पत्रकार जुबैर के पक्ष में आया मीडिया जगत, गिरफ्तारी को बताया ग़लत

File photo of Mohammad Zubair. | Photo: Twitter

जिब्रानउद्दीन।Twocircles.net

ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को सोमवार शाम दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। ये गिरफ्तारी एक गुमनाम ट्विटर हैंडल की शिकायत के आधार पर की गई। जिसने ट्विटर पर ही दिल्ली पुलिस को टैग कर ज़ुबैर पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत किया है और उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।


Support TwoCircles

पुलिस ने दर्ज एफआईआर में कहा कि मामला ट्विटर पर एक उपयोगकर्ता की शिकायत पर आधारित है, जिसका हैंडल ‘बालाजीकिजैन’ है, जो हनुमान भक्त के नाम से जाना जाता है। हैंडल ने 2018 में जुबैर द्वारा पोस्ट किए गए एक ट्वीट पर आपत्ति जताई थी, जिसमें “हनीमून होटल” से “हनुमान होटल” में चित्रित एक होटल साइनबोर्ड की तस्वीर दिखाई गई थी।

फिलहाल मोहम्मद ज़ुबैर को दिल्ली कोर्ट ने 4 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा है। इस दौरान इंटरनेट के माध्यम से इस गिरफ्तारी के खिलाफ लाखों लोग अपना रोष ज़ाहिर कर चुके हैं। इसमें बड़े-बड़े नेता, जैसे राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी, तेजस्वी यादव, महुआ मोइत्रा, अखिलेश यादव इत्यादि शामिल हैं। इसके अलावा देश के कोने-कोने से पत्रकारों के समूहों ने भी मोहम्मद ज़ुबैर के लिए अपना समर्थन दिखाया है।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया…

ऐसे ही कई पत्रकारों ने TwoCircles.Net से बात की, राजस्थान निवासी युवा पत्रकार मोहम्मद कासिम बताते हैं, “मोहम्मद ज़ुबैर ने पूर्व में कई खास राजनीतिक दलों और न्यूज़ चैनलों द्वारा मुस्लिमों के खिलाफ चलाए जा रहे फर्जी खबरों का पर्दाफाश किया है। कट्टर दक्षिणपंथियों ने पहले भी उन्हें जेल भेजने के इरादे से उनके खिलाफ हैशटैग चला रखे हैं, कि उन्हें गिरफ्तार किया जाए। आज जिस दौर में पत्रकारिता का मतलब, महज़ लोगों के ध्यान को असली मुद्दों से भटकाने तक सीमित होता जा रहा है, तब मोहम्मद ज़ुबैर लगातार सच्चाई और हक़ के लिए लड़ रहे थें।” वो आगे कहते हैं, “कहीं न कहीं ज़ुबैर काफी समय से अपनी पहचान के चलते कुछ लोगों की नज़रों में खटक रहे थें।”

लाइव इंडिया न्यूज़ के संस्थापक और पत्रकार, आफताब आलम TwoCircles.Net को बताते हैं, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर मुकदमा करना इस सरकार में सामान्य बात हो गई। जो पत्रकार निस्पक्षता के साथ पत्रकारिता करता उनको डराया जाता, उनको परेशान किया जाता उनके उपर फर्जी मुकदमे दर्ज किए जाते हैं।” उन्होंने बात जारी रखी, “हमें क्या लिखना है, क्या बोलना है और क्या छापना है यह हुकूमत में बैठे लोग तय कर रहे।”

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी विदेशों में जाकर बोलते हैं हमारे यहां लोकतंत्र है। यह कैसा लोकतंत्र मोदी जी जहां आजाद होने के 75 वर्ष बाद भी पत्रकारों को जंजीरों में जकड़ कर रखा जा रहा है। मोहम्मद जुबैर की गिरफ़्तारी बदले की भावना से हुई है लगातर उन्हें ट्रोल आर्मी के तरफ़ धमकियां मिल रही थी। सभी पत्रकरों को सड़कों पर उतर कर गिरफ़्तारी का विरोध करना चाहिए।” आलम ने कहा। आलम बिहार के दरभंगा ज़िले में रहने वाले हैं।

डीजीपब ने भी जताया विरोध …

दिल्ली निवासी, मोनिका सिंह कहती है कि, “मोहम्मद जुबैर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप लगा और इन्हें बिना नोटिस के हिरासत में लिया गया। लेकिन पूर्व भाजपा नेता नूपुर शर्मा की पैंगबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने के बावजूद उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।” मोनिका आगे कहती है, यति नरसिंहानंद, बजरंग मुनि, ऐसे कई नाम जो धर्म संसद में अल्पसंख्यक समूह के खिलाफ़ भड़काऊ भाषण देते रहे और इन लोगों के खिलाफ़ कोई लंबी गिरफ्तारी या सख़्त कदम पुलिस प्रशासन नहीं उठा पाई।”

वो कहती है कि “मोहम्मद जुबैर के सालों पुराने ट्वीट को मुद्दा बना कर उन्हें हिरासत में लेना और हाल में हुई कई विवादित बयान देने वालों के खिलाफ़ पुलिस प्रशासन का कठपुतली बने रहना ऐसा लगता है कि सिर्फ़ सच दिखाने वाले, फैक्ट्स रखने वाले पत्रकार, एक्टिविस्ट पर ही इन्हें निशाना साधने के पैगाम मिलते है।” सिंहा ने अपनी बात जारी रखी, “मोहम्मद जुबैर अल्ट न्यूज़ पर भाजपा के भ्रामक बयानों का अक्सर पर्दाफाश करते रहे और शायद इसलिए भाजपा को जुबैर खटकते है, मोहम्मद जुबैर को हिरासत में रखकर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को कुचला जा रहा है।”

दिल्ली की ही एक दूसरी महिला पत्रकार ने पूरे मामले पर प्रकाश डालते हुए TwoCircles.Net को बताया, अगर गिरफ्तारी के पूरे मामले को देखें तो इसमें कई अटपटी बातें नज़र आएंगी, जैसे कि, जिस ट्वीट की वजह से उन्हें धार्मिक भावनाओं को आहत पहुंचाने के जुर्म में गिरफ्तार किया गया है वो वर्ष 2018 का था, और उसमें भी तंज के अंदाज़ में एक 1983 की पुरानी फ़िल्म “किसी से ना कहना” के एक सीन का स्क्रीनशॉट था।” उन्होंने आगे कहा, अगर उस फिल्म से किसी को आपत्ति नहीं थी और सेंसर बोर्ड द्वारा उसे पास भी करवाया गया था तो अभी इस ट्वीट की वजह से इतना बवाल क्यों हो रहा है।” इसके अलावा उन्होंने शिकायत किए गए ट्विटर अकाउंट का असली नाम न होने पर भी ध्यान आकर्षित करवाया।

पत्रकार मोहम्मद ताहिर ने TwoCircles.Net को बताया कि उनके लिए ये खबर काफी चौंकाने वाली थी। “फैक्ट चेकर, ज़ुबैर की गिरफ्तारी समाज के सारे पत्रकारों के लिए चिंता का विषय होना चाहिए। जिस तरह के मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है वो अपने आप में ही कई प्रश्न खड़ा करती है।” ताहिर आगे बताते हैं, “प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के रैंकिंग में हमारा देश 150वें स्थान पर जा पहुंचा है, जोकि काफी बिगड़ा हुआ है।”

बता दें कि मोहम्मद जुबैर फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने पूर्व सॉफ्टवेयर इंजीनियर प्रतीक सिन्हा के साथ मिलकर की थी। फर्जी खबरों से निपटने के लिए जुबैर और सिन्हा ने ऑल्ट न्यूज़ की स्थापना 2017 में की थी।

SUPPORT TWOCIRCLES HELP SUPPORT INDEPENDENT AND NON-PROFIT MEDIA. DONATE HERE