इस्लामिक विद्वान मौलाना जलालुद्दीन उमरी सुपुर्द-ए-खाक

आकिल हुसैन।Twocircles.net

मशहूर इस्लामिक विद्वान और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना जलालुद्दीन उमरी को आज सुबह 10 बजें दिल्ली के ओखला स्थित शाहीन बाग कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। मौलाना जलालुद्दीन उमरी की अंतिम यात्रा में कई हज़ार लोग शामिल हुए। शुक्रवार रात लगभग 8.30 बजें क़रीब जलालुद्दीन उमरी का दिल्ली के अल शिफा अस्पताल में इलाज़ के दौरान निधन हो गया था। मौलाना जलालुद्दीन उमरी के निधन पर इस्लामिक जगत की कई हस्तियों ने शोक व्यक्त किया है।


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देश के मशहूर इस्लामिक विद्वान मौलाना जलालुद्दीन उमरी का 87 वर्ष की उम्र में दिल्ली के ओखला स्थित अल शिफा अस्पताल में इलाज़ के शुक्रवार रात निधन हो गया था। वे काफ़ी दिनों से बीमार चल रहे थे और कुछ दिन पहले ही इलाज़ के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। मौलाना जलालुद्दीन उमरी शिक्षाविद्, शोधकर्ता, वक्ता और लेखक के तौर पर भी जानें जातें थे।

मौलाना जलालुद्दीन उमरी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। इसके अलावा वे जमाअत ए इस्लामी हिन्द की शरिया परिषद के अध्यक्ष के पद पर भी थे। इससे पहले वे लंबे समय तक जमाअत इस्लामी हिंद के अध्यक्ष के पद पर भी रहें।

1935 में तमिलनाडु के नॉर्थ अर्कोट ज़िले में जन्मे मौलाना जलालुद्दीन उमरी ने तमिलनाडु के ही जामिया दारुस्सलाम से इस्लामिक अध्ययन में परास्नातक किया था। इसके अलावा उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से फारसी में स्नातक की डिग्री भी हासिल की थी।‌ इसके अलावा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी साहित्य में भी स्नातक किया था।

मौलाना जलालुद्दीन उमरी अपने छात्र जीवन से ही जमात ए इस्लामी हिन्द से जुड़ गए और इसके अनुसंधान विभाग में काम करने लगें। वे जमात ए इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष के अलावा लंबे समय तक उपाध्यक्ष भी रहें। इसके अलावा वे उर्दू मासिक अंग जिंदगी-ए-नौ के संपादक भी रहें और सन् 1982 से त्रैमासिक इस्लामिक शोध पत्रिका तहकीकात-ए-इस्लामी के संस्थापक संपादक भी रहें।

मौलाना जलालुद्दीन उमरी ने 40 से अधिक किताबें लिखीं। वह अपनी लेखनी और व्याख्यान शैली के कारण दुनिया में अपनी अलग पहचान रखते थे। उन्होंने इस्लामी सिद्धांतों, इस्लामी न्यायशास्त्र सहित विभिन्न विषयों पर विभिन्न पत्रिकाओं में सैकड़ों शोध लेखों में योगदान दिया। इसके अलावा उन्होंने सामाजिक व्यवस्था, मानवाधिकार, समकालीन चुनौतियां और राजनीतिक मुद्दे पर भी विभिन्न पत्रिकाओं में लेख लिखें। उन्होंने बड़ी संख्या में उर्दू में मौजूद किताबों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद भी किया था।

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मौलाना जलालुद्दीन उमरी के निधन पर ट्वीट करते हुए कहा कि,’ मौलाना जलालुद्दीन उमरी ने बोर्ड और समुदाय के लिए बहुमूल्य सेवाएं प्रदान की हैं, वे एक प्रसिद्ध लेखक, एक उत्कृष्ट विचारक और एक दूरदर्शी इस्लामी विद्वान थे।’

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