उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में एक दलित परिवार के चार सदस्यों की बेरहमी से हत्या का मामला सामने आया हैं।मृतक के परिवार के अन्य सदस्यों के अनुसार हत्याएं संपत्ति विवाद के कारण हुई है और इससे पहले भी संपत्ति विवाद में मृतकों पर पहले भी पहले भी कई बार हमला हुए थे लेकिन पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। मृतकों में एक महिला और एक नाबालिग लड़की भी शामिल हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दोनों के साथ बलात्कार की भी पुष्टि हुई है। मृतक के भाई की तहरीर पर 11 लोगों के विरुद्ध हत्या, दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट और एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
आकिल हुसैन। Twocircles.net
घटना प्रयागराज के फाफामऊ थाना क्षेत्र के मोहनगंज गोहरी गांव की है। मृतक के भाई लालचंद द्वारा दर्ज एफआईआर के अनुसार बुधवार रात उनके भाई फूलचंद उम्र 50 वर्ष, उनकी पत्नी मीनू उम्र 47 वर्ष और लड़की सपना उम्र 17 वर्ष, लड़का शिव उम्र 10 वर्ष अपने घर में सो रहे थे। मृतक के भाई के अनुसार अगले दिन सुबह घर का दरवाज़ा न खुलने पर गांव के लोगों ने पुकारा लेकिन घर के अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई। जब वहां पहुँचकर दरवाज़ा धकेलकर खोला तो चारों के शव वहां ख़ून से लथपथ मिले। दर्ज एफआईआर के मुताबिक घर के बरामदे के सामने पुरुष का शव चारपाई पर पड़ा था। बाईं ओर की चारपाई पर महिला का शव था। कपड़े भी अस्त-व्यस्त थे। चारपाई के नीचे बेटे का शव जमीन पर पड़ा था। वहीं बरामदे से सटा कमरा है जहां बेटी का शव चारपाई पर निर्वस्त्र पड़ा था।
दलित समुदाय से आने वाला फूलचंद मज़दूरी करके परिवार का पालन-पोषण करता था। गांव वालों के अनुसार फूलचंद आखिरी बार मंगलवार को गांव में दिखाईं दिया था। मृतकों के परिवारवालाें का आरोप है कि गांव के ही दबंग आकाश सिंह से उनका जमीन को लेकर विवाद चल रहा था वह पहले भी कई बार फूलचंद के साथ मारपीट कर चुके हैं और अक्सर जान से मारने को धमकाते थे। फूलचंद ने उनके विरुद्ध पुलिस में शिकायत भी दर्ज करवाईं, लेकिन पुलिस द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की गई थी। मृतक फूलचंद के एक अन्य भाई किशन का कहना है कि इसी रंजिश में इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया गया हैं।
मृतकों के परिजनों ने मीडिया से बताया कि आकाश सिंह ने फूलचंद और उसके परिवार की हत्या की हैं उनसे परिवार का एक ज़मीन को लेकर विवाद था। परिजनों ने आरोप लगाया कि इससे पहले भी 21 सितंबर को आकाश सिंह द्वारा फूलचंद को घर का दरवाज़ा तोड़ कर घर में घुस कर मारा गया था। मृतकों के परिजनों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि इस मामले में पहले तो पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया फिर एक हफ्ते बाद मुकदमा दर्ज भी हुआ तो पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।
मृतकों के परिजनों ने पुलिस की आरोपियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि हम लोगों की कहीं सुनवाई नहीं होती। पुलिस आरोपियों को बुलाकर कुर्सी देती है और हम लोगों को थाने से भगाती है। हमारा मजाक उड़ाते थे। परिजनों के अनुसार फाफामऊ चौकी के दरोगा रामसेवक पटेल और सिपाही सुशील बार बार घर आकर समझौता करने के लिए भी दबाव बनाते थे। पुलिस खुलेआम आरोपियों की मदद करती थी।
परिजनों का कहना है कि आरोपी आकाश सिंह, उसकी मां बबली सिंह घर के पास के ठाकुर परिवार से हैं। परिजनों के अनुसार आकाश सिंह की पुलिस में अच्छी पकड़ हैं, उसकी मां बबली सिंह मृतको के परिजनों से कहती थी कि कोई कुछ नहीं कर पाएगा। मृतक के भाई लालचंद का कहना है कि अगर समय रहते पुलिस दबंगों के खिलाफ कार्रवाई करती तो आज ये नौबत न आती।
पुलिस द्वारा चारों शव के पोस्टमार्टम कराएं गए। पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी भी कराईं गईं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार महिला और उसकी नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार कर हत्या करें जाने का मामला सामने आया है। घर में कमरे के अंदर जहां शव बरामद हुए थे वहां मां बेटी के कपड़े अस्त-व्यस्त मिले थे और उनकी स्थिति देखकर परिजनों द्वारा रेप की आशंका जताई गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला हैं कि चारों मृतकों के सिर पर गंभीर चोटों के निशान थे।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार फूलचंद की मृत्यु सिर पर कुल्हाड़ी के मारे जाने से हुई है। 13 वर्षीय पुत्र शिव के सीने की हड्डी टूटी मिली थी। आशंका जताई गई है कि शिव के सीने पर बैठकर उसका गला दबाया गया और फिर कुल्हाड़ी से सिर पर प्रहार किया गया। किशोरी को पहले मुंह दबाकर बेहोश किया गया फिर उसके साथ रेप किया गया, बलात्कार करने के बाद अपराधियों ने कुल्हाड़ी मारकर उसकी हत्या कर दी। फूलचंद की पत्नी के साथ भी पहले बलात्कार किया गया और फिर उसकी भी हत्या कर दी गई।
मृतक फूलचंद के भाई लालचंद ने फाफामऊ थाना में आरोपी आकाश सिंह, उनके पिता अमित सिंह, अमित सिंह की पत्नी बबली सिंह के अलावा रवि, मनीष, अभय, राजा, रंचू, कुलदीप, कान्हा ठाकुर, अशोक सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इन सभी के विरुद्ध हत्या, दुष्कर्म, पाक्सो एक्ट, एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
एफ़आईआर में थानाध्यक्ष फाफामऊ राम केवल पटेल और सिपाही सुशील कुमार सिंह पर सुलह करने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है। उसमे लिखा है ‘खुलेआम मुलज़िमों की मदद की जाती थी, और उपरोक्त पुलिस की शह पर इन लोगों ने ये नृशंस हत्या की हैं’।
इस घटना में पुलिस ने परिजनों की तहरीर पर 11 नामजद आरोपियों पर हत्या,रेप,पाक्सो, एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है जबकि बाकि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए तलाश जारी है। इलाहाबाद के एसएसपी सर्वश्रेष्ठ सिंह ने थानाध्यक्ष फाफामऊ राम केवल पटेल समेत दो पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।
बाकि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए गंगापार की थाना पुलिस फाफामऊ, सोरांव, मऊआइमा, होलागढ़, नवाबगंज में एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और जांच में जुटी पुलिस टीमें ताबड़तोड़ दबिश दे रही हैं। लगभग 30 से अधिक लोगों को उठाकर पूछताछ की जा रही है। हालांकि, अभी तक पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा है।
इलाहाबाद डीआईजी सर्वश्रेष्ठ सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि“किन कारणों से यह घटना हुई है उसके बारे में अभी विस्तृत जानकारी आएगी। इसके अलावा भी जो जानकारी आई है, जो परिवार वालों से पता चला है और हमने भी रिपोर्ट में देखी है कि 2019 और 2021 में उन्होंने कुछ लोगों के ऊपर भूमि विवाद में, उन्होंने एससी एसटी का केस लिखवाया है।
उन्होंने कहा कि उस केस में कारवाई नहीं होने का उन्होंने आरोप लगाया है जिसके बारे में भी हम लोग कठोर कार्रवाई कर रहे हैं, थाने के दरोगा को सस्पेंड कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि परिजनों के शिकायत के आधार पर कुछ संदिग्ध लोगों पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। और पूछताछ करके इस घटना की जांच करके हत्याकांड का खुलासा किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएंगी।
शुक्रवार को चारों का पार्थिव शरीर गोहरी गांव लाया गया। अंतिम संस्कार की तैयारी से पहले ही परिजन आक्रोशित हो उठे। शव के चारों तरफ घेर कर बैठकर हंगामा करने लगे। पीड़ित परिवार ने मांग करी कि परिवार के दो सदस्यों को सरकारी नौकरी, एक करोड़ रुपए मुआवजा, मृतक के भाइयों को शस्त्र का लाइसेंस और पांच बीघा जमीन दी जाए।
इसके साथ ही इस मुकदमे के नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर फास्ट कोर्ट की मदद से उन्हें सजा दिलाई जाए। इन मांगों के पूरा होने के बाद ही वह अंतिम संस्कार करेंगे। फिलहाल प्रशासन ने परिवार की मांगों को मान लिया है इसके बाद चारों शवों को एक साथ अग्नि दी गई।
योगी सरकार ने मृतक के परिवार को 16 लाख 50 हजार रुपए का मुआवजे का ऐलान किया है। शासन की ओर से जिलाधिकारी ने 16.5 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा कर दी है। मृतक के परिजनों की सभी मांगों को पूरा करते हुए परिवार की सुरक्षा के लिए मौके पर पिकेट लगा दिया गया है। साथ ही पीड़ित परिवार की शस्त्र लाइसेंस की मांग पर लाइसेंस के लिए एप्लाई भी करवाया जाएगा।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पीड़ित परिवार से मिलने शुक्रवार को उनके घर पहुंची। प्रियंका गांधी लगभग 35 मिनट तक परिवार के साथ रहीं। पीड़ित परिवार की महिलाएं प्रियंका गांधी का हाथ पकड़कर रोने लगीं। पीड़ित परिवार ने प्रियंका गांधी से कहा कि उनकी कोई नहीं सुन रहा है। पुलिस ने गुंडों को संरक्षण दिया और स्थानीय प्रशासन खुलकर गुंडों का साथ देता था। प्रियंका गांधी ने परिजनों को सांत्वना दी और इंसाफ़ दिलाने भरोसा दिया।
पीड़ित परिवार से मुलाकात के बाद प्रियंका गांधी ने सरकार पर हमलावर होते हुए मीडिया से कहा कि इस सरकार में गरीब, दलित एवं वंचित की कोई सुनवाई नहीं है। प्रियंका गांधी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इस सरकार में गरीब, दलित एवं वंचित की कोई सुनवाई नहीं है। आज संविधान दिवस है। न्याय संविधान का सबसे महत्वपूर्ण मूल्य है। मैं न्याय की लड़ाई के साथ हूं। सिर्फ पुलिस को सस्पेंड करने से काम नहीं चलेगा। मैं यह समझ नहीं पाती हूं कि ऐसी परिस्थिति को देखकर प्रशासन क्यों चुप रहा है? आगरा और हाथरस में ही नहीं, पूरे प्रदेश में दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर कहा कि दबंगों द्वारा चार दलितों की हत्या निंदनीय है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार पर यह हत्याएं एक और बदनुमा दाग़ हैं।
यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावाती ने भी यूपी सरकार की आलोचना की हैं। मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘यूपी के प्रयागराज में अभी हाल ही में दबंगों द्वारा एक दलित परिवार के चार लोगों की निर्मम की गई हत्या अति-दुःखद व शर्मनाक। यह घटना सरकार की लचर कानून-व्यवस्था को दर्शाती है’।
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने योगी सरकार पर निशान साधते हुए कहा कि यूपी में वंचित समाज के खिलाफ दरिंदगी की खुली छूट मिली हुई है। किसी भी शख्स की प्रयागराज की घटना से रूह कांप जाएगी। भाजपा संविधान दिवस मनाने की नौटंकी कर रही है, तब हैवानियत को अंजाम दिया जा रहा है. यह घटना प्रशासन और पुलिस की मिलीभगत से हुई है। उन्होंने कहा कि 2020 और 2021 सितंबर में इस परिवार के साथ मारपीट हुई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नही हुई। यह घटना हाथरस कांड से ज्यादा भयानक है।
आज़ाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने ट्वीट करते हुए कहा कि हाथरस गैंगरेप के एक साल पूरे ही हुए थे कि अब प्रयागराज में मां बेटी के साथ दुष्कर्म करके उनकी हत्या कर दी गई। कुल चार सदस्यों को कुल्हाड़ी से काट दिया गया। उन्होंने कहा कि सत्ता के संरक्षण में बौराए गुंडे दलितों का नरसंहार कर रहे हैं।