- संविधान सभा की समिति के मेंबर्स में से मौलाना आज़ाद के नामों को हटाया गया
- एनसीईआरटी की पहले किताब में जवाहरलाल नेहरू, राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद और अंबेडकर का नाम शामिल था।
- नई एनसीईआरटी किताब में संविधान सभा की समिति के सदस्यों को कयास के तौरपर पेश किया जा रहा।
- पिछले साल मौलाना आज़ाद के नाम से मिलने वाली फेलोशिप को भी बंद कर दिया गया।
- इससे पहले एनसीईआरटी की किताबों से मुग़ल इतिहास को भी हटाया गया।
मोहम्मद ज़मीर हसन|twocircles.net
भारत की आज़ादी में अहम भूमिका निभाने वाले मौलाना आज़ाद का नाम एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक से हटा दिया गया है। मौलाना आज़ाद स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। और जब देश में संविधान लागू किया जा रहा था तो मौलाना भी संविधान सभा की समिति के सदस्यों में से एक थे, लेकिन अब इसे केवल अटकलों के रूप में ही देखा जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 11वीं एनसीईआरटी की किताब के नए संस्करण में संविधान सभा समिति के सदस्यों के नाम से मौलाना आजाद का नाम हटा दिया गया है। और संविधान सभा समिति के सदस्यों के नाम को संभावना के तौरपर लिखा गया है कि जवाहरलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, सरदार पटेल और बी.आर. अम्बेडकर ने इन समितियों की अध्यक्षता की थी। हालाँकि, पहले के एनसीईआरटी संस्करण में मौलाना आज़ाद और समिति के अन्य सदस्यों के नाम भी शामिल थे। पिछले साल,भारत सरकार अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने मौलाना आज़ाद के नाम पर मिलने वाली फेलोशिप को बंद करने का फैसला किया था। जिससे अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के बच्चों पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ा था। बहुत से रिसर्च स्कॉलर ने अपने आगे की पढ़ाई छोड़ने तक की बात करने लगे थे। यह फेलोशिप का मक़सद था मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के ग़रीब परिवार से आने वाले बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल करने में मदद करना।
मौलाना आज़ाद की स्वतंत्रता की लड़ाई में भूमिका की बात करें
स्वतंत्रता संग्राम में मौलाना आजाद की भूमिका की बात करें तो उन्होंने अंग्रेजों का जमकर विरोध किया था। सत्य अहिंसा सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन में आज़ाद की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इन सब बातों से ऊपर वह खिलाफत आंदोलन के पक्षधर थे और उन्होंने भारत और पाकिस्तान बनने के विचार को खारिज कर दिया था। मौलाना हिंदू और मुस्लिम एकता में विश्वास रखते थे। दिल्ली की जामा मस्जिद से अपने भाषण में उन्होंने कहा “मुझे भारतीय होने पर गर्व है। अज़ीज़ों, तब्दीलियों के साथ चलो। ये न कहो इसके लिए तैयार नहीं थे, बल्कि तैयार हो जाओ। सितारे टूट गए, लेकिन सूरज तो चमक रहा है। उससे किरण मांग लो और उस अंधेरी राहों में बिछा दो। जहां उजाले की सख्त ज़रूरत है। आओ अहद (क़सम) करो कि ये मुल्क हमारा है। हम इसी के लिए हैं और उसकी तक़दीर के बुनियादी फैसले हमारी आवाज़ के बगैर अधूरे ही रहेंगे।“
मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के छात्र संघ अध्यक्ष ने कहा कि जो इतिहास नहीं लिख सकते, वे इतिहास को मिटा देना चाहते हैं
मोहम्मद फैज़ान टू सर्किल से बातचीत करते हुए कहा “ये सब एक एजेंडा है जिसके बैकग्राउंड में वो फोर्स हैं जो ये चाहती हैं कि मुस्लिम आइडेंटिटी को खत्म कर देना चाहिए। इनका साफ मकसद बहुसंख्यक समुदाय को खुश करना और वोट बैंक की राजनीति करना है।मौलाना आज़ाद के नाम को एनसीईआरटी की किताब से निकला जा सकता है। लेकिन हमें आईआईटी, आईआईएम, यूजीसी, ललित कला आदि को कैसे मिटाएंगे जिसे मौलाना आजाद ने बनाया था। जो लोग इतिहास नहीं बनाते हैं वो इतिहास मिटाने चले हैं।“
एनसीईआरटी की किताबों से मुग़ल इतिहास को भी हटाया जा रहा
एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब में मुगल साम्राज्य पर आधारित चैप्टर को हटा दिया है। NCERT ने थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री पार्ट 2 से ‘राजाओं और इतिहास मुगल दरबार (16वीं और 17वीं शताब्दी)’ को हटा दिया है। इसी तरह एनसीईआरटी ने हिंदी की पाठ्यपुस्तकों से भी कुछ कविताएं और पैराग्राफ को भी अब हटा दिया गया है। इसके अनुसार, अब जहां भी NCERT की किताबें पढ़ाई जाती हैं, वहां अब ये चैप्टर नहीं पढ़ाएं जाएंगे। एनसीईआरटी के मुताबिक, किए गए सभी बदलाव मौजूदा शैक्षणिक सत्र यानी 2023-2024 से लागू किए जाएंगे। एनसीईआरटी की तरफ से लगातार मुग़ल और अन्य मुस्लिम से जुड़े इतिहास को हटाने का आरोप लगा है। वहीं एनसीईआरटी के मुताबिक पाठ्यक्रम में संशोधन केवल हिंदी और हिस्ट्री में नहीं हुआ है। बल्कि एनसीईआरटी ने सिविक्स में भी कुछ अध्यायाेंं को हटाया है।