बिहार से ग्राऊंड रिपोर्ट : ‘पर्चा लीक’ युवाओं के सपनों के मर जाने की कहानी है !

बिहार में पर्चा लीक अपराध एक बहुत बड़ी त्रासदी बन चुका है। यह बिहार के युवाओं के सपनों का सरेआम क़त्ल हो जाने जैसा है। यहां बड़ी इंडस्ट्रीज के न होने के कारण युवाओं के सपनों में बस सरकारी नौकरी होती है। पर्चा लीक इन ख्वाबों को कुचल देता है।

पटना से आसिफ इकबाल की ग्राऊंड रिपोर्ट


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पटना के भिखना पहाड़ी में रहने वाले राजेश कुमार अपने कमरे में गुमसुम बैठे हुए हैं। इस कमरे के कोने में खाना बनाने के लिए गैस-चूल्हा और राशन का सामान फैला हुआ है तो दूसरी तरफ किताबों के ढेर के पास राजेश बैठे हुए हैं। वह इस किराए के कमरे में दो छात्रों के साथ रहते हैं, जो उनकी तरह बाहर से आकर पटना में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। राजेश भी बिहार के हजारों छात्रों की तरह पिछले साल 23 दिसंबर को बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा में शामिल हुए थे। वे कहते हैं कि इस बार पर्चा अच्छा गया था। उम्मीद थी कि इस बार उनका सिलेक्शन हो जाएगा, लेकिन जैसे ही बाहर निकला तो सेंटर के बाहर काफी शोरगुल था। पता चला कि इस बार भी पर्चा लीक हो गया। यह खबर मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं थी। वो कहते हैं कि यह वेकेंसी 8 साल बाद आई थी। कोरोना महामारी के बाद यह पहला मौका था, जब पूरी तैयारी के साथ हम परीक्षा में शामिल हुए थे। अब समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें ! बगैर नौकरी लिए घर भी तो नहीं लौट सकते।

बिहार के जमुई जिले के रहने वाले राजेश वर्ष 2010 में 20 वर्ष की उम्र में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के लिए आए थे। उन्हें उम्मीद थी कि मेहनत से तैयारी करेंगे तो एक-दो वर्ष में नौकरी मिल ही जाएगी। अब राजेश करीब 32 साल के हो चुके हैं। वे कहते हैं कि अब तक दस से अधिक परीक्षा में उतर चुके हैं, लेकिन एक-दो परीक्षा को छोड़कर सभी परीक्षाओं के पेपर लीक हुए। कुछ के दोबारा पेपर भी लिए गए। ये सब पूरा खेल पैसों का है। सीटें बिकती हैं। हर बार सरकार की तरफ से जांच का आश्वासन दिया जाता है, लेकिन हर बार पर्चा लीक हो जाता है। यह सिर्फ हमारे जैसे लाखों बच्चों के लिए भविष्य के साथ खिलवाड़ के सिवा कुछ नहीं है। राजेश कहते हैं कि वे काफी गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। छोटी खेती है और पिताजी हर महीने छह हजार रुपए भेजते हैं। आखिर कब तक वो हमें ऐसे पैसे भेजत रहेंगे।

राजेश की तरह हजारों बच्चे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने के लिए पटना में आते हैं। कोचिंग करते हैं, लेकिन पेपर लीक होने से उनकी सारी तैयारियों पर एक झटके में पानी फिर जाती है। छात्र किस मुश्किल हालात में रहकर तैयारी करते हैं, इसे ‘मोहम्मद समीर’ के संघर्ष से समझा जा सकता है। वे पढ़ाई के साथ-साथ सिलाई का काम भी करते हैं। Twocircles.net से बात करते हुए वे कहते हैं कि हर परीक्षा में धांधली हो रही है। इससे पहले भी उन्होंने परीक्षा दी थी, लेकिन रिजल्ट नहीं आया। पिता जी मजदूरी करते हैं और उनकी आय किसी तरह घर ही चल पाता है। ऐसे में घर और पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए सिलाई का काम सीखना शुरू किया है। समीर कहते हैं कि गरीब परिवार से होने के कारण हमें हर सूरत में काम करना है। घर का बड़ा लड़का होने के कारण जिम्मेदारी भी है। तीन छोटे भाई और दो बहन का भी ध्यान रखना है। समीर पटना के एक टेलर मास्टर के यहाँ काम सीख रहे हैं। यहां पुलिस की वर्दी सिली जाती है। पिछले साल समीर ने बिहार कांस्टेबल के लिए दौड़ भी लगाई थी, पर कामयाबी से दूर रह गए।

छपरा के रहने वाले रेयाज अहमद 8 वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। Two circles.net से बात करते हुए रेयाज बताते हैं कि “बिहार में सरकारी नौकरी के अलावा युवाओं के पास अन्य कोई विकल्प नहीं है। सरकारें सिर्फ नौकरी और रोजगार के वादे कर रही है, उनके बुनियादी मुद्दों पर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया। रेयाज कहते हैं कि “बिहार सरकार ने 2014 में एसएससी की परीक्षा आयोजित की थी, जिसका परिणाम 2022 में आया है, इतने दिनों में अगर परीक्षा सरकार कराती है तो ये छात्रों के उम्र के साथ खिलाड़ है। वे कहते हैं कि 23 दिसंबर को मेरी परीक्षा का सेंटर किशनगंज गया था, किसी तरह इस भीषण सर्दी में परीक्षा देने इतनी दूर गया और रिजल्ट यह निकला कि पर्चा लीक हो गया। सारी मेहनत पर ही पानी फिर गया.पर्चा लीक होना हमारे लिए किसी त्रासदी से कम नहीं है”।

पर्चा लीक होने की घटना पर शिक्षाविद् मोहम्मद दानिश कहते हैं कि बिहार के लिए यह किसी त्रासदी से कम नहीं है। जहां कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है। रोजगार के लिए सरकारी नौकरी ही एकमात्र विकल्प है। वे कहते हैं कि शिक्षा माफियाओं की हिम्मत इस लिए भी बढ़ जाती है कि दोषियों पर कोई ठोस करवाई नहीं होती। अगर हम पिछले कुछ परीक्षाओं के पेपर लीक का पैटर्न देखें तो एक खास पैटर्न दिखता है, पेपर लीक परीक्षा केंद्रों से हो रहे हैं। जिस सेंटर से पेपर लीक हो रहे हैं उसको हमेशा के लिए ब्लैक लिस्टेड कर देना चाहिए। सरकार की नियत साफ हो तो एेसी घटना नहीं हो सकती। देश में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) भी अपनी परीक्षाएं कराती है, लेकिन उसका पेपर कभी लीक नहीं होता।

दूसरी तरफ, राज्य में तेजी से बरोजगारी दर बढ़ रही है। इस परीक्षा के लिए करीब 9 लाख छात्रों ने आवेदन दिया था। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकोनॉमी की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते महीने दिसंबर में बिहार की बेरोजगारी दर 19.1 प्रतिशत पहुंच गई। यह ढाई साल में दूसरी सबसे अधिक बेरोजगारी दर है, जबकि राष्ट्रीय दर 8.3 प्रतिशत है। दिसंबर में सबसे अधिक 37.4 प्रतिशत की बेरोजगारी दर हरियाणा में थी। उसके बाद राजस्थान (28.5 प्रतिशत), दिल्ली (20.8 प्रतिशत), बिहार (19.1 प्रतिशत) और झारखंड (18 प्रतिशत) का नंबर आता है।

उल्लेखनीय है कि बीएसएससी स्नातक स्तरीय परीक्षा आठ साल बाद हुई थी। 23 और 24 दिसंबर 2022 को यह तीन पालियों में ली गई। इसमें सीटों की संख्या 2187 थी। यह परीक्षा बिहार के सभी 38 जिलों में 538 परीक्षा केंद्र पर ली गई थी। सचिवालय सहायक के 1360 पदों सहित कई अन्य विभागों के भी पद थे। पेपर लीक के कारण प्रथम पाली की परीक्षा सरकार ने रद्द कर दी है, वहीं छात्रों की मांग है कि तीनों पालियों की परीक्षा रद्द की जाए। इससे पहले 8 मई 2022, को बीपीएससी द्वारा आयोजित 67वीं प्रारंभिक परीक्षा भी पेपर लीक की वजह से रद्द करनी पड़ी थी। इसकी पुनः परीक्षा सितंबर में ली गई। छात्रों का आरोप है कि इसके रिजल्ट में धांधली की गई थी। छात्र आंदोलन के बावजूद आयोग ने इसकी मुख्य परीक्षा ले ली है।

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