कौन है फतेहपुर के सय्यद कासिम हसन जिनकी कब्र पर सलाम करने पहुंच गए अखिलेश यादव !

स्टाफ रिपोर्टर।Twocircles.net

पहले और दूसरे चरण में उम्मीद के मुताबिक मतदान होने के बाद अखिलेश यादव का आत्मविश्वास प्रबल हो गया है। तीसरे चरण में यादव बहुल 9 जिलों में माहौल को लेकर कॉन्फिडेंट अखिलेश यादव ने चौथे चरण की तैयारी में एक जोरदार दांव चल दिया है। मध्य में मुस्लिम बहुल जिले फतेहपुर में नाराज मुसलमानों को उन्होंने भावनात्मक रूप से साध दिया है। मंगलवार को फतेहपुर में चुनावी सभा मे पहुंचे अखिलेश यादव जनपद फतेहपुर के जहानाबाद निवासी और 5 बार विधायक रहे सय्यद क़ासिम हसन की कब्र पर श्रद्धांजलि देकर आसपास के जिलों में अच्छा महत्वपूर्ण संदेश दे आए हैं। इस हसन परिवार का आज़ादी की लड़ाई में अच्छा योगदान रहा है।

मरहूम कासिम हसन अपनी बेग़म सय्यदा शाहीन के साथ …


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सय्यद कासिम हसन जहानाबाद के बड़े राजनीतिक और शैक्षिक घराने से ताल्लुक रखते हैं। वो पांच बार विद्यायक रहे हैं। उनके परिवार के कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह,पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर, बाबू जगजीवन राम, राम विलास पासवान, मुलायम सिंह यादव, कांशीराम और राहुल गांधी आदि नेता उनके घर तशरीफ़ ला चुके हैं। सय्यद कासिम हसन माल्टा में शहीद हुए नुसरत हुसैन के पुत्र है। उनकी पत्नी शाहीन बेग़म जहानाबाद में पूरे एक दशक चेयरपर्सन रही है। सय्यद कासिम हसन का 2013 में इंतक़ाल हो गया था उस समय वो विद्यायक थे।

सय्यद कासिम हसन फतेहपुर और आसपास के जनपदों में खासा असर रखते थे। 2012 -17 में भी वो फतेहपुर से विधायक चुने गए थे, इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई थी। बिंदकी जहानाबाद के स्वाधीनता सेनानी परिवार से आने वाले सय्यद कासिम हसन का विद्यायक रहते हुए ही इंतेकाल हो गया था। सय्यद कासिम हसन का फतेहपुर जनपद की कई विधानसभा सीटों पर अच्छा असर माना जाता है। इन दिनों उनके पुत्र आबिद हसन फतेहपुर विधानसभा से टिकट मांग रहे थे मगर उनके टिकट न् होने से इलाके में नाराजग़ी थी। साढ़े तीन लाख मुसलमानों वाले इस जनपद में मुसलमानों में नाराजगी दिखाई देती थी। मंगलवार को यहां पहुंचे अखिलेश यादव ने सभा के बाद सय्यद कासिम हसन की कब्र पर जाकर उन्हें खिराजे अक़ीदत पेश कर एक बड़ा संदेश देने का काम किया। फतेहपुर जनपद में 6 विधानसभा है और इन सभी पर भाजपा के विद्यायक है। 2017 में सभी सीटों पर मुसलमानों में बंटवारा हुआ था।

मरहूम विद्यायक सैयद कासिम हसन …

मरहूम विधायक सय्यद कासिम हसन के पुत्र आबिद हसन
ने हमसे कहा कि वो उनके पिता के कब्र पर खिराजे अक़ीदत पेश करने पहुंचे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का शुक्रिया अदा करते हैं। अखिलेश यादव उनके पिता के इंतकाल के बाद भी मुख्यमंत्री रहते हुए यहां आए थे। यह सही है कि वो भी इस बार टिकट मांग रहे थे और इससे उनके समर्थक मायूस थे मगर यहां खिराजे अक़ीदत पेश कर उन्होंने मेरे पिता और क्षेत्र के चहेते सय्यद कासिम मरहूम के प्रति जो सम्मान दर्शाया है वो काफी भावुक करने वाला रहा है। आबिद हसन कहते हैं कि वो तो राजनीतिक समीकरण और प्रत्याशी गणित को समझते हैं मगर समर्थक अपना ही प्यार का गणित बनाते हैं,अखिलेश यादव ने यहां आकर सभी की भावनाओं का सम्मान किया है।

सय्यद कासिम को खिराजे अक़ीदत पेश करते अखिलेश यादव …

फतेहपुर के युवा आकिल हुसैन बताते है कि अखिलेश यादव ने एक ही दिन में यहां हवा बनाने का काम किया है और नाराजग़ी की आवाज़ें दबा दी है। सय्यद कासिम हसन को पूरा इलाके में ‘चचा कासिम’ कहा जाता था और अखिलेश यादव के उनकी मजार पर जाकर श्रद्धांजलि देना उनके कद को बताता है। इस जनपद में साढ़े तीन लाख मुस्लिम है और निश्चित तौर पर वो इससे प्रभावित होंगे। इसके अलावा सय्यद कासिम हसन का सभी वर्गों में अच्छा सम्मान था वो भी इससे संतुष्ट महसूस करेंगे।

जहानाबाद की पूर्व चेयरपर्सन और सय्यद कासिम हसन की पत्नी सय्यदा शाहीन बताती है कि अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में विकास की राजनीति का चेहरा है और वो एक क़ाबिल मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जहानाबाद में वो राजनीतिक कार्यक्रम में आये थे। यहां आकर उन्होंने मेरे शौहर की कब्र पर जाकर खिराजे अक़ीदत पेश करने की कवायद की,जिसके लिए उनके दिल मे अखिलेश यादव का सम्मान बढ़ गया है। उनकी यही शिष्टता उन्हें दूसरे नेताओं से अलग बनाती है। सय्यद कासिम साहब के इंतक़ाल की कमी को पूरा नही किया जा सकता है। उन्होंने इलाके में जो सम्मान कमाया है वो अदुभुत हैं। हमें यहां सभी समाज ने अपना परिवार समझा है। सय्यद कासिम साहब ने कभी हिन्दू मुस्लिम की राजनीति नही की यहां तक कि उन्होंने पास के एक गांव शकुराबाद में 22 बीघा जमीन शिवालय में दान कर दी थी। क्षेत्र में कुछ अपने लोग मेरे बेटे आबिद को तरजीह न् मिलने से उदास थे जो अब दूर हो गई है।

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