मजदूर के बेटे फ़राज़ की प्रेरक कहानी, 16 साल की उम्र में हासिल की ब्लैकबेल्ट, राष्ट्रीय कुंगफू प्रतियोगिता में जीता सिल्वर

सिर्फ 16 साल के मोहम्मद फ़राज़ ने ब्लैकबेल्ट हासिल कर ली है। शनिवार को वो महाराष्ट्र के नासिक से एक सप्ताह तक चली राष्ट्रीय कुंगफू प्रतियोगिता में सिल्वर जीतकर घर आया है। फ़राज़ का घर उत्तर प्रदेश के जनपद मुजफ्फरनगर के कस्बे मीरापुर में है, फ़राज़ के 60 लोगों के संयुक्त परिवार में यह बात कौतूहल और खुशी का मौजू है मगर इस जीत का क्या मतलब है ! इसे सिर्फ एक – दो लोग ही जानते हैं ! फ़राज़ के पिता आफताब खान ने फ़ोन करके अपने स्थानीय मित्रों को बताया है। वो माला पहनाकर फ़राज़ का स्वागत कर रहे हैं और उसकी तारीफ कर रहे हैं। फ़राज़ सिर्फ दसवीं की पढ़ाई कर रहा है। फ़राज़ के घर मे उत्सव का माहौल है।

आफताब खान (40) ने अपनी जिंदगी में बेहद तल्ख़ अनुभवों का सामना किया है, वो बेहद मुश्किलों से लड़े है। पहले वो आरा मशीन में लड़की काटने का काम करते थे, उनके माथे पर लगी हुई चोट उनके साथ हुए हादसों की कहानी कहती है। आफताब खान के पारिवारिक मित्र शकील अहमद आज आफताब को उनके बेटे की कामयाबी में खुश देखकर बताते हैं कि वो आज आफताब की आंखों में जो चमक देख रहे हैं वो उन्होंने सालों में महसूस की है। इस चमक की वजह फ़राज़ के सहयोगी कोच और क्षेत्र की मार्शल आर्ट्स की सबसे बड़ी प्रतिभा उस्मान मेवाती का वो वाक्य है जो अनायास ही उनके मुख से बाहर आ गया है, उस्मान ने कहा है कि “फ़राज़ ओलंपिक खेल सकता है”।

स्थानीय लोगों ने उसकी सराहना की है…


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उस्मान की इस बात ने यहां मौजूद तमाम लोगों की आंखों को बटन की तरह खोल दिया है। 40 हजार की आबादी वाले इस मीरापुर कस्बे में लगभग 10 हजार युवा 12 साल से 20 साल की आयु की बीच के है और आश्चर्यजनक रूप से एक दर्जन युवाओं में खेलों में कैरियर बनाने की ललक है। यहां कोई परिवार अपने बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित नही करता। उन्हें लगता है खेल उन्हें पढ़ाई से दूर करता है। दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से यहां के अधिकतर युवा क्रिकेट में अपना समय बर्बाद कर चुके हैं और वो गली क्रिकेट से आगे नही बढ़े हैं। ओलपिंक एक ऐसा ख्वाब है जो बहुत दूर की कौड़ी लगता है।

उस्मान मेवाती बताते हैं कि फ़राज़ 48 किग्रा वर्ग में खेलता है। उसके खेल में कुछ अदुभुत बातें है जो नैसर्गिक है, जिसे उसे सिखाया नही गया है। फ़राज़ की किक में बहुत जान है, वो बहुत अधिक पॉवर बना लेता है, जिसे झेलना मुश्किल है। उसे ओलपिंक की तैयारियों में जुट जाना चाहिए,मुझे लगता है कि फ़राज़ भविष्य में ओलम्पिक खेल सकता है। उसे थोड़ा और वज़न कम करना चाहिए। यह एक बड़ा मूव होगा !

अपने बड़े भाई अदनान के साथ फ़राज़ …

फ़राज़ दिल्ली में टोकस ताइक्वांडो अकादमी में कोचिंग करता है और इसके लिए उसके लिए मजदूर पिता काफी मशक्कत करते हैं। आफताब खान बताते हैं अब बेटे को बस ओलपिंक ही खिलाना है, आफताब खान के चार बेटे है और फ़राज़ तीसरे नम्बर के है। आफताब खान इतनी हिम्मत इसलिए भी कर पा रहे हैं क्योंकि उनके बड़े बेटे अदनान खान (21) बड़े भाई की जिम्मेदारी को समझते हुए पिता के साथ घर चलाने की जिम्मेदारी को अपने कंधों पर लेने का इरादा किया है। आफताब खान बताते हैं कि दिल्ली में रहकर कोचिंग कराना बहुत मुश्किल है। मार्शल आर्ट्स एक महंगा खेल है।

फ़राज़ के दादा नूर मोहम्मद इस खेल के बारे ज्यादा कुछ नही जानते हैं। वो बताते हैं कि उनके बचपन मे वो लाठी चलाने का खेल खेलते थे और उसे पटा कहते थे। वो ताजियों में खेला जाता था और उसके एक बेहतरीन खिलाड़ी थे। फ़राज़ के चाचा सनी खान वादा करते हैं कि वो अब फ़राज़ के पिता और अपने भाई आफताब के ख्वाब को पूरा करने के लिए पूरा संघर्ष करेंगे। अब तक उन्होंने इसे बच्चों का खेल समझा था मगर फ़राज़ की इस शुरुआती कामयाबी ने एक बहुत बड़ी उम्मीद को जिंदा कर दिया है। फ़राज़ को कामयाबी को अपने सर पर नही चढ़ने देना होगा !

फ़राज़ का सम्मान करते हुए पूर्व प्रधान शकील अहमद…

फ़राज़ के वर्तमान कोच हरीश टोकस को भी लगता है कि फ़राज़ ओलम्पिक खेल सकता है। हरीश बताते हैं कि मैंने प्रेक्टिस में फ़राज़ को साथी खिलाड़ियों के साथ तेज किक मारने के लिए मना किया हुआ है ! क्योंकि उसकी किक में अतिरिक्त पावर है जो सामान्य बात नही है। फ़राज़ देश के लिए कुछ अच्छा करेगा। अब वो इंटरनेशनल स्तर पर खेलने जा रहा है। उसको कूल रहना सीखना होगा। मुजफ्फरनगर जनपद के मीरापुर कस्बे में लगभग आधा दर्जन
मार्शल आर्ट्स के खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर खेल रहे हैं। यह खुद में आश्चर्यजनक बात है। इनमे दो सबसे बड़ी प्रतिभा उस्मान और फ़राज़ है और इसके नायक है विपिन मलिक, फ़राज़ बताते हैं कि विपिन मलिक सर उनके पहले कोच है। वो सिर्फ 5 साल के थे जब विपिन भैया ने मार्शल आर्ट्स सिखाना शुरू किया। विपिन मलिक अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रहे हैं और वो 1991 में ब्लैकबेल्ट हासिल करने वाले क्षेत्र के पहले खिलाड़ी बने थे। फ़राज़ अपनी कामयाबी का बहुत बड़ा श्रेय विपिन मलिक को देते हैं। विपिन मलिक बताते हैं कि फ़राज़ बहुत आगे जाएगा। वो कहते हैं कि नासिक की जिस प्रतियोगिता में फ़राज़ ने सेमीफाइनल में गुजरात के आयुष को हराया उसमे घुटने की चोट के कारण फ़राज़ फाइनल में हार गया, उसे अपने कैरियर में चोट और खोट से सावधान रहना होगा !

फ़राज़ के अब्बू अब उसके ओलम्पिक खेलने का सपना देख रहे हैं …

<आफताब आलम मेवाती Two circles.net के लिए

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