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नफ़रत भरे इस दौर में तमन्ना पंकज बन रही हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल

तन्वी सुमन।Twocircles.net

पेशे से वकील तमन्ना पंकज लोगों की ज़िंदगी में हिंदू-मुस्लिम के बीच के फ़ासलों को कम कर उसे एक नया आयाम देने की कोशिश कर रहीं है । गाजियाबाद की रहने वाली तमन्ना, पत्रकार पंकज चतुर्वेदी की बेटी हैं। एमिटी विश्वविद्यालय से लॉ करने के बाद तमन्ना ने ह्यूमन राइट्स से पोस्ट-स्नातक की पढ़ाई की है। इतनी छोटी सी उम्र में तमन्ना ने अपने काम के जरिए काफी लोगों की ज़िंदगी में बदलाव लाया है। तमन्ना फिलहाल अपनी सीनियर तारा नरुला के साथ काम कर रही हैं। तमन्ना पिछले साल हुए एंटी-CAA प्रोटेस्ट और उसके बाद हुए दिल्ली दंगों में फंसे निर्दोष लोगों को हर संभव लीगल ऐड दिलाने में निरंतर जुटी रहीं। तमन्ना ने अपनी पढ़ाई पूरी होने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व चेयरमैन और पद्मश्री डॉ मोहिनी गिरी के साथ उनके एनजीओ गाइड फॉर सर्विस में लीगल कॉउन्सलर के तौर पर काम किया है।

तमन्ना पिछले 2 साल से यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट (UAH) से जुड़ी हुई हैं। भारत में मॉब लिन्चिंग के खिलाफ़ ‘नॉट इन माइ नेम’ के नाम पर यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट कैम्पैन की शुरूवात 2017 में हुई थी जिसके संस्थापक उमर खालिद, खालिद सैफी, नदीम खान और बनोजयोत्सना लहीरी हैं।

Twocircle.net से बात के दौरान तमन्ना ने बताया कि पुलिस ब्रूटैलिटी को लेकर हम लोग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को पत्र भी लिखते हैं। UAH लीगल फैक्ट फाइन्डिंग रिपोर्ट तैयार करता है और तमन्ना ने काफी सारे फैक्ट फाइन्डिंग रिपोर्ट के साथ उत्तर प्रदेश में मारे गए इन्स्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की रिपोर्ट भी तैयार की है।

इन दिनों जब बोलने की आज़ादी पर भी पहरा लगाया जा रहा है उस वक़्त मुखर होकर दिल्ली दंगों में मुसलमानों की मदद करने पर आने वाली प्रतिक्रिया और घर वालों के सहयोग पर तमन्ना बताती हैं कि किस तरह अपने माँ-बाप की सहयोग की वजह से तमन्ना लोगों की मदद कर पा रही। तमन्ना ने तो यह भी बताया की उनके पिता पंकज चतुर्वेदी ने ही उनके मित्र नदीम खान के कहने पर तमन्ना को यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट से जुडने को बोला था। आज तमन्ना जो कुछ भी हैं वो अपने पिता की वजह से ही हैं। माँ की प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर तमन्ना बताती हैं-

“तमन्ना की माँ को गर्व है अपनी बेटी पर, तमन्ना की माँ अपना राजनीतिक राय बखूबी रखती हैं। तमन्ना उनकी इकलौती बच्ची है और उसकी सुरक्षा की चिंता लाजमी है मगर इसकी वजह से अपने कदम खींच लेना भी तो सही नहीं है। अगर तमन्ना अपने लोगों के अधिकारों के लिए खड़ी नहीं होगी फिर कौन होगा। जब रिश्तेदार बोलते हैं की तमन्ना को थोड़ा संभाल कर रखो फिर उनके पिता कहते हैं कि उनकी बेटी लोगों की मदद कर एक बहुत ही नेक काम कर रही है। किसी को भी उसके काम को लेकर कोई एतराज नहीं होना चाहिए।‘ “

दिल्ली दंगों में लोगों की मदद करने की वजह से तमन्ना को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा। मुस्लिमों का केस लेने की वजह से उन्हें फोन और मैसेज के जरिए डराया धमकाया गया। वह आगे बताती हैं कि, “एक दिन मेट्रो से अपने घर गाज़ियाबाद जाते वक़्त उनके पास एक फोन कॉल आया और उन्हें कहा कि गया की वो इस वक़्त जिस मेट्रो स्टेशन पर खड़ी हैं वहाँ से उन्हें देखा जा सकता है  और अगर उन्होंने UAH का साथ देना बंद नहीं किया तो इसका अंजाम बहुत बुरा हो सकता है। इस घटना के बाद वह बहुत डर गई थी और फिर उन्हें इस बात का एहसास हुआ की दिल्ली दंगों के बाद से उनकी ज़िंदगी कितनी बदल गई है।“

तमन्ना बताती है कि कैसे महिला वकीलों के काम को पब्लिक प्लेटफॉर्म पर वह मान्यता नहीं मिलती है जो बाकी वकीलों को मिलती है ! दिल्ली दंगे के दौरान सबसे ज्यादा मदद महिला वकीलों ने किया। लोगों के पास खाने के पैसे तक नहीं थे तो वो वकील की फीस कैसे दे पाते ! इस बात को समझते हुए महिलाओं ने बिना पैसे के लोगों की हर संभव मदद की। तमन्ना के दिल में उन औरतों के लिए बहुत ज्यादा सम्मान है जिन औरतों ने अपने जान की परवाह किए बगैर लोगों की मदद की। उन्हें पहले लगता था की औरतें दूसरी औरतों को ट्रोल करने में लगी रहती हैं मगर पिछले एक साल में उन्हें इस बात का एहसास हुआ की औरतें किस कदर मजबूती से खड़े होकर एक दूसरे का साथ देती हैं।

अपने प्रोफेशन को लेकर तमन्ना कहती है, “वकीलों के पास लोगों की ज़िंदगी बदलने का पावर होता है। कहीं पर भी ऐसा नहीं लिखा है कि वकीलों का काम सिर्फ कोर्ट जाना है। अगर हर वकील सिर्फ सप्ताह में एक दिन ग्राउन्ड पर लोगों (खास कर औरतों) के बीच जाकर उनकी बातों को सुने और उन्हें संविधान के नियमों के बारे में अवगत कराए तो इससे ना जाने कितनों की जिन्दगी बदल सकती है।“ इसके साथ ही वह अपनी ज़िंदगी में खास कर उन औरतों को धन्यवाद करना चाहती हैं जिन्होंने हर कदम पर उनका साथ दिया। तमन्ना अपनी जिंदगी में माँ, नर्गिस, बनोजयोत्सना, तारा नरुला, सौजन्या शंकरन और उनकी बेस्ट फ्रेंड सबा को सबसे महत्वपूर्ण महिलाएं मानती है जिन्होंने उनको एक दृढ़ महिला बनने में मदद की है।