आकिल हुसैन। Twocircles.net
मध्यप्रदेश के इंदौर में रविवार को मुस्लिम समाजिक कार्यकर्ता ज़ैद पठान को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार किए जाने का मामला सामने आया है। ज़ैद को जिला प्रशासन द्वारा रासुका में निरुद्ध करने के बाद इंदौर जेल भेज दिया गया। ज़ैद मध्यप्रदेश में पिछले कई वर्षों से मुस्लिमों के मुद्दों पर मुखर होकर काम कर रहे थे। फिर चाहे खरगौन हिंसा में पुलिस की एकतरफा कार्यवाही पर सवाल उठाना हो या तस्लीम चूड़ी वालें की लिंचिंग के मामले को उठाना रहा हों।
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह द्वारा जारी आदेश में लिखा है कि सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने, धार्मिक भावनाओं को भड़काने तथा सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने पर जावेद उर्फ जैद पठान को रासुका में निरुद्ध किया। उक्त आरोपी द्वारा लगातार संप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के अपराधिक कृत्य किए जा रहे थे।
आदेश में आगे लिखा है कि संप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने, धार्मिक भावनाओं को भड़काने और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने सहित अनेक गंभीर अपराधिक मामलों के अपराधी जावेद उर्फ जैद पठान पिता हाफिज जमील पठान निवासी मदीना नगर आजाद नगर इंदौर को रासुका में निरुद्ध करने के आदेश जारी किए हैं। उक्त आरोपी वर्ष 2021 के पहले से ही अनेक अपराधिक गतिविधियों में लगातार लिप्त है। उक्त आरोपी द्वारा लगातार संप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के अपराधिक कृत्य किए जा रहे थे।
आदेश में कहा गया है कि जैद पठान के विरुद्ध सोशल मीडिया पर भी आपत्तिजनक पोस्ट करने के अपराध इंदौर के बाणगंगा थाने और खरगोन थाने में पंजीबद्ध किया गया है। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी मनीष सिंह द्वारा जिले में शांति एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने तथा आम नागरिकों के जान-माल की सुरक्षा हेतु उक्त आरोपी को रासुका में निरुद्ध किया गया है।
ज़ैद पठान को 15 अगस्त के दिन पुलिस ने उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वो पड़ोस की दुकान से कुछ सामान लेने गए थे। ज़ैद पर इंदौर प्रशासन ने संप्रदायिक सद्भाव को ख़राब करने का आरोप लगाया है।
समाजिक कार्यकर्ता ज़ैद पठान ने बीते अप्रैल माह में खरगौन हिंसा में हुईं एक मौत के मामले को उठाया था और पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े किए थे। खरगौन हिंसा में एक मुस्लिम व्यक्ति की मृत्यु हुई थी, पुलिस ने इस मामले को छुपाने की कोशिश की थी तब ज़ैद पठान ने उस मृत व्यक्ति के पोस्टमार्टम के बाद का वीडियो उजागर करके पुलिस की संदिग्ध भूमिका को उजागर किया था। मध्यप्रदेश में खरगौन हिंसा के बाद हुईं बुलडोजर कार्रवाई पर भी ज़ैद ने सवाल उठाए थे और सरकार पर एकतरफा कार्यवाही करने की बात कहीं थी।
पिछले वर्ष अगस्त में तस्लीम चूड़ी वालें के साथ इंदौर में लिंचिंग की कोशिश की गई थी। ज़ैद पठान ने इस मामले को भी उठाया था और इंदौर कोतवाली का घेराव किया था। इंदौर पुलिस ने इस मामले में उनके खिलाफ बाणगंगा थाने में मुकदमा भी दर्ज किया था और साथ ही जिला बदर की कार्रवाई भी की थी। इसके अलावा ज़ैद के खिलाफ खरगौन पुलिस थाने में भी मुकदमा हुआ था। अब इन दोनों केसों को बेस बनाकर इंदौर जिला प्रशासन ने ज़ैद पठान के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून अधिनियम 1980 की धारा 3 व उपधारा 2 के तहत निरुद्ध करके जेल भेज दिया है।
ज़ैद पठान पर हुईं रासुका की कार्यवाही का समाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध किया है। इस मामले में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष फैजुल हसन कहते हैं कि ज़ैद पठान पर रासुका इसलिए लगा दिया क्योंकि वो पीड़ित और शोषित वर्ग की लड़ाई लड़ते हुए सरकार और पुलिस की पोल खोल रहें थे। सरकार रासुका लगाकर डराना और दबाना चाहतीं हैं।
मानवाधिकार कार्यकर्ता नदीम खान कहते हैं कि ज़ैद पठान का जुर्म बस इतना था कि उसने बुलडोजर राज के खिलाफ और मजलूमों को न्याय दिलाने के लिए आवाज़ बुलंद की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील असद हयात कहते हैं कि ज़ैद पठान हमेशा लोगों की मदद को रहते थे खासकर कोरोना काल में लोगों की बहुत मदद की थी। स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगा यात्रा में भी शामिल हुए थे। सरकार उनको तुरंत रिहा करे और समाजिक कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न बंद करें।
पत्रकार पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि ज़ैद पठान का गुनाह बस इतना है कि वो हर जगह न्याय की आवाज को उठाने पहुंच जाते हैं। सुबह ही तिरंगे के जुलूस में शामिल थे और दिन चढ़ते उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून अर्थात एन एस ए में निरुद्ध कर जेल भेज दिया। क्या यही थी आज़ादी की संकल्पना हैं?