27 महीने जेल में रहने के बाद रिहा हुए आज़म खान

आकिल हुसैन।twocircles.net

सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म ख़ान शुक्रवार सुबह जेल से रिहा हो गए। लगभग 27 महीने से सीतापुर जेल में बंद आज़म ख़ान को उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला आज़म, अदीब आज़म ख़ान लेने पहुंचे थे । इसके अलावा शिवपाल सिंह यादव ने भी सीतापुर जेल के बाहर उनका स्वागत किया। जेल से रिहा होने के बाद आज़म ख़ान समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक अनूप गुप्ता के घर पहुंचे जहां अपने भारी समर्थकों से मिलने और नाश्ता करने के बाद सीधे रामपुर को रवाना हो गए। यहां उन्होंने कहा कि खुदा का शुक्र है कि मैं जिंदा लौट आया।


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सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता आज़म ख़ान को अनुच्छेद 142 के तहत विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए अंतरिम जमानत दे दी है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में ट्रायल कोर्ट में नियमित जमानत याचिका दाखिल करने के निर्देश भी दिया है और नियमित जमानत पर फैसले तक अंतरिम जमानत जारी रहेगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब सब केसों में जमानत हो गई तो आजम के खिलाफ नया केस कैसे दर्ज हुआ, क्या ये मात्र संयोग है या कुछ और। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आज़म ख़ान की ज़मानत पर फैसला न देने पर हाईकोर्ट पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा था कि यह न्याय का मखौल उड़ाना है।

आज़म ख़ान फरवरी 2020 से सीतापुर जेल में बंद थे। आज़म ख़ान को जेल जाना पड़ा तो इसके पीछे उस मुकदमे की अहम भूमिका है, जिसे भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने साल 2019 में दर्ज करवाया था। बीजेपी नेता आकाश सक्सेना ने आज़म ख़ान, पत्नी तजीन फातिमा, बेटे अब्दुल्ला आज़म के विरुद्ध दस्तावेजों में हेराफेरी कर पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवाने का आरोप लगाया था।‌ अब्दुल्ला आज़म पर फर्जी जन्मप्रमाण पत्र बनाकर चुनाव लड़ने का आरोप लगाया था।‌

इस मामले में आज़म ख़ान अदालत द्वारा बुलाने पर हाज़िर नहीं हुए तो अदालत ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया। 26 फरवरी 2020 को आज़म ख़ान अपने बेटे और पत्नी के साथ एडीजे अदालत में पेश हुए। अदालत ने आज़म ख़ान और उनके परिवार को ज़मानत देने से इंकार करते हुए दो मार्च तक की न्यायिक हिरासत में रामपुर जेल भेज दिया था। इस दौरान आज़म ख़ान के विरुद्ध कई अन्य मामलों में गैरजमानती वारंट जारी हुए थे।

आजम ख़ान के विरुद्ध अगस्त 2019 में लखनऊ में पत्रकार अल्लामा जमीर नकवी ने वक्फ बोर्ड की जमीन गलत तरीके से अपने पक्ष में कराने के मामले में मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले में हाईकोर्ट में आखिरी बार पांच मई को सुनवाई हुई थी, तब फैसले को सुरक्षित रख लिया था। हालांकि 10 मई को इस मामले का फैसला सुनाते हुए आज़म ख़ान को ज़मानत दे दी गई थी।‌

2019 में ही रामपुर के यतीमखाना सरायगेट की रहने वाली एक महिला नसीमा खातून ने आज़म ख़ान पर भैस चोरी का मुकदमा दर्ज़ कराया था कि 2016 में आज़म ख़ान के कहने पर कुछ लोगों ने उसके घर में घुसकर तोड़फोड़ की थी और साथ ही उसकी भैसों को भी अपने साथ ले गए थे।‌ इस मामले में आज़म ख़ान पर गैर इरादतन हत्या का भी मुकदमा दर्ज हुआ था।

सीतापुर जेल में रहने के दौरान भी आज़म ख़ान पर कई मामले दर्ज करें गए।‌ आज़म ख़ान पर बकरी, भैंस लूटने से लेकर सरकारी जमीन कब्जाने, नदी की जमीन पर कब्जा करने, शत्रु संपत्ति कब्जाने, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, धोखाधड़ी, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, आचार संहिता उल्लंघन, अमर्यादित टिप्पणी करने, धमकाने, मारपीट, गाली गलौज, तोड़फोड़, बलवा तक के मामले दर्ज करें गए।

जेल में रहते हुए आज़म ख़ान कोरोना संक्रमण का भी शिकार हुए थे। आज़म ख़ान को जेल में ऑक्सिजन लेवल में कमी और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद लखनऊ के मेदांता अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। आज़म ख़ान के परिवार ने प्रदेश सरकार पर इलाज़ में लापरवाही का आरोप भी लगाया था।‌

यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान आज़म ख़ान ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनाव लड़ने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज़म ख़ान को ज़मानत देने से इंकार कर दिया था। आज़म ख़ान ने रामपुर की सीट से सपा के टिकट पर चुनाव जेल में रहते हुए लड़ा था और 55 हज़ार से अधिक वोटों के अंतर से चुनाव जीता भी। आज़म ख़ान रामपुर से दसवीं बार विधायक हैं।

विधानसभा चुनाव के बाद आज़म ख़ान के समर्थकों ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर आज़म ख़ान को नजरंदाज करने का आरोप लगाया था। आज़म ख़ान के मीडिया प्रभारी फसाहत अली शानू ने पार्टी की मीटिंग में अखिलेश यादव पर आज़म खान का साथ न देने का आरोप लगाया था। आज़म ख़ान के समर्थन में कई नेताओं ने यह कहते हुए इस्तीफा दिया कि अखिलेश यादव मुसलमानों के मुद्दों बोलते नहीं हैं।

आज़म समर्थकों के अखिलेश यादव पर नाराज़गी ज़ाहिर करने के बाद शिवपाल यादव ने भी अखिलेश यादव पर आज़म ख़ान की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। इस दौरान शिवपाल सिंह यादव ने आज़म ख़ान से जेल में मुलाकात भी की थी। इसके बाद कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम ने भी आज़म ख़ान से जेल में मुलाकात की थी। इसी बीच सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा के नेतृत्व में आज़म ख़ान से जेल मिलने पहुंचे सपा प्रतिनिधि मंडल से मिलने से इंकार कर दिया था। जिसके बाद से लगातार यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आज़म ख़ान वाकई में नाराज़ हैं।

आजम खान के खिलाफ कुल 87 आपराधिक केस दर्ज हुए थे जिनमें से 84 एफआईआर उत्तर प्रदेश में 2017 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद के दो वर्षों में दर्ज की गई थी। इन 84 मामलों में से 81 मामले 2019 के लोकसभा चुनाव के ठीक पहले और बाद की अवधि के दौरान दर्ज किए गए थे। आज़म ख़ान पर लगें मुकदमों का यह आंकड़ा 89 तक पहुंच गया।

आज़म ख़ान के बेटे स्वार से विधायक अब्दुल्ला आज़म के विरुद्ध 43 मामले दर्ज हुए थे और उनकी पत्नी तजीन फातिमा के खिलाफ 33 मुकदमे दर्ज हुए थे। तजीन फातिमा को 10 महीने के बाद जमानत मिली थी, जबकि अब्‍दुल्‍ला आजम को 23 महीने बाद यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले जमानत मिली थी।

पिछले दिनों आज़म ख़ान को सभी मामलों में ज़मानत मिल गई थी, लेकिन उनपर एक और मामला दर्ज कर लिया गया था। आज़म ख़ान पर रामपुर पब्लिक स्कूल की बिल्डिंग का सर्टिफिकेट फर्जी बनवाकर मान्यता प्राप्त करने का आरोप लगा था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कल गुरुवार को सुनवाई करते हुए अपने संवैधानिक पॉवर का इस्तेमाल करके अंतरिम जमानत दे दी जिसके बाद आज़म ख़ान की रिहाई का रास्ता साफ हुआ।

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