा कि मुझे अपनी फोटो सोशल मीडिया पर नहीं डालनी चाहिए। पर मैं ऐसा क्यों करूं? साथ ही, यह सब कब तक चलेगा? इस पर कोई कार्रवाई कब की जाएगी’।
पेशे से पायलट हाना मोहसिन ख़ान कहती हैं कि एप पर अपनी तस्वीर देखकर एकदम स्तब्ध रह गई। वो कहती हैं कि क्या इससे भद्दा भी कुछ हो सकता है? हाना कहती हैं कि संभावना है कि फोटो उनके सोशल मीडिया अकाउंट से ली गई है। हना कहती हैं कि वो डरी बिल्कुल नहीं हैं बल्कि बेहद गुस्से में है।
दिल्ली की रहने वाली एक अन्य महिला ने इस ऐप पर अपनी तस्वीर सामने आने के बाद से सोशल मीडिया को ही छोड़ दिया हैं। वो कहती हैं कि एक अनजान वेबसाइट द्वारा उनकी तस्वीर एक प्राइस टैग के साथ शेयर करना बेहद डरावना हैं। वो कहती है कि इन सबसे वो थक चुकी हैं आखिर यह सब कब तक चलता रहेगा। वो कहती है कि यह सब होने के बाद से उनकी जिंदगी ख़तरे में पड़ गई है।
इस आनलाइन हैरेसमेंट के मामले में ट्विटर पर लोगों ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं देकर विरोध दर्ज कराया जिसके बाद से गिटहब ने इसे हटा दिया हैं। बिहार के किशनगंज से कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने ट्वीट करते हुए कहा कि यह कृत्य बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण और शर्मनाक हैं। उन्होंने आईटी मंत्री जयशंकर प्रसाद से मांग करी हैं कि ऐसा साइबर क्राइम करने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। एक अन्य कांग्रेस सांसद गौरव गोगई ने भी इस तरह की आपत्तिजनक और एक धर्म विशेष की महिलाओं को निशाना बनाने वाली ऐसी वेबसाइटों पर कार्रवाई की मांग करी हैं।
न्यूज़ वेबसाइट ऑप इंडिया के संस्थापक एडिटर रहे पत्रकार अजीत भारती मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाने वाली वेबसाइट का लिंक शेयर करने के बाद घिर गए, लोगों के विरोध के बाद उन्होंने उसे हटा दिया। अजीत भारती ने उस आपत्तिजनक वेबसाइट का लिंक शेयर करते हुए लिखा था कि वो इसे शेयर करके सामान्य समाज की सहायता कर रहे हैं। पत्रकार अजीत भारती की एक धर्म विशेष के प्रति घृणा खुलकर सामने आ गई। अजीत भारती की एक धर्म के प्रति नफ़रत इतनी हैं कि वो मुस्लिम औरतों को बोली लगाने वाली चीज़ समझते हैं।
सुल्ली डील्स पर होस्टिंग प्लेटफॉर्म गिटहब कहता है कि वो अपने यूजर्स को कोई भी व्यक्तिगत नामों के तहत एप बनाने की अनुमति प्रदान करता है। साथ ही गिटहब का यह भी कहना है कि वो अपने यूजर्स को मार्केटप्लेस में इन ऐप को शेयर या साझा करने की भी अनुमति देता है। सुल्ली डील्स वेबसाइट किसने बनाईं अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि गिटहब ने उस वेबसाइट को हटा दिया हैं।
हालांकि इस तरह की आनलाइन हैरेसमेंट की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। इसी साल के मई में लिबरल डॉग लाइव करके एक यूट्यूब चैनल ने एक वीडियो लाइव स्ट्रीम करा और उस वीडियो में मुस्लिम लड़कियों की तस्वीरें और वीडियो आ रही थी। यह वो तस्वीरें और वीडियो थे जो मुस्लिम लड़कियों ने ईद के मौके पर सोशल मीडिया पर शेयर करे थे। इसका शिकार एक पत्रकार के साथ साथ एक राष्ट्रीय पार्टी की नेता भी हुई थी लोगों के काफ़ी विरोध करने के बाद उस वीडियो को यूट्यूब से हटा दिया गया था।
इस मामले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की एक छात्रा Two circles.net से बातचीत में कहती हैं कि भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध को अनसुना कर दिया जाता है। महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध में भी तेजी से वृद्धि हुई है, खासकर यदि वे मुस्लिम हैं, तो घृणित और हिंसक संदेश प्राप्त करना अब मुस्लिम महिलाओं के लिए यह चीज सामान्य है।
वे कहती हैं कि सुल्ली डील्स की घिनौनी और अपमानजनक घटना नई नहीं है, ऐसा कई बार और हो चुका हैं। चाहे वो पिछले वर्ष बॉयज़ लॉकर रूम हो या यूट्यूब पर लाइव वीडियो जिसने मुस्लिम महिलाओं की ईद की तस्वीरें प्रसारित की हों। इस बार फिर मुस्लिम महिलाओं को विशेष रूप से शिकार बनाया गया। वे कहती हैं कि मुस्लिम महिलाओं के प्रति नफ़रत और घृणा भरें भाव से करें जा रहें इन कार्यों को लेकर कोई भी विरोध नहीं होगा क्योंकि पीड़ित एक विशेष समुदाय से हैं।
वे कहती हैं कि अब सब नारीवादी और मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए बातें करने वाले भी खामोश हो जाएंगे क्योंकि पीड़ितों का ताल्लुक एक विशेष समुदाय से हैं। वे कहती हैं कि मुझे नहीं पता कि सुल्ली डील्स बनाने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी या नहीं, लेकिन हां, मैं व्यक्तिगत रूप से सरकार से ऐसी कोई उम्मीद नहीं रखतीं हूं जो मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणा, अपराध और हिंसा को बढ़ावा दे।
इसी मामले में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्रा आफ़रीन फातिमा ट्वीट करते हुए कहती हैं कि सुल्ली डील्स वेबसाइट एक कोई अलग घटना नहीं हैं , अभी हाल ही में गुड़गांव में हुईं महापंचायतों में सार्वजानिक रूप से मुस्लिम महिलाओं के प्रति यौन हिंसा और उनके अपहरण करने के भाषण दिए गए। सुल्ली डील्स वेबसाइट जैसी घटनाएं उसी भाषणों के समर्थन और प्रोत्साहन में हैं।