आस एम कैफ । Twocircles.net
2005 के क्रिकेट महिला विश्व कप फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को एकतरफ़ा मैच में 98 रनों से शिकस्त दी थी। सेंचुरियन के इस मैदान में भारतीय महिला क्रिकेट की स्टार और सबसे क़रीबी दोस्त मिताली राज और नुशीन अल ख़दीर अचानक से खलनायक बन गई। कप्तान मिताली राज ने इस मैच में सिर्फ 6 रन बनाए और नुशीन अल ख़दीर ने 10 ओवर की गेंदबाजी 35 रन देकर कोई विकेट हासिल नही किया। इन दोनों खिलाड़ियों की जमकर आलोचना हुई हालांकि टीम में और भी खिलाड़ी थी मगर हार का ठीकरा इनके सर फोड़ा गया। यह अलग बात थी भारत को सेमीफाइनल इन दोनों खिलाड़ियों ने अपने दम पर जिताया था। न्यूजीलैंड के ख़िलाफ़ हुए 2005 के उस सेमीफाइनल में मिताली राज ने 91 रन बनाए थे तो नुशीन ने न्यूजीलैंड के टॉप ऑर्डर के 3 विकेट गिराकर उनकी कमर तोड़ दी थी जिसके बाद 40 रन जीतकर हासिल कर भारत की महिला क्रिकेट टीम पहली विश्व कप के फाइनल में पहुंची थी।
इसके बाद हुई महिला क्रिकेट की अंदरूनी नकारात्मक राजनीति ने 2003 में विश्व की नंबर 1 गेंदबाज रही नुशीन अल ख़दीर के आत्मविश्वास को काफी प्रभावित किया और 2002 से 2012 तक भारत के लिए खेलने वाली 78 वनडे 5 टेस्ट और 2 टी 20 खेलने वाली नुशीन अल ख़दीर ने संन्यास के ऐलान कर दिया,जबकि की बचपन की दोस्त और सबसे क़रीबी साथी मिताली राज ने हालांकि 2017 के विश्व कप में भी कप्तानी की और टीम सिर्फ दूसरी बार विश्व कप फाइनल में पहुंची। 2012 के दिल पर पत्थर रखकर संन्यास लेनी वाली यही नुशीन अल ख़दीर आज देश भर की लाडली बन गई है। पूरा देश उन्हें अपना सबसे बेहतरीन कोच मान रहा है। अब नुशीन अल ख़दीर भारत की महिला अंडर 19 कोच है। इसी टीम ने हाल ही में विश्व कप जीता है और पूरे देश ने उन्हें बधाई दी है।
भारत की बेटियों ने यह विश्व कप शैफाली वर्मा की कप्तानी में जीता है, पूरी टीम को अच्छा खेलने के लिए तारीफ़ मिल रही है,मगर सबसे ज्यादा तारीफ टीम की कोच नुशीन अल ख़दीर की जा रही है। नुशीन अल ख़दीर ने टीम में जबरदस्त आत्मविश्वास भरने का काम किया और उनकी कोचिंग से अधिक लड़कियों ने उनके नज़रिए को अडॉप्ट किया। सौरव गांगुली को अपना आदर्श खिलाड़ी मानने वाली आक्रामक शैली की नुशीन अल ख़दीर अब महिला कोचिंग में एक बड़ा नाम बन गई है। टीम की कप्तान शैफाली वर्मा ने जीत के बाद उनकी तारीफ करते हुए कहा कि वो एक ऐसी कोच है जो किसी भी खिलाड़ी की स्किल को बड़ा कर सकती है। वो खिलाड़ियों के भीतर जबरदस्त आत्मविश्वास भर देती है। वो हमेशा खिलाड़ियों को बैकअप देती है, उन्हें कोच बनाने के लिए हम बीसीसीआई को धन्यवाद देते हैं।
इस जीत के बाद सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़, सुनील गावस्कर समेत कई बड़े क्रिकेट खिलाड़ियों ने टीम को जीत की बधाई दी और कोच नुशीन अल ख़दीर की भी प्रशंसा की। जीत के बाद नुशीन अल ख़दीर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में हमारी परफॉर्मेंस काफी ख़राब रही थी। अंडर 19 टीम बहुत अधिक परिपक्व नही होती है और हमारे आत्मविश्वास पर इसका असर पड़ रहा था, लेकिन शैफाली वर्मा बहुत अच्छी कप्तान है। टीम में स्किल बहुत थी बस इन्हें बूस्टर डोज देनी पड़ी। इसके बाद आप खुद ही देख लीजिए कि फाइनल में इंग्लैंड को न केवल हराया बल्कि बुरी तरह हराया। यह हमारा पहला विश्व कप है 2005 के विश्व कप फाइनल की हार को मैं अब तक भुल नही पाई थी। इस जीत ने मुझे बेइंतहा खुशी दी है। महिला क्रिकेट को इससे बहुत लाभ पहुंचने वाला है। अब हम भारत मे होने वाले महिला विश्व कप को भी जीतेंगे।
कर्नाटक के गुलबर्गी की रहने वाली नुशीन अल ख़दीर की जिंदगी की कहानी भी काफी रोचक है। लंबे कद और बेहतरीन फिटनेस की स्वामी नुशीन 16 साल की आयु तक बास्केटबॉल खेलती रही है। इस दौरान एक महिला क्रिकेट कोच इरफान अली सैत की उन पर नजर पड़ी और उन्होंने उनके परिजनों को नुशीन अल ख़दीर को क्रिकेट खेलने के लिए मनाया। शुरुआत में नुशीन मध्यम गति की तेज गेंदबाज थी मगर टीम की परस्थितियों के अनुसार वो ऑफ स्पिनर बन गई। नुशीन एक ऐसी ऑफ स्पिनर थी जिसकी गेंद तेजी से पड़कर अंदर आती थी। इसलिए उन्हें महिला क्रिकेट की अनिल कुंबले कहा जाना लगा था। नुशीन एक शानदार क्रिकेटर रही थी इसलिए 2003 में वो विश्व मे नम्बर एक गेंदबाज बन गई। नुशीन में वन डे क्रिकेट में 24 के औसत से सिर्फ 78 मैचों में 100 विकेट लिए। इस दौरान एक मैच उन्होंने 14 रन देकर 5 विकेट लेने का अदुभुत कारनामा भी किया।
उत्तर की पूर्व महिला क्रिकेटर फरहा बताती है कि उन्होंने बहुत जल्दी रिटायरमेंट लिया और वो बहुत शानदार खेल रही थी। स्पष्ट तौर पर यह नही कहा जा सकता है मगर वो 2012 में संन्यास के 15 दिन बाद मैदान पर लौट आई मगर इस बार कोच बनकर ! नुशीन इस बारे में बताती है कि वो मैदान से बाहर नहीं रह सकती थी और रेफरी बनने की मेरी उम्र नही थी, मुझे हैदराबाद की मुख्य टीम का कोच बनने का ऑफर था और मैं सिर्फ 33 साल की थी। मैंने इसे स्वीकार किया और 5 साल तक मैं वहां कोच रही। इसके बाद छत्तीसगढ़ और रेलवे की कोच बनी और चैंपियस लीग में सुपरनोवा की कोच बनी। जाहिर अगला लक्ष्य भारतीय महिला क्रिकेट टीम का कोच होना है।
नुशीन अल ख़दीर की भारतीय महिला क्रिकेट की सुपर स्टार खिलाड़ी मिताली राज से दोस्ती जगजाहिर है। 2005 के बाद जब मिताली राज को अंदुरुनी खेल राजनीति का सामना करना पड़ा तो नुशीन अल ख़दीर पूरी तरह उनके समर्थन में उतर आई और बोर्ड के कुछ अधिकारियों पर उन्होंने गुस्सा उतार दिया जो महिला क्रिकेट में काफी चर्चित रहा। बाद में नुशीन अल ख़दीर के कैरियर पर भी इसका असर दिखाई दिया। एक ही क्षेत्र से आने को लेकर और घरेलू क्रिकेट साथ खेलने तक नुशीन अल ख़दीर और मिताली राज एक दशक तक भारतीय महिला क्रिकेट की रीढ़ बनी रही। इनकी दोस्ती और नुशीन की कोचिंग का आलम यह रहा कि मिताली राज की बायोपिक ‘शाबाश मिट्ठू’ में मिताली राज का किरदार निभाने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री तापसी पन्नू को भी 6 महीने तक नुशीन ने मिताली राज की तरह क्रिकेट खेलना सिखाया और यह पर्दे पर शानदार तरीके से दिखाई भी पड़ा।
भारत के पूर्व क्रिकेटर विश्वजीत सिंह कहते हैं कि उन्हें नुशीन अल ख़दीर में कपिल देव जैसी इंस्टिंक्ट दिखाई देती है। वो डटकर खेलती थी और अब उसकी आक्रमकता भी बेजोड़ है। हालांकि नुशीन अल ख़दीर अपनी आक्रामकता की शैली के लिए पूर्व कप्तान सौरव गांगुली को वज़ह मानती है वो कहती है सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट को बदल दिया और मैं उन्ही से प्रेरणा लेती हूं। वो भारतीय क्रिकेट में उच्च कोटि का आत्मविश्वास लेकर आये।