Home Art/Culture हमारा हिजाब ही हमारी ताकत,देश भर की मुस्लिम लड़कियों ने बुलंद की...

हमारा हिजाब ही हमारी ताकत,देश भर की मुस्लिम लड़कियों ने बुलंद की आवाज़

सिमरा अंसारी। Twocircles.net

इलाहाबाद निवासी सारा अहमद सिद्दीकी हिजाब पर प्रतिबंध को इस्लामोफोबिया की संज्ञा देते हुए कहती हैं, ये जेंडर इस्लामोफोबिया है, इससे पहले भी मुस्लिम लड़कियों व महिलाओं को इस प्रकार की घटिया राजनीति का शिकार बनाया गया है। मुस्लिम लड़कियों का अपनी वास्तविक पहचान के साथ विभिन्न मुद्दों पर निडर होकर आवाज़ बुलंद करना दक्षिणपंथी एवं वामपंथी संगठनों को बर्दाश्त नहीं है.
अभी तक मुस्लिम लड़कियों के हिजाब व बुर्के को उत्पीड़न का नाम दिया जाता था, मुस्लिम महिलाओं को पर्दे के कारण पिछड़ा हुआ होने का ताना दिया जाता था। किसी ने नहीं सोचा था कि बुर्का पहनने वाली मुस्लिम लड़कियां व महिलाएं निडर होकर अपने हक़ के लिए आवाज़ बुलंद कर सकती है, बेखौफ सरकार की नीतियों व कानूनों में किए गए संशोधन का विरोध कर सकती हैं।

सारा फ्रेटरनिटी मूवमेंट इलाहाबाद यूनिट की प्रेज़ीडेंट हैं. अपने हिजाब के बारे में बात करते हुए कहती हैं, “मेरा हिजाब ही मेरी वास्तविक ताक़त है, ये मेरी तरक्की में रुकावट नहीं है.” इससे पहले सारा फिटनेस इंडस्ट्री में बतौर जिम इंस्ट्रक्टर जॉब करती थी। उनका कहना है कि कुछ लोगों को उनके हिजाब से दिक्कत थी लेकिन अपने हिजाब के कारण उन्हें कभी काम करने में कोई कठिनाई नहीं हुई।
सारा उडुपी के शिक्षण संस्थानों में हिजाब प्रतिबंध को मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुई कहती हैं, “कॉलेज प्रशासन का ये कृत्य हमारे मौलिक अधिकारों पर हमला है. इससे न केवल उन छात्राओं की धार्मिक स्वतंत्रता छीनी जा रही है बल्कि उन्हें शिक्षा के अधिकार से भी वंछित किया जा रहा है।

मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट ग़ज़ाला अहमद को जब अपनी जॉब और अपनी हिजाब में से किसी एक को चुनने का मौका दिया गया तो उन्होंने अपने हिजाब को तरज़ीह दी। ग़ज़ाला अहमद ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स किया हुआ है। उनका नाम तब सुर्खियों में आया जब एक मीडिया संस्थान में इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपने हिजाब को उतारने से इंकार कर दिया।

अपने हिजाब के बारे में बात करते हुए ग़ज़ाला कहती हैं, “ये मेरी पहचान है। ये मेरी चॉइस नहीं बल्कि कर्तव्य है। कर्नाटक की मुस्लिम छात्राओं द्वारा अपनी पहचान के लिए निडर होकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन सराहनीय है। ये सब सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है। मुस्लिम लड़कियों से शिक्षा के अधिकार को छीना जा रहा है, मुस्लिम लड़कियां शिक्षा ग्रहण नहीं करेंगी तो आगे काम भी करेंगी और न ही अपने हक़ के लिए आवाज़ उठा सकेंगी। आज के दौर में सभी संस्थाओं में महिलाओं को एक आकर्षक वस्तु की भांति प्रयोग किया जा रहा है। इससे केवल मुस्लिम महिलाएं नहीं बल्कि देश की सभी महिलाओं को अपमानित किया जा रहा है।


नेशनल यूथ पार्लियामेंट 2019 की विनर रह चुकी तूबा ह़यात ख़ान छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश की रहने वाली हैं। तूबा अपने हिजाब को अपने भौतिक अस्तित्व की पहचान बताते हुए कहती हैं, “मेरा हिजाब मेरी तरफ से पूरे समाज के लिए एक प्रतीक है कि मैं आपसे इज़्ज़त और मर्यादित व्यवहार की अपेक्षा करती हूं. इस्लाम एक इंसान को केवल एक व्यक्ति की दृष्टि से नहीं बल्कि समाज के एक हिस्से के रूप में देखता है. प्रत्येक व्यक्ति के व्यवहार का प्रभाव समाज पर पड़ता है और समाज का उसके प्रत्येक अंग पर. इस्लाम में ‘पर्दे’ को इसलिए भी अनिवार्य किया गया है ताकि समाज में प्रत्येक व्यक्ति पूरी ज़िम्मेदार के साथ बिना विचलित हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर सके”।

तूबा हिजाब प्रतिबंध पर अपनी बात में कहती है, “अपने धार्मिक पहचान को बरक़रार रखना बिलकुल सामान्य है, किंतु यदि आप किसी दूसरे के विश्वास या उसकी सांस्कृतिक पहचान से घबराते हैं तो ये आपके स्वयं के विश्वास व संस्कृति के प्रति हीन भाव को दर्शाता है. यदि कॉलेज प्रशासन चाहे तो इस मामले को हल किया जा सकता है लेकिन हम जानते हैं कि ये एक विशेष विचारधारा से प्रेरित होकर किया जा रहा है. कॉलेज प्रशासन द्वारा धार्मिक पहचान के कारण छात्रों के साथ भेदभाव एक गंभीर विषय है. ये संकेत है कि भविष्य में शिक्षण संस्थानों द्वारा विशेष समुदाय के छात्रों के प्रति भेदभाव बढ़ सकता है।”अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए तूबा कहती हैं,”इस वक्त उडुपी की मुस्लिम छात्राओं को पूरे देश की हिजाब पहनने वाली मुस्लिम लड़कियों के प्रतिनिधि के रूप में देखा जा रहा है, इसलिए उन्हें अपनी शिक्षा पर ध्यान देते हुए लोकतांत्रिक ढंग से अपने प्रदर्शन को जारी रखना चाहिए”

पुणे, महाराष्ट्र की निवासी मुबश्शिरा खोत एक लेखिका और कवित्री के रूप जानी जाती हैं. हिजाब को अल्लाह का आदेश बताते हुए अपनी बात को शुरू करती हैं और कहती हैं, “हिजाब या बुर्का एक लड़की को समाज में फैली हुई बुराइयों से सुरक्षित करता है. इसके ज़रिए वो समाज में मौजूद गंदी निगाहों से अपने शरीर की बनावट और अपनी सुंदरता को छुपाती है। तेज़ी से बढ़ती हुई बलात्कारों की संख्या समाज में फैली हुई बेहयाई का परिणाम है। समाज में फैली इस बुराई पर नियंत्रण पाने के लिए कुरआन के केवल दो आदेशों (मर्द अपनी निगाहें नीची रखें और औरत खुद को ढाक कर रखें) को लागू करके बलात्कार की घटनाओं को कम किया जा सकता है। ”

हिजाब पर प्रतिबंध को गैर संवैधानिक बताते हुए वे कहती हैं, “अपने धर्म के अनुसार वेशभूषा और धर्म के प्रचार–प्रसार का अधिकार हमें संविधान देता है. यदि कोई संस्था अपनी पॉलिसी में इस चीज़ को प्रतिबंधित करती है तो वो पॉलिसी भारत के संविधान के विरुद्ध है।”
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मुबश्शिरा कहती हैं, “केवल इस्लाम नहीं बल्कि सभी धर्म औरत को पर्दे का आदेश देते हैं. हिजाब पर प्रतिबंध संविधान विरोधी होने के साथ भारतीय संस्कृति के विरुद्ध भी है। पुरातत्वेतिक स्त्रोतों से पता चलता है कि भारत में महिलाएं पर्दा करती थी।सनातन धर्म भी औरत की मर्यादा को बरक़रार रखते हुए पर्दे का आदेश देता है।”

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से कर्नाटक के उडुपी में मुस्लिम छात्रों के हिजाब को लेकर मामला गर्माया हुआ है। उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में मुस्लिम छात्रों के हिजाब पर कॉलेज प्रशासन द्वारा प्रतिबंध लगा दिया था। प्रशासन का कहना था कि छात्राएं हिजाब पहनकर कॉलेज परिसर में आ सकती हैं किंतु उन्हें कक्षाओं में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा और अब मुस्लिम छात्राओं का कॉलेज परिसर में प्रवेश भी प्रतिबंधित कर दिया गया है।

अब ये विवाद उडुपी के अन्य कॉलेजों में भी फैल गया है. बुधवार को उडुपी के ही एक प्री–यूनिवर्सिटी कॉलेज के छात्र भगवा शॉल पहनकर कॉलेज में आए और मुस्लिम छात्राओं को हिजाब उतारने की बात कही। बताते चलें कि बीते चार दिनों से कॉलेज के बाहर मुस्लिम छात्राओं का धरना प्रदर्शन जारी है. जिसमें कॉलेज के मुस्लिम छात्रों ने भी अपना समर्थन दिया.

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर भी पोस्ट्स और ट्वीट्स का सैलाब आया हुआ है। ट्विटर पर #HijabisOurRight राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेंडिंग में बना हुआ है. देश के प्रतिष्ठित संगठन, सामाजिक कार्यकता, पत्रकार और अन्य यूनिवर्स्टियों के छात्र कर्नाटक में हो रहे मुस्लिम छात्राओं के साथ भेदभाव पर लिख रहे हैं और कॉलेज के प्राचार्य को निलंबित करने की मांग की जा रही है।