इमाम बुखारी ने पीएम को लिखी चिट्ठी, जामा मस्जिद की मरम्मत का किया अनुरोध

स्टाफ रिपोर्टर। twocircles.net

दिल्ली में जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर उनसे जामा मस्जिद की मरम्मत कराने का अनुरोध किया है। दरअसल दिल्ली में आंधी से मस्जिद के मीनार की स्लैब से पत्थर गिर गए थे जिसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को निर्देश देकर जल्द मरम्मत कराने की अपील की हैं। अब देखना यह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ़ से क्या ज़वाब आता है।


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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा हैं कि मस्जिद के कई पत्थर जर्जर हालत में हैं और अक्सर गिर भी जाते हैं। शुक्रवार को तेज़ आंधी के चलते मस्जिद की मीनार से लाल बलुआ पत्थर का स्लैब नीचे गिर पड़े थे लाकडाउन के चलते मस्जिद बंद होने के कारण कोई हादसा नहीं हुआ। मीनार के पत्थर गिरने से मस्जिद के फर्श को भी नुकसान पहुंचा है।

इमाम बुखारी ने पत्र में कहा, “इन पत्थरों के गिरने से उनके आसपास के पत्थरों की मजबूती कमजोर हो गई है और किसी हादसे से बचने के लिए फौरन मरम्मत की जरूरत है। उन्होंने कहा हैं कि मस्जिद में कुछ जगह के पत्थर काफ़ी खराब है जिसको रस्सी से बांधकर गिरने से रोका गया है। उन्होंने पत्र में कहा है कि मस्जिद को मरम्मत की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है।

एक रिपोर्ट के अनुसार जामा मस्जिद की मीनारों का संरक्षण कार्य लगभग 50 वर्षों से नहीं किया गया है। बुखारी के अनुसार मस्जिद के पास मरम्मत के लिए स्थायी बजट नहीं हैं। मस्जिद में मरम्मत के काम के लिए पत्र लिखना पड़ता है जिसके बाद बजट का अनुमान तय होता है और फिर बजट जारी किया जाता है।

उन्होंने कहा है कि पहले भी इस तरह के मरम्मत के कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कराए हैं। इमाम बुखारी के पत्र के मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण 1956 से मस्जिद में मरम्मत का काम कराता आया है। हालांकि मस्जिद की रखरखाव की जिम्मेदारी दिल्ली वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आती है। इमाम बुखारी ने पत्र के जरिए प्रधानमंत्री मोदी से अपील करी हैं कि एएसआई को निरीक्षण करने और इसकी आवश्यक मरम्मत शुरू करने का निर्देश दे।

वहीं अभी इस मामले में प्रधानमंत्री की तरफ से कोई ज़वाब नहीं आया है। दिल्ली के लाल किले के पास स्थित जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहां ने 1656ई में करवाया था। जामा मस्जिद में एकसाथ 25 हज़ार लोग नमाज़ पढ़ सकते हैं। जामा मस्जिद एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद हैं।

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