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रमज़ान मुबारक : फिर से लौट आई रमज़ान की रौनक, तस्वीरों में देखिए दिल्ली का नज़ारा

रमज़ान के पाक महीने की आमद के साथ इस बार मुसलमानों में काफा उत्साह दिखाई देता है। इबादत,रहमत और बरक़त का महीना रमज़ान दुनियाभर में मुसलमानों की अक़ीदतमंदी का खूबसूरत प्रतीक है। भारत मे पिछले 2 सालों से कोविड महामारी के चलते विभिन्न प्रतिबंध लागू किए गए थे। खासकर पिछले साल तो कोरोना ने कहर बरपा दिया था और संपूर्ण मानव जाति पर संकट दिखाई दिया था। पिछले साल रमज़ान के महीने में आमजन ऑक्सीजन के लिए संघर्ष करता हुआ दिखाई दिया था और जनता लोकडाउन के दौरान होने वाली तकलीफों को झेल रही थी। यहां तक कि मुसलमानों की रमज़ान के महीने में पढ़ी जाने वाली तराबीह की नमाज़ भी मस्जिदों में नही हो पाई थी। ईद की नमाज़ तक लोगों ने घर पढ़ी थी मगर समय के साथ ही वो बुरा दौर अब खत्म हो गया है। रमज़ान पर अब रौनक और उत्साह दिखाई दे रहा है। मस्जिदें गुलज़ार है और बाजारों में रौनक़ है, मुसलमानों को इस बार रमज़ान का शिद्दत से इंतजार था। इस रमजान हम आपकों देशभर के विभिन्न इलाकों से तस्वीरों के माध्यम से रमज़ान की रौनक को आप तक पहुंचे रहे हैं। इस बार ये तस्वीरें दिल्ली के घनी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र ओखला से है। यहां शाहीन बाग़, बठला हाउस, जामियानागर और गफ़्फ़ार मंजिल जैसे इलाके में हमारे प्रशिक्षु पत्रकार सिमरा अंसारी और सऊद आलम ने इन तस्वीरों को क्लिक किया है।

पिछले दो सालों में बाजार बिल्कुल बंद रहे थे ,कुछ घण्टों की मोहलत में भी लोग घर से कम ही निकलते थे, अब पहले दिन से बाजारों में रौनक है।

यह तस्वीर ओखला की है,एक साल पहले बच्चें भी सड़कों पर दिखाई नहीं देते थे। अब चेहरे मुस्करा रहे हैं।
कोरोना के असर होने की वज़ह से इन चटपटी पकौड़ियाँ से महरूम गए खाने के शौकीन अब खुश दिखाई देते हैं। तस्वीर शाहीन बाग़ की है।
पकौड़ियाँ तली जा रही है …जामियानागर
फल और उसे बेचने वाले दोनों चमक रहे हैं। जामियानागर की तस्वीर …

यह समोसे मीठे है, इतिहास तो लम्बा चौड़ा है मगर उम्मीद है कि जीभ में पानी जरूर आया होगा ! पिछले साल ऐसे नजारे नही थे।
यूं तो किचन पर महिलाओं का दबदबा होता है मगर रमज़ान में हाथ सब आज़माते है। फ़ोटो शाहीन बाग इलाके का है।

हुजूर हाज़िर है …खजूर

इंतेज़ार कब तक हम करेंगे भला…गफ्फार मंजिल से
और रहमत लौट आई है …ओखला से एक शानदार तस्वीर